जर्मन की तरह एक अखण्ड भारत बनेगा भारत, पाक व बंगलादेश ?

भगत सिंह चैक के नाम से जाना जायेगा अब लाहौर चैराहा

अखण्ड भारत की आजादी के महानायक शहीदे आजम भगतसिंह के सम्मान में अखण्ड भारत के ही एक हिस्से रहे पाकिस्तान ने अपने प्रसिद्ध लाहौर चैक का नाम भगतसिंह चैक रखने का निर्णय लिया। गौरतलब है कि 1947 से पहले अखण्ड भारत देश के आजादी के बाद तीन देश बने। ये 1947 में भले ही भारत, पाकिस्तान के नाम से जाने गये। अखण्ड भारत का विभाजन जहां अंग्रेजी हुकुमत ने दूसरे विश्व युद्ध के नायक रहे मित्र देशों के प्रमुख अमेरिका की विश्व में अपना परचम फेहराने की रणनीति का एक खतरनाक हिस्सा था। अखण्ड भारत के विभाजन के लिए अंग्रेजों ने यहां के धर्मांध जिन्ना जैसे लोगों को अपना मोहरा बना कर धर्म के आधार पर मुसलमानों के लिए 14 अगस्त 1947 पाकिस्तान बनाया। वहीं गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने हिन्दु बाहुल्य शेष भारत को धर्मनिरपेक्ष भारत के रूप में 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता हासिल की। इस धर्म के आधार पर हुए विभाजन के कारण अखण्ड भारत के 10 लाख से अधिक निर्दोष भारतीयों का निर्ममता से कत्ल किया गया। अंग्रेजों व कट्टरपंथी धर्मांध नेतृत्व द्वारा मुसलिमों को अलग देश पाकिस्तान गठन करने की मूल धारणा उस समय तार तार हो गयी जब आजादी के ढाई दशक बाद ही पाकिस्तान से बंगलादेश अलग हो कर तीसरे देश के रूप भारत की सहायता से अस्तित्व में आया।
आजादी के बाद अखण्ड भारत के इन तीन देशों का दुर्भाग्य यह है कि अभी तीनों देशों में फिरंगी अंग्रेजी भाषा की गुलामी बद से बदतर जारी है। तीनों देशों में न तो अपनी आजादी का असली इतिहास ही समान रूप से है व नहीं सांझी संस्कृति होने के बाद इन तीनों देशों का अपना कोई स्वाभिमान ही है। ये तीनों देश अंग्रेजी सम्राज्य के प्रतीक काॅमनवेल्थ संगठन के सदस्य बने है। यही नहीं इन तीनों देश पर आज अमेरिका का शिकंजा बुरी तरह से जकड़ा हुआ है।
यही नहीं ये तीनों देश एक दूसरे को अपना सबसे बडा दूश्मन मान कर आपस में एक सांझी विरासत होने के बाबजूद एक दूसरे के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं और यही नहीं एक दूसरे को कमजोर करने के लिए हर उपलब्ध अवसर को हाथ से नहीं गंवाते है। इसी कारण तीनों देश विश्व के बससे गरीब देशों में जाने जाते है। ऐसे माहौल में पाकिस्तान सरकार द्वारा जिस लाहौर की जेल में मार्च 1931 में शहीदे आजम भगत सिंह को फांसी दे दी गई उसी लाहौर का शदमान चैक को अब भगत सिंह चैक के नाम से जाना जाएगा। यह चैराहा वही स्थान है जहां भगतसिंह को फांसी दी गयी। जहां बाद में चैराहा बनाया गया। पाक सरकार के इस निर्णय का  स्थानीय निवासियों के साथ साथ अखण्ड भारत के तीनों देशों के प्रबुद्ध जनों ने शहीद भगतसिंह की जन्म दिवस के आस पास यह कार्य करने के लिए पाक प्रशासन को धन्यवाद दिया। आज भी तीनों देशों में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो फिर से अखण्ड भारत के सपने को साकार करने के लिए खुद को समर्पित किये हुए हैं। काश एक दिन ऐसा आयेगा जब तीनों देशों की जनता फिरंगी सल्तनत के झांसे में आ कर तीन देश बना कर अखण्ड भारत को तबाह करने की भूल को सुधारने का काम करके फिर से अखण्ड भारत का निर्माण करेंगे। ऐसा अखण्ड भारत जहां धार्मिक कट्टरता को कोई स्थान न हो और सब मिल कर फिर से भारत को विश्व का सिरमौर बनाने में जुट जांय। आज भी पूरा विश्व इस बात से विज्ञ है कि जिस दिन भारत, पाक व बंगलादेश एक देश के रूप में पूरे विश्व में अपनी उपस्थिति दर्ज करायेगा उस दिन पूरे विश्व में जहां भारत अमन चैन की राह दिखाने वाली महाशक्ति बनेगा अपितु इसके साथ विश्व को अमेरिका व चीन के शिकंजे से भी मुक्त करने का सपना भी साकार कर पायेगा। इसके लिए जरूरत है तीनों देशों के बीच कट्टपंथियों व अवसरबादी संकीर्ण राजनेताओं से इस क्षेत्र पर लगे ग्रहण को दूर करने की।

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