उठो निराश न हो महान भारत तुम्हारी राह निहार रहा है !

मेरे साथियों, भारतीय संस्कृति में सदैव असत् को त्याग कर सत को आत्मसात करने की प्रेरणा दी है। कुछ साथी आज के पथभ्रष्ट युवाओं की तरफ देख कर निराश हैं अगर आप भारत के उडि़सा में 16 हजारे से अधिक गरीब आदिवासी बच्चों को पहली से स्नात्तकोत्तर का आवासीय सुविधा सहित शिक्षा देने वाले विश्व में भारत का नाम रोशन करने वाले उडि़सा के भुवनेश्वर में कलिंगा इंस्टीट्यूट के प्रमुख अच्युत सांमत व बिहार में गरीब प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को आईआईटी आदि महत्वपूर्ण परीक्षा में उत्तीर्ण करने की कौचिंग देने वाले सुपर-30 के प्रणेता आनन्द, भारत में दुग्ध क्रांति(श्वेत क्रांति ) के जनक डा वर्गीज कुरियन, देश के पूर्व राष्ट्रपति डा अब्दुल कलाम, मेट्रो मेन इंजीनियर श्रीधरन, अण्णा हजारे व स्वामी रामदेव जैसे हजारों महापुरूषों की तरफ देखें तो आपको भ्रष्टाचार, अशिक्षा, कुशासन व हिंसा से त्रस्त भारत में आशा की नई उत्साहपूर्ण किरण से आपका मर्माहित हृदय अवश्य प्रसन्नता के हिलौरे लेगा। भगवान श्री कृष्ण व राम की यह जन्म व कर्म स्थली भारत अनादिकाल से पूरी सृष्टि को जीवन का अमृततुल्य संदेश देती रही है। भारत कोई अमेरिका या यूरोप जैसा कुछ शताब्दियों का इतिहास युक्त पश्चिमी देश नहीं अपितु हजारों  हजार साल से मानव जीवन को नई दिशा देने वाला पावन देश है। यहां पर रामकृष्ण परम हंस के परम शिष्य स्वामी विवेकानन्द ही नहीं उससे पहले व बाद में हजारों हजार ऐसे युगान्तकारी सत पुरूष हुए जिन्होंने पूरी सृष्टि में अपने युगान्तकारी वचनों से सतमार्ग की राह दिखाई। इसलिए वर्तमान हालत को देख कर आपका निराश होना स्वाभाविक है। परन्तु भारत युगों से हजारों हजार सपूतों से दिशाभ्रमित राष्ट्र व संसार को सही मार्ग दिखाने के लिए कभी गुरू गौरखनाथ, शंकराचार्य, बाल्मीकि, सुरदास, कबीर, गुरू नानक, रैदास, गुरू गोविन्दसिंह, रामकृष्ण परमंहंस, चैतन्य महाप्रभु, संत ज्ञानेश्वर, रामतीर्थ व विवेकानन्द जैसे असंख्य दिव्य महापुरूष जन्म ले कर मानवता का कल्याण करते है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण के परम वचनों पर विश्वास करते हुए आप निश्चिंत हो जायें कि भारत का कोई कुशासक या पथभ्रष्ट लोग नुकसान पंहुचा पायेंगे। इस देश में गंगा की तरह इस देश में उत्पन्न विकारों को दूर करने के लिए निरंतर महापुरूषों का जन्म होता है। इसलिए मोदी द्वारा स्वामी विवेकानन्द को प्रेरणा पूंज मान कर राजनीति करना बहुत ही अनुकरणीय है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि केशव केशव कूकिये, मत कूकिये अषाड, रात दिवस के कूकते कबहूं लगेगी आश’। इसलिए प्रेरणा हमेशा अच्छे लोगों व घटनाओं से लेनी चाहिए। सभी जड़ चेतन में भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप मान कर सबके कल्याण में रत रहना ही सबसे बडी देशभक्ति, प्रभुभक्ति व आत्मभक्ति है। इसी से जग में कल्याण होगा। जय श्री कृष्ण।


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