नन्दादेवी राजजात यात्रा के 19 नहीं 25 पढ़ाव होंगे 


29 अगस्त से 16 सितम्बर 2013 को होगी विश्वविख्यात श्रीनन्दादेवी राजजात यात्रा


नन्दादेवी राजजात समिति द्वारा घाट क्षेत्र की उपेक्षा से आक्रोशित घाट के ग्रामीणों ने विधायक डा जीत राम का घेर
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घाट (प्याउ)। एक तरफ पूरा विश्व के करोडों श्रद्धालु 29 अगस्त 2013 से प्रारम्भ हो रहे श्री नन्दादेवी राजजात यात्रा का बेसब्री से इंतजारी कर रहे है। वहीं नन्दादेवी राजजात समिति द्वारा घोषित 29 अगस्त से 16 सितम्बर तक के 280 किमी लम्बी इस राजजात यात्रा के पडावों पर विवाद हो गया है। श्री नंदादेवी राजजात समिति द्वारा राजजात यात्रा में घोषित 19 पडावों में विकासखण्ड घाट के महत्वपूर्ण पडावों की उपेक्षा करने से आक्रोशित घाट विकासखंड के आंदोलित लोगों द्वारा अपना घेराव करने पर इस क्षेत्र के विधायक डा जीतराम ने जनता को बताया कि श्री नन्दादेवी राजजात यात्रा के पडावों में घाट विकासखण्ड की उपेक्षा किसी भी सूरत में नहीं की जायेगी और उनके ही दवाब में नन्दा देवी राजजात समिति द्वारा पूर्व में घोषित इस विश्व विख्यात यात्रा के 19 पडावों को बढ़ा कर अब 25 पड़ाव कर दिये है। 
गौरतलब है कि पिण्डर घाटी व मंदाकिनी घाटी को नंदा की धरती के रूप में जाना जाता है। इसमें तीन महत्वपूर्ण स्थानों में नौटी, भगोती व कुरूड़ है। नौटी जहां कर्णप्रयाग में तो भगोती नारायणबगड विकासखण्ड व कुरूