भावी नो सेना प्रमुख बने देवेन्द्र कुमार जोशी के बहाने बहुत याद आये शहीद जनरल वीसी जोशी 

भारतीय नो सेना की कमान 31 अगस्त को उत्तराखण्ड के सपूत वाइस एडमिरल देवेन्द्र कुमार जोशी के हाथों में सोंपने की खबर सुनते ही देश विदेश में रहने वाले सवा करोड़ उत्तराखण्डियों के साथ उत्तराखण्ड की विधानसभा भी गदगद है। भले ही ये पद देश की सेवा का बड़ा पद है, इन पदों पर आसीन व्यक्ति किसी जाति, धर्म व क्षेत्र आदि के न हो कर पूरे देश के होते है। परन्तु अपनत्व का मोह कई बार इन कागची बातो पर भारी पड़ता है। मुझे अल्मोड़ा जनपद के लक्ष्मीपुर गांव के सपूत वाइस एडमिरल देवेन्द्र कुमार जोशी के  नो सेना प्रमुख बनने की खबर सुनते ही बरबस देश के जांबाज थल सेना प्रमुख रहे जनरल वी सी जोशी की बहुत याद आयी। खासकर जिस समय उत्तराखण्ड जनांदोलन के समय 1994 में जिस प्रकार से राव व मुलायम सिंह देश भक्त उत्तराखण्डियों पर अमानवीय दमन कर रहे थे उस समय तत्कालीन थलसेनाध्यक्ष रहे जनरल बीसी जोशी ने जिस बहादूरी से उत्तराखण्डियों के आनमान शान की रक्षा के लिए आगे आ कर सत्तांध हुक्मरानों को उत्तराखण्डियों की देशभक्ति को कलंकित करने से बाज आने की नसीहत दी और अपनी कुर्वानी दी, उससे मेरे जेसे लोकशाही के सिपाही का सर उनकी पावन स्मृति के लिए हर पल झुक जाता हे। उनकी इसी महान सेवाओं को शतःशतः नमन् करने के लिए मैं अपने कई साथियों के साथ उनके दिल्ली सैन्य आवास से उनके अंतिम संस्कार स्थल तक उनकी अंतिम यात्रा में सम्मलित रहा था। मुझे आज भी उनके आवास पर उनके पावन देह को अंतिम दर्शन करते हुए विलखते हुए उत्तराखण्डियों के चेहरे याद है। भले ही उत्तराखण्ड में कई राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय नेता, अधिकारी, समाजसेवी या धनपति हुए हों परन्तु जो महान कार्य जनरल जोशी ने अपने सेना प्रमुख रहते हुए उत्तराखण्डियों के आन मान शान की रक्षा के लिए किया वह साहस कोई दूसरा नहीं कर पाया। सैन्य वाहुल्य उत्तराखण्ड की राजनीति में आज चंद लोग मेजर जनरल खण्डूडी सहित अन्य सेन्य अधिकारियों के कसीदे भले ही पड़ते हो परन्तु जो अदम्य साहस जनरल बीसी जोशी ने दिखाया, वह न केवल उत्तराखण्डियों के लिए अपितु पूरी मानव जाति के लिए गौरव की बात है। जिस प्रकार वर्तमान जनरल सिंह ने देश के हुक्मरानों को सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ खुली विरोध किया उसी प्रकार जनरल बी सी जोशी ने देश की जनता को रौंद रहे हुक्मरानों को लोकशाही का पाठ पढ़ाने का काम किया। यह अदभूत संयोग है कि  नो सेना प्रमुख के पद के लिए चुने गये वाइस एडमिरल देवेन्द्र कुमार के मूल जनपद अल्मोडा स्थित उनके गांव लक्ष्मीपुर के 30 किमी दूरी पर धनिया थौल गांव के ही जनरल बी सी जोशी भी थे। भारतीय नो सेना के भावी प्रमुख वाइस एडमिरल देवेन्द्र कुमार के माता पिता दोनो वर्तमान में देहरादून के बसंत बिहार में रहते है। उनके पिता हीराबल्लभ जोशी भारतीय वन सेवा के मुख्य वन संरक्षक के पद से 1985 में सेवा निवृत हुए। दो बेटियों के पिता वाइस एडमिरल देवेन्द्र कुमार जोशी अपनी पत्नी चित्रा के साथ मुम्बई स्थित वेस्टर्न कमांड में रहते है। भले ही वे साल में एक बार अपने माता पिता के पास देहरादून जरूर आते हों परन्तु दूरभाष से हर दिन माता पिता की खैर खबर लेना नहीं भूलते हैं।  आज इस क्षण मैं जहां नये नो सेना प्रमुख के उज्जवल भविष्य की कामना करता हॅू वहीं भारतीय सेना के जांबाज प्रमुख बीसी जोशी की पावन शहादत को शतः शतः प्रणाम। आशा है उनकी मात्र भूमि व देश भक्ति के प्रति जोशी जी के महान समर्पण से देशवासी प्रेरणा लेंगे। इस अवसर पर शहीद जोशी की धर्मपत्नी व उनके सुपुत्रों को मेरी हार्दिक नमन्। ऐसे महान सच्चे देशभक्त वीर को शतःशतः प्रणाम।

Comments

Popular posts from this blog

-देवभूमि की पावनता की रक्षा की फिर भगवान बदरीनाथ ने- निशंक के बाद मनंमोहन को भी जाना होगा

नव प्रभात शुभ प्रभात हो