साल में 6 गैस सिलेण्डर देने के मनमोहनी सरकार फरमान से तुगलक भी होते शर्मसार

देश व दल की बागडोर मनमोहन सिंह जैसे गैर राजनैतिक व्यक्तियों के हाथों में सोंपने का दण्ड भोगने के लिए अभिशापित है देश

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस का आला नेतृत्व सोनिया-राहुल व उसके करीबी मंत्री-संतरी बने दरवारी देश की  जनता से कितने कटे हुए है इसका खुलाशा खुद मनमोहन सरकार द्वारा रसोई गैस पर सब्सिडी खत्म करने के नाम से देश की आम जनता के हितों को रौंदने वाला साल में 6 गैस सिलेण्डर सब्सिडी युक्त देने का आत्मघाती तुगलकी ऐलान है। मनमोहन सिंह सरकार की इस जनविरोधी कदम के खिलाफ न केवल देश की आम जनता,यूपीए समर्थक दल,सहित पूरा विपक्ष सडकों में आंदोलनरत है।   मनमोहन सिंह व उनके अमेरिकी परस्त मंत्रियों व सलाहकारों को इतना भी भान नहीं है कि यह भारत है अमेरिका नहीं जहां आदमी अपने परिवार के साथ रहता है एकाकी नहीं। गौरतलब है कि अमेरिका सहित पश्चिमी देशों में अधिकांश लोग एकाकी जीवन जीते है। बच्चे ही नहीं अधिकांश लोग पति पत्नी तक साथ नहीं रह कर एकाकी जीवन जीते है। लगता है कि अमेरिकी मोह में सत्तांध हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक, वित्त मंत्री चिदम्बरम व कपिल सिब्बल लोग जो देश की आम जनता से कटे लोग जब देश का भाग्य विधाता बन जाते है तो उस देश को इसी प्रकार के कुशासन को झेलना पड़ता है। यही नहीं खुद देश की सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व सोनिया गांधी व राहुल गांधी  ही नहीं अपितु उसके सबसे ताकतवर संगठन महासचिव जर्नाजन द्विवेदी, अहमद पटेल व चोधरी बीरेन्द्र सिंह जैसे आम जनता से कटे हुए व देश की जमीनी हकीकत से कौसों दूर पंचतारा संस्कृति में जीने वाले लोगों के कारण देश की आजादी से लेकर देश के निर्माण के लम्बे अनुभवों युक्त पार्टी को भी इतनी सी भी सुझ नहीं रही कि वह अपनी अमेरिकी मोह में अंधी सरकार को 6 सिलेण्डर का आत्मघाती तुगलकी निर्णय लेने पर कड़ी फटकार लगा कर उसे कम से कम प्रति महिने 1 सिलेण्डर  यानी साल के 12 सिलेण्डर करने का निर्णय लेने को मजबूर करे। मनमोहन सिंह का 6 सिलेण्डर का तुगलकी निर्णय न केवल देश की आम जनता का दुश्वार कर रहा है अपितु कांग्रेस की जड़ों में मट्ठा डाल रहा है। मनमोहन सिंह सरकार के कार्यो से साफ लगता है कि कांग्रेस का हाथ आम आदमी ही नहीं अपितु भारत के साथ में न हो कर अमेरिका के साथ है।
देश व दल की बागडोर मनमोहन सिंह जैसे गैर राजनैतिक व्यक्तियों के हाथों में सोंपने का दण्ड देश को व खुद उसके दल को कितना भोगना पड़ता है इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के कुशासन से बदहाल हुए भारत है। जहां अपनी लड़खडाती हुई अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा अमेरिकी उत्पादनों को बढावा देने का खुला आवाहन कर रहे हैं वहीं वे अमेरिका से बाहर काम कराने वाली अमेरिकी कम्पनियों पर अंकुश लगा रहे है। वहीं भारत के प्रधानमंत्री अपने देश की व्यवस्था को वाल मार्ट की तरह मजबूत करने की बजाय इस अमेरिकी कम्पनी को ही भारत में आने के लिए देश के हितों को ही दाव लगाने का कृत्य कर रहे है।
  पूरे देश की आम जनता ही नहीं खुद खांटी के कांग्रेसी भी कांग्रेस सरकार के इस तुगलकी फरमान पर हस्तप्रद हैं। कांग्रेस मुख्यालय का ही नहीं प्रधानमंत्री कार्यालय के कर्मचारी भी इस साल में 6 रसोई सिलेण्डर देने की तुगलकी आदेश से हैरान ही नहीं परेशान है। जनभावनाओं को समझने व उसको स्वीकार करने के बजाय कांग्रेस ने अपनी प्रदेश सरकारों से 6 सिलेण्डरों के साथ 3 सिलेण्डर पर सब्सिडी देने का निर्देश दे कर आम जनता को राहत देने का ढोंग कर रही है। इस प्रकार कांग्रेस शाशित प्रदेशों में 6 के बजाय अब 9 गैस सिलेण्डर सब्सिडी युक्त आम आदमी को मिलेंगे। जबकि आम आदमी ही नहीं आम कांग्रेसियों के साथ साथ ं हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र भी इस गैस व डीजल की बढ़ी हुई कीमतें कम करने की मांग कर चूके हंै। यही नहीं इस जनविरोधी कदम के खिलाफ ममता बनर्जी की तृणमूल पार्टी ने मनमोहन सरकार से समर्थन ही वापस ले लिया है। इसके साथ सप्रंग सरकार के समर्थक घटक डीएमके व बाहर से समर्थन दे रहे सपा व बसपा भी सरकार की इस कार्यवाही के खिलाफ है। परन्तु क्या मजाल सत्तामद व अमेरिकी मोह में देश को रसातल में धकेल रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेस अध्यक्षा को अपनी सरकार के कुशासन से देश की बदहाली व अपनी पार्टी के शर्मनाक पतन का भान तक नहीं है।  अगर कांग्रेस नेतृत्व को देश के जनतंत्र व अपनी पार्टी के हितों का जरा सा भी ख्याल रहता तो वे अविलम्ब 6 सिलेण्डर साल में देने की मनमोहन सरकार की देश की आम जनता को खून के आंसू रूलाने वाले व कांग्रेस की जड़डो में मट्ठा डालने वाले मोहम्मद तुगलक जैसे शासकों को भी शर्मसार करने वाला आदेश को तत्काल संसोधन करके उसे साल में 12 गैस सिलेण्डर करने का तत्काल निर्णय लेती। परन्तु लगता है सत्ता में आसीन होने के बाद अब सोनिया गांधी को देश व कांग्रेस पार्टी के हितों का भी तनिक सी भी चिंता नहीं जो वे इस प्रकार के आत्मघाती कदमों व सलाहकारों से देश व पार्टी दोनों पतन के गर्त में धकेलने दे रही है।

   

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