डा. श्याम रूद्र पाठक के आंदोलन से मीडिया, सोनिया गांधी, भाजपा व तमाम सामाजिक संगठन बेनकाब


देश से अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त करने के लिए ‘सर्वौच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों में न्याय भारतीय भाषाओं के दिलाने की मांग को लेकर सोनिया गांधी के दर पर 4 दिसम्बर से निरंतर धरना देेने वाले देश के अग्रणी वैज्ञानिक डा श्याम रूद्र पाठक, गीता मिश्रा व प्रोफेसर पाण्डे को 85 दिन से अधिक हो गये। सबसे शर्मनाक बात यह है कि विगत 80 दिन से डा श्यामरूद्र पाठक को एक प्रकार 4 दिसम्बर से पुलिस हिरासत में रखा गया है। वे 4 दिसम्बर से निरंतर दिन में 10 जनपथ सोनिया गांधी के निवास पर धरना देते है उसके बाद सायंकाल दिल्ली पुलिस उनको गिरफतार करके जेल भेजने के बजाय डा श्यामरूद्र पाठक को तुगलक रोड़ थाने में ही बंद रखा जाता है। अपनी मांगों को लेकर डा श्यामरूद्र पाठक 4 दिसम्बर से निरंतर पुलिस की हिरासत में ही रखा गया है और अभी तक उनको न तो न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। वहीं हर सायं डा श्यामरूद्र पाठक को तो पुलिस थाने में ही बंद रखती है वहीं उनकी सह आंदोलनकारिनी गीता मिश्रा को उनके दिल्ली आवास पर पुलिस हर रोज भेज देती है। फिर वह दूसरी सुबह धरने पर आंदोलन के आती है। इस प्रकार देश की लोकशाही की बात करने वाले हुक्मरान डा श्याम रूद्र पाठक के नागरिक अधिकारों का हनन तो कर ही रहे हैं अपितु इसके साथ उनको अवैध रूप से हिरासत में रख रहे है। परन्तु देश की मीडि़या, मानवााधिकार संगठन, भारतीय संस्कृति की बात करने वाले सभी ने शर्मनाक मौन रखा हुआ है।
संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दंभ भरने वाला भारत के हुक्मरानों व इसमें चार दश से अधिक समय तक शासन चलाने वाली वर्तमान सत्तासीन सरकार की प्रमुखा सोनिया गांधी में इतनी नैतिकता नहीं कि वह अपने दर पर 80 दिन से धरना दे रहे प्रबुद्ध देश भक्तों की बात तक सुन सके? उनसे एक पल के लिए मिल सके?
इसके लिए 20 फरवरी को मैने खुद स्वामी अग्निवेश से बात की और भारतीय भाषाओं के पुरोधा वेद प्रताप वैदिक को भी लिखा। हालांकि वैदिक स्वयं 10 जनपथ के समक्ष धरने में पंहुचे थे। परन्तु जिस प्रकार से मीडिया ने मौन साधा है है वह सोनिया गांधी द्वारा की जा रही उपेक्षा से अधिक शर्मनाक है। आखिर भारतीय अस्मिता के लिए आंदोलन करने का दण्ड सोनिया गांधी, भारतीय पुलिस, मीडिया और मानवाधिकार संगठन उन्हें क्यों दे रहे हैं?

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