-मुख्यमंत्री के दिल्ली मोह से प्रेरणा लेकर शायद पर्वतीय क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सकों को भी शहरों में आवास देगी सरकार

-थोक के भाव में चिकित्सकों के स्थानांतरण करने के बाद प्रदेश सरकार का एक और तुगलकी फेसला


लगता है प्रदेश की कांग्रेसी सरकार ने यह प्रेरणा प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रदेश से अधिक दिल्ली में रहने से ले कर इस योजना का ऐलान किया कि पर्वतीय क्षेत्र में तैनात होने वाले चिकित्सकों के लिए सरकार देहरादून, कोटद्वार रामनगर हल्द्वानी, हरिद्वार व रुद्रपुर के शहरी क्षेत्रों में आवास बनाकर देने की योजना है। इससे जो थोड़ा बहुत चिकित्सक भी पर्वतीय क्षेत्र में रहते थे वे शहरी आवास के मोह में महिने में अधिकांश समय अपनी तैनातगी के स्थान के बजाय अपने शहरी आवास में ही मिलेगे। इसका ऐलान प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्रसिंह नेगी ने हल्द्वानी में 16 सितम्बर को प्रदेश की वित्तमंत्री इंदिरा हृदेश के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मलन में किया।  वह इन नीति निर्धारकों को इस बात को समझ लेना चाहिए कि चिकित्सकों को आवास उनके नियुक्त चिकित्सा  लय के समीप ही दिया जाना चाहिए न की सेकडों किलोमीटर दूर। इन शहरी कस्बों में जिन डाक्टरों ने अपने बच्चे रखने हैं वे अपनी सुविधा के अनुसार रखने में सक्षम हैं। परन्तु उनको आवास शहरी स्थानों पर मिलने से वे प्रदेश के मुख्यमंत्री की तरह आये दिन इन शहरी आवासों पर ही रहेंगे या देहरादून में सत्ता के दलालों से अपना स्थानातरण कराने के लिए चक्कर लगाते रहेंगे। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जिस प्रकार से हर सप्ताह दिल्ली में डेरा डाले होते हैं उससे चर्चा जोरों पर है कि दिल्ली के महानगर में बडे लोगों की संगत में रहने वाले मुख्यमंत्री को देहरादून जैसा अपेक्षाकृत छोटे शहर का माहौल नहीं भा रहा है। न तो देहरादून में गोल्फ में ऐसे महारथी व नहीं दिल्ली जेसा पंचतारा संस्कृति की चकाचैंध।  वही रिटायर्ड लोगों के शहर के नाम पर जाना जाने वाला देहरादून में दिल्ली जैसे अंतर राष्ट्रीय सत्ता की हनक कहां। लगता है उत्तराखण्ड की सरकार को न तो प्रदेश के हितों का भान है, नहीं वहां के भविष्य का। जिस प्रकार से कुछ माह पहले चिकित्सकों को बड़ी संख्या में एकसाथ स्थानान्तरण किया गया उससे न केवल विपक्षी दल, आम जनता अपितु सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता भी आंदोलन करने के लिए मजबूर कर दिया था।  गौरतलब है कि सरकार के दिशाहीन हुक्मरानों ने  कुछ माह पहले प्रदेश में थोक के भाव से चिकित्सकों के एक साथ स्थानातरण करके डाक्टरों के अभाव में खुद बीमार पड़ चूके प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र के चिकित्सा व्यवस्था को पूरी तरह से तहस नहस ही कर दिया था।
हालांकि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने दावा कर रहे हैं कि दो वर्ष के भीतर चिकित्सा व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। उन्होंने इस चिकित्सा व्यवस्था को पटरी में लाने में विशेष सहयोग करने के लिए पत्रकार सम्मेलन में उपस्थित  वित्त मंत्री डा. इन्दिरा हृदयेश की खुले दिल से प्रशंसा करते हुए बताया कि स्वास्थ्य से जुड़ी हुई अधिकांश योजनाओं पर केंद्र नब्बे-दस के अनुपात में धनराशि जारी करने को सहमत हो गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि चिकित्सकों की कमियों से जुझ रहे प्रदेश में चिकित्सकों की युद्धस्तर पर नियुक्ति करने के लिए हर मंगलवार को स्वास्थ्य निदेशालय में साक्षात्कार किये जा रहे हैं। इस कार्य में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना का भरपूर लाभ लेने के लिए विशेष प्रयाश किये जा रहे है। इसके साथ ही उन्होंने स्थापित ट्रामा सेंटरों में चिकित्सकों की व्यवस्था के बाद सभी जिलों में बेस अस्पताल की स्थापना का भरोसा दिया है। स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था की वर्तमान जर्जर हालत के लिए पूर्ववर्ती  भाजपा सरकार ही जिम्मेदार है जिन्होंने  चिकित्सकों के साक्षात्कार होने के बाद चार वर्ष तक नियुक्ति नहीं दी गयी। इस कारण पर्वतीय क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था की यह स्थिति हो गयी है।
परन्तु जिस सरकार के मुख्यमंत्री का प्रदेश से अधिक मौह दिल्ली की पंचतारा संस्कृति में हो, जहां के मंत्रियों को उत्तरकाशी में आयी प्राकृतिक आपदा में अपनी सेवायें देने के बजाय विदेशी दौरे करने की ललक हो वहां पर भ्रष्टाचार के रसातल में डूबे सरकारी कर्मचारी अगर शहरों का मोह रखें तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। प्रदेश के इन हुक्मरानों का शहरी मोह इस कदर है कि जनता निरंतर गैरसेंण राजधानी बनाने की मांग करती रही परन्तु क्या मजाल है कि इस प्रदेश के अब तक किसी भी मुख्यमंत्री या जनप्रतिनिधि में इतनी भी नैतिकता या शर्म रही हो कि वह प्रदेश की राजधानी गैरसेंण बनाने के लिए ईमानदारी से पुरजोर प्रयास करे। सभी अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने में लेगे है। यहां के नेताओं व सरकार को इस बात की होश तक नहीं है कि जिस क्षेत्र के लोगों ने अपनी शहादत व संघर्ष करके राज्य बनाया, उनकी जनांकांक्षाओं को पूरा करने का पहला दायित्व वहां की सरकारों का है।

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