सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय से अंग्रेजी का कलंक मिटा कर भारतीय भाषाओं में करने को तैयार नहीं मनमोहनी सरकार
इस विषय पर सरकार की तरफ से नहीं निजी विधेयक संसद में प्रस्तुत करने को तैयार कांग्रेस, भाजपा भी समर्थन को आयी आगे
सोनिया के दर पर 68 दिन से निरंतर धरना दे रहे है आंदोलनकारी नेता श्यामरूद्र पाठक व साथी, रात को तुकलक रोड थाने में जमा रहते है
नई दिल्ली(प्याउ)। आजादी के 65 साल बाद भी देश के माथे पर जो विदेशी भाषा अंग्रेजी का कलंक देश के बेशर्म हुक्मरानों ने लगा रखा है उसको मिटाने के लिए देश के अग्रणी वैज्ञानिक श्यामरूद्र पाठक 4 दिसम्बर से सप्रंग सरकार की प्रमुखा सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ की देहरी पर निरंतर धरना दे रहे है परन्तु सोनिया गांधी सहित देश का कोई नेता, समाजसेवी, पत्रकार, आंदोलनकारी उनकी सुध लेने के लिए तैयार नहीं है। 4 दिसम्बर से निरंतर 10 जनपथ के समक्ष धरना देने वाले अग्रणी वैज्ञानिक डा श्याम रूद्र पाठक, गीता मिश्रा व दिल्ली विश्व विद्यालय के प्रोफेसर पाण्डे जी के इस धरने के 67वें दिन बितने पर भारतीय मुक्ति सेना के प्रमुख देवसिंह रावत ने 8 फरवरी को न केवल धरना स्थल पर जा कर उनको अपना समर्थन दिया। इसक ेसाथ आंदोलनकारी गीता मिश्रा के साथ इस विषय में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भी दोपहर साढे बारह बजे भाजपा मुख्यालय में मिले । राजनाथ सिंह से वार्ता के दौरान आंदोलनकारी गीता मिश्रा व देवसिंह रावत ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय से अंग्रेजी का कलंक मिटा कर भारतीय भाषाओं में करने को तैयार नहीं मनमोहनी सरकार तैयार नहीं है परन्तु कांग्रेसी नेता आस्कर फर्नाडिस ने इसी सप्ताह तुगलक रोड़ थाने में रात को रह रहे आंदोलनकारी नेता श्यामरूद्र पाठक को बताया कि वह सरकार की अनिइच्छा व इसके लिए कांग्रेस निजी विधेयक संसद में लाने के लिए तैयार है के सन्दर्भ में बताया। आंदोलनकारियों की बात सुन कर भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा कि यह सरकार देश से विदेशी भाषा का कलंक तो नहीं मिटायेगी परन्तु अगर वह इस सम्बंध में अपने किसी सांसद से निजी विधेयक लाती है तो उसको भाजपा पूरी तरह से खुला समर्थन देगी।
इसके बाद कांग्रेस प्रमुखा के आवास पर धरने में पंहुच कर भारतीय मुक्ति सेना के प्रमुख देवसिंह रावत अपने समाजसेवी साथी मोहम्मद आजाद खान के साथ सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों से अंग्रेजी के कलंक को मिटा कर भारतीय भाषाओं में न्याय दिलाने के आंदोलनकारी नेता श्याम रूद्र पाठक से मिलने 10 जनपथ के धरने में सम्मलित हुए। वहां पर आंदोलनकारी नेता डा श्यामयद्र पाठक ने बताया कि जब देश के उप्र, उत्तराखण्ड सहित कई उच्च न्यायालयों में हिन्दी भाषा में न्याय मिल सकता है तो देश की सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों में न्याय भारतीय भाषाओं में दिलाने में सरकार क्यों 65 साल से मूक बनी हुई है। देश पर विदेशी भाषा को थोपना लोकशाही का गला घोंटने के साथ साथ देश के सम्मान को रौंदने का अक्षम्य अपराध भी है।
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