अग्रणी समाजसेवी शिव प्रसाद पुरोहित के आकस्मिक निधन से लगा उत्तराखण्ड को गहरा आघात

अग्रणी समाजसेवी व शंकराचार्य माधवाश्रम धर्मार्थ चिकित्सालय ट्रस्ट के महासचिव शिवप्रसाद पुरोहित का 12 सितम्बर 2012 की रात को दिल्ली के साकेत स्थित के मैक्स अस्पताल में  आकस्मिक निधन हो गया। उनके निधन की सूचना से दिल्ली, उत्तराखण्ड, पंजाब, उप्र. गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू सहित देश विदेश में रहने वाले उनके मित्र व शंकराचार्य माधवाश्रम के अनुयायी स्तब्ध और शोकाकुल है।
उनके निधन की सूचना प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र को उनके करीबी मित्र समाजसेवी व दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नेता हरपाल रावत ने दी। उनका अंतिम संस्कार 13 सितम्बर को हरिद्वार में गंगा के पावन घाट पर किया जायेगा। रूद्रप्रयाग जनपद के सणगू गांव के मूल निवासी स्व. शिव प्रसाद पुरोहित हर किसी के दुख दर्द में सम्मलित होने वाले विलक्षण स्वभाव के समाजसेवी थे। वर्तमान में वे संसद भवन के समीप तपेदिक उन्मूलन संस्थान में कार्यरत थे व वहीं पर दशकों से सपरिवार निवास कर रहे थे। वे शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज के अनन्य भक्त थें। उनकी समाजसेवी व समर्पित निष्टा को देख कर ही शंकराचार्य माधवाश्रम जी ने उनको भगवान बदरीनाथ केदारनाथ मार्ग पर रूद्रप्रयाग के समीप पावन कोटेश्वर में शंकराचार्य माधवाश्रम धर्मार्थ चिकित्सालय के भव्य निर्माण व संचालन का महासचिव का गुरूतर दायित्व का निर्वहन कई सालों से कर रहे थे। वे जनसेवा के मिशन में इस कदर समर्पित रहते थे कि उनको अपने परिवार, खाना पीना का भी भान नहीं रहता। आज उनकी इसी तपस्या से जहां कोटेश्वर में इस दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में श्री शंकराचार्य माधवाश्रम धर्मार्थ चिकित्सालय संचालित है। यहां पर सीमान्त व दुरस्थ क्षेत्र के चिकित्सा सुविधा के लिए तरस रहे लोगों  को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। नहीं तो इस क्षेत्र की जनता को इलाज के लिए देहरादून व दिल्ली के दूरस्थ शहरों में मजबूरी में आना पड़ता है। आज शिवप्रसाद पुरोहित के समर्पित समाजसेवी तपस्या व  शंकराचार्य जी के आशीर्वाद से यहीं पर देश के अपोलो सहित कई बडे चिकित्सालयों के अनुभवी योग्य चिकित्सक यहां पर अपनी सेवायें दे रहे हैं और लोगों को एक्सरे, खून आदि सभी जांच यहीं पर मिलती है व महिला चिकित्सकों से युक्त इस चिकित्सालय में सस्ती दवाईयों के साथ अनैक प्रकार के रोगों का आप्रेशन भी हो रहे है। यहां पर अब तक हजारों लोग इस चिकित्सालय से लाभांन्वित हो चूके है।
 उनकी इस निस्वार्थ समाजसेवी भावना से देश के दिग्गज नेता हेमवती नन्दन बहुगुणा उनसे अत्यधिक स्नेह रखते थे। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूडी उनके निस्वार्थ सेवा भाव से उनको अपना छोटा भाई से अधिक मानते थे। उनका उत्तराखण्ड के अधिकांश राजनेताओं से ही नहीं देश के अधिकांश राजनेताओं, उद्यमियों, अधिकारियों, समाजसेवियों व आम आदमियों से गहरा अपनत्व है। उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के समर्पित सिपाई के तरह में सदैव समर्पित रहे। राज्य गठन आंदोलन में श्रीयंत्र काण्ड में शहीद हुई यशोधर बेंजवाल उनके साले थे। दिवंगत श्री पुरोहित के शोकाकुल परिवार में उनके एक पुत्र व एक विवाहित बेटी व पत्नी हैं।
धार्मिक प्रवृति के सहृदयी शिवप्रसाद पुरोहित के निधन पर गहरा दुख पर मुझे गहरा आधात लगा, अपनी कुल इष्टा माॅं भगवती के अनन्य भक्त शिवप्रसाद पुरोहित अपने गांव, जनपद, प्रदेश व देश के सभी अच्छे रचनात्मक कार्यो में जुटे रहते थे। उन्होंने कोटेश्वर में कई चिकित्सा शिविर के साथ पूरे प्रदेश में तपेदिक रोग से मुक्त करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया। वे तपेदिक से पीडि़त उत्तराखण्डियों को इस रोग से निजात दिलाने के लिए हमेशा समर्पित रहे। उन्होंने तपेदिक ऐसोशिएशन उत्तराखण्ड का गठन भी कुछ साल पहले किया। यही नहीं उनके प्रयास व मार्ग दर्शन से देहरादून में इसी ऐसोशियशन की महासचिव पूनम किमोठी ने राष्ट्रीय स्तर का एक विशाल सम्मेलन गत वर्ष देहरादून में किया था। उत्तराखण्ड के अग्रणी समाजसेवी व उत्तराखण्ड आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी नेता हरपाल रावत ने कहा कि ऐसे समर्पित समाजसेवी व सहृदय इंसान का युवा अवस्था में हमारे बीच से यकायक चले जाना समाज के लिए भारी क्षति है। इस शोक की घड़ी में मैं उनके निस्वार्थ मानवसेवा में हरपल संलंग्न रहने की महान प्रवृति को शतः शतः नमन करता हूॅ और भगवान से प्रार्थना करता हॅू कि उनके शोकाकुल परिजनों  को इस असीम दुख से उनको उबारने में शक्ति दी।

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