अपनी जन्मभूमि की भी सुध लें उत्तराखण्डीः इंजी. रतन सिंह गुनसोला


नई दिल्ली(प्याउ)। टिहरी जिला पंचायत अध्यक्ष इंजीनियर रतनसिंह गुनसोला ने  दिल्ली सहित देश विदेश में रहने वाले लाखों उत्तराखण्डियों से खुला आवााहन किया कि अपने विकास के साथ साथ उत्तराखण्ड के  विकास के लिए समर्पित हों कर अपनी जन्मभूमि की सेवा करने के अपने दायित्व का निर्वाह करें। इंजीनियर गुनसोला ने यह आवाहन प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत से 24 फरवरी को दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान एक संक्षिप्त भैंटवार्ता में दी। इंजीनियर गुनसोला 24 ने गढ़वाल भवन दिल्ली की नयी कार्यकारणी के चुनाव में भागलेने आये हुए हजारों की संख्या में पंहुचे उत्तराखण्डियों को अपना यह संदेश देने के लिए पंचकुंया रोड़ दिल्ली में भी पंहुचे। इस भैंटवार्ता में इंजीनियर रतनसिंह गुनसोला ने कहा कि भले ही प्रदेश की अब तक की सरकारें प्रदेश की प्रतिभाओं का सम्मान व उपयोग नहीं कर पा रही है , परन्तु प्रदेश के विकास व यहां के हक हकूकों की रक्षा के लिए जागरूक उत्तराखण्डियों को अपने अपने स्तर पर उत्तराखण्ड में अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में  शिक्षा,रोजगार, चिकित्सा व विकास के अभाव में ही अधिकांश उत्तराखण्डी देश विदेश में पलायन के लिए मजबूर होते है। श्री गुनसोला ने कहा कि हमें उत्तराखण्ड को सत्तालोलुपु नेताओं के रहमोकरम पर न छोड़ कर अपनी जन्म भूमि के विकास में अपना योगदान भी देने के दायित्व का निर्वाह करना चाहिए।गौरतलब है कि प्रदेश में पूर्व भाजपा सरकार के दौरान यहां के जल विद्युत परियोजनाओं में पर्याप्त अनुभव व क्षमता होने के बाबजूद प्रदेश सरकार ने इंजीनियर रतनसिंह गुनसोला जो भाजपा के कद्दावर नेता व जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में बडे उद्यमी है, उनकी घोर अपमानजनक उपेक्षा कर बाहर के बिना अनुभव के रहस्यमय लोगों को वरियता दी तो इंजीनियर रतनसिंह गुनसोला जो टिहरी जिला पंचायत के अध्यक्ष भी है ने इसका पुरजोर विरोध किया और इसमें सीधे अनिमियता का खुला आरोप लगाया ।इससे भ्रष्टाचार मुक्त व भारतीय संस्कृति के अनुसार रामराज्य जैसा साफ सुशासन देने का दावा करने वाली भाजपा ने शर्मनाक मौन साधा। न तो संघ नेतृत्व व नहीं तत्कालीन भाजपा नेतृत्व को ही इतना नैतिक साहस ही रहा कि वे अपने वरिष्ट नेता के इन आरोपों को संज्ञान में ले कर अपनी जनता के समक्ष बेनकाब हो रही सरकार पर अंकुश लगाती। केन्द्रीय नेतृत्व की शर्मनाक मौन देख कर इंजीनियर रतनसिंह गुनसोला ने एक स्वाभिमानी उत्तराखण्डी की तरह भाजपा से तत्काल इस्तीफा दे दिया। हालांकि रतन सिंह गुनसोला द्वारा उठाये गये अनिमियता के आरोपों से जनता में सरकार की भारी किरकिरी हुई इसके साथ न्यायालय ने भी इस पर गंभीर प्रश्न खडे किये, इससे मजबूर हो कर तत्कालीन भाजपा की निशंक सरकार ने यह पूरा आवंटन ही रद्द करना पडा था। इस प्रकरण से साफ हो गया था कि प्रदेश की सरकारें प्रदेश के हितों के लिए नहीं अपितु अपने निहित स्वार्थ में अंधी हो कर प्रदेश के संसाधनों का खुला दुरप्रयोग कर रही है और प्रदेश के प्रतिभावान व क्षमतावान दक्ष लोगों की उपेक्षा करके बाहर के लोगों को संरक्षण दे रही है। इससे लोगों में गहरा आक्रोश है। यह केवल एक ही सरकार में नहीं अपितु राज्य गठन के बाद जिस प्रकार से राज्य के हक हकूकों के साथ व यहां के संविधानिक व गंभीर विषयों में भी महत्वपूर्ण पदों पर प्रदेश के दक्ष लोगों के बजाय बाहर के कम प्रतिभावन निहित स्वार्थी लोगों को थोपा जा रहा है। यह प्रदेश की शासन प्रशासन को पंगु करने के लिए एक दीमक की तरह लग गया है। इसलिए इंजीनियर गुनसोला का यह आवाहन काफी तर्कसंगत है कि प्रदेश के लोगों को प्रदेश के विकास व हक हकूकों को ऐसे जनविरोधी सरकारों के रहमोकरम पर नहीं छोडना चाहिए।

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