स्वाभिमान व लोकशाही की रक्षा के लिए कांग्रेस को उप चुनाव में हरायें जनता 

उत्तराखण्ड की स्वाभिमानी जनता से विनम्र निवेदन है कि आगामी 10 अक्टूबर को टिहरी लोकसभा उपचुनाव में कुशासन के प्रतीक व देश को मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकवाद से पतन के गर्त में धकेलने वाले कांग्रेस को करारा सबक सिखाने के लिए उसके प्रत्याशी को न केवल हरायें अपितु उसको मजबूत टक्कर देने वाले विरोधी प्रत्याशी को अपना मत दे कर कांग्रेस की हार सुनिश्चित करें। क्योंकि मजबूत टककर देने वाले प्रत्याशी की बजाय  इस उपचुनाव में अन्य को मतदेना एक प्रकार से कांग्रेसी प्रत्याशी को ही मजबूत करने वाला मत माना जायेगा। राजनीति में कई राजनैतिक दल कई प्रकार के हथकण्डे  अपना कर अपने विरोधियों को कमजोर करने के लिए ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारते हैं जो मतों को विभाजन कराये। इसलिए इस उपचुनाव का अर्थ ही  एक है कि प्रदेश की जनता कांग्रेस के कुशासन का समर्थन कर रही है या नहीं। इसलिए इस लोकसभा के चुनाव के मुहाने पर खड़े देश को उत्तराखण्ड की जनता साफ बता दें कि वह कांग्रेस के वर्तमान कुशासन के खिलाफ है। जिस प्रदेश या प्रदेश की जनता सत्तासीनों के गलत कृत्यों का विरोध और अच्छे कार्यो का विरोध नहीं करती है वह प्रदेश, देश व समाज कभी विकास व शांति को नहीं प्राप्त कर सकता है। सत्तासीन कांग्रेस हो या भाजपा या अन्य दल जो भी सत्तासीन हो कर जनतंत्र को कमजोर करे उसे हराना भी लोकशाही की रक्षा करना है। यहां सवाल साकेत बहुगुणा का नहीं है, वे तो टिकट मिलने के बाद ही आम जनता से रूबरू हो पाये। उनका विरोध या समर्थन पर बहस नहीं। वे तो मोहरे हैं कांग्रेस पार्टी के, जिस पार्टी के दिल्ली के मठाधीशों ने अपनी पार्टी के अधिकांश विधायकों व जनांकांक्षाओं को दरकिनारे करके अपने निहित स्वार्थ के लिए जबरन विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के रूप में थोपा। विजय बहुगुणा द्वारा संसदीय सीट से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनारे करके बहुगुणा के राजनीति में नौशिखिये बेटे साकेत को चुनावी दंग में उतार दिया। यह चुनाव प्रदेश की लोकशाही पर ग्रहण लगा रही कांग्रेस व उत्तराखण्ड समर्थकों के बीच में है। यह चुनाव उत्तराखण्ड के हक हकूकों को रौद रही बिजय बहुगुणा की सरकार के कृत्यों से उत्तराखण्ड बचाने के लिए जनता को अपना हक व स्वाभिमान बचाने का अवसर के रूप में है। साकेत के बारे में जनता क्या सोचे जो अभी कभी भी उत्तराखण्ड के दुखदर्द में इस प्रकार से सामने तक नहीं आया, आज जब सांसद बनने का मौका आया तो उन्हें उत्तराखण्ड याद आया। अब राजनीति में आये  हैं तो पांच सात साल बाद जनता उनके कार्यो के अनुसार उन पर विचार कर सकती है, अभी तो वे प्रतीक है कांग्रेस पाटी व विजय बहुगुणा के कुशासन के जो यहां की लोकशाही पर किसी ग्रहण से कम नहीं है।
यह विधानसभा या लोकसभा के  आम चुनाव नहीं अपितु एकाद सीट के रिक्त होने पर हो रहे उपचुनाव है। इसलिए इस सीट से केवल उसी प्रत्याशी को मत दें जो कांग्रेस को प्रबल टक्कर दे रहा हो। जनता को चाहिए कि जो भी सत्तासीन हो कर जनहितों को रौंदने का काम करे उसे लोकशाही का करारा सबक सिखाना ही लोकशाही की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का पहला दायित्व है।
