राष्ट्र वही होता उन्नत समृद्ध जहां गुरूजन होते ऐसे श्रेष्ठ

शिक्षक दिवस पर किसको दिल का दर्दे हाल सुनाऊं
शिक्षा को व्यापार बना दिया है इस भ्रष्ट सरकारों ने 
देश के भविष्य को भी वंचित कर दिया दिव्य ज्ञान से 
शिक्षा को भी व्यापार बना कर देश को करते है तबाह
ऐसे दुशासनों को धिक्कार कर बचाओ भारत महान को
आओ ऐसा दिव्य दीप जलाये जो रोशन करे जग ज्ञान से
शिक्षा बने दिव्य ज्ञान का मंदिर बने न लूटरों की दुकान। 
शिक्षक बने रहे शिक्षक बने न कभी चाकर या दुकानदार।
शौभाग्यशााली रहे हम जीवन में, मिली गुरूजन की छाया
निस्वार्थ, समर्पित प्रेरणा पूंज के बन कर जग रोशन करते
नमन् उन्हें करता हॅू आज शिक्षक  दिवस के पावन पर्व पर
राष्ट्र वही होता उन्नत समृद्ध जहां गुरूजन होते ऐसे श्रेष्ठ
निष्पक्ष, ज्ञान के पूंज बन कर हरते अज्ञानता का ये तिमिर
राष्ट्र धन्य है जहां शिक्षक सदचरित्र ज्ञान के प्रखर सूर्य हो

-देवसिंह रावत

(शिक्षक दिवस 5 सितम्बर की प्रात 8.45 बजे, अपने दिव्य गुरू परम ब्रह्म श्री कृष्ण, माता पिता, प्रथम गुरू मुकुन्दराम सत्ती, सुरेशानन्द सत्ती, श्रीधर प्रसाद नागेन्द्र जी व बलवंत सिंह नेगी के साथ काला बाबा जी आदि गुरूओं का सादर स्मरण करते शतः शतः नमन् )

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