यह ऐसी स्थिति है जब उत्तराखण्ड की लोकशाही को कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व अपने अधिकांश विधायकों की राय को दरकिनारे करके विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बलात थोप कर रौंद रहा है। वहीं जनसेवा में लगे प्रदेश के वरिष्ट नेताओं को दरकिनारे करके फिर विजय बहुगुणा के राजनीति में नौशिखिया बेटे को टिहरी से सांसद का प्रत्याशी बना कर प्रदेश के स्वाभिमान व लोकशाही को रौद रही है। ऐसे में इस उपचुनाव भले ही देश की वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में कोई परिवर्तन नहीं होगा। परन्तु उत्तराखण्ड की स्वाभिमानी जनता को चाहिए कि वह इस उप चुनाव में अपने स्वाभिमान व प्रदेश की लोकशाही को सत्तामद व धनमद में चूर हुए कांग्रेस के मठाधीशों व उनके प्यादे बने उत्तराखण्ड के भाग्य विधाता बने हुक्मरानों को चुनाव में करारी हार दे कर सबक सिखाये। यहां पर एक बात का ध्यान रहे कि यह चुनाव न तो प्रदेश की विधानसभा व नहीं देश की लोकसभा में नयी सरकार के गठन के लिए है। देश लोकसभा चुनाव की देहरी में खडा है। यह चुनाव देश की राजनीति परिदृश्य में कोई परिवर्तन भले ही न कर पाये परन्तु यह चुनाव उत्तराखण्ड की जनता व यहा पर लोकशाही के जीवंत होने का एक ऐतिहासिक परिणाम है। जो इतिहास दशकों पहले गढ़वाल लोकसभा उप चुनाव में  सत्तांध कांग्रेस के नेतृत्व को करारी हार का तमाचा जड़ कर उत्तराखण्ड की जनता ने सिखाते  हुए खुद को उत्तराखण्डी सपूत मानने वाले हेमवती नन्दन बहुगुणा के राजनैतिक भविष्य की रक्षा करने का ऐतिहासिक कार्य किया था। उस सबक से सीख न ले कर फिर कांग्रेस ने उत्तराखण्डियों की गैरत को ललकारने की धृष्ठता की। आज उत्तराखण्ड की जनता को दिखाना है कि धनबल व सत्तामद में लोकशाही को रौदने वाले दुशासनों को चुनाव में पराजित करके यह दिखाना है कि उत्तराखण्ड में किसी लोकशाही को रौदने वालों की कोई जगह नहीं है। यह केवल उत्तराखण्ड की जनता से नहीं अपितु देश में बंगाल सहित समस्त देश में जहां भी इस प्रकार के उपचुनाव हो रहे हैं वहां की जनता को मनमोहन सिंह के कुशासन के खिलाफ जनाक्रोश का परिचय देने व देश की लोकशाही की रक्षा करने के लिए कांग्रेस को हरायें और जो भी दल कांग्रेस को सबसे बडी टक्कर दे रहा है उसके प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करें। धनबल व सत्तामद में चूर कुशासकों को उत्तराखण्ड की जनता बहुत जागृत है। वह जनादेश का हरण धन, सत्ता, शराब व हवाई बातों से करने की हुंकार भरने वालों को करारा सबक सिखा रही है। उत्तराखण्डियों से निवेदन है जो भी प्रत्याशी धनबल या प्रलोभन दे रहे हैं ये संसाधन या धन उनका नहीं अपितु इसी प्रदेश का है, उस पर इनका नहीं उत्तराखण्डियों या समाज का हक है। ये इन प्रलोभनों से हमारे भविष्य का सौदा करने को तुले है इसलिए इनको इनकी भाषा में जवाब दे कर संसाधनों का सदप्रयोग करें और इन धनपशुओं को चुनाव में हरा कर करारा सबक सिखायें।

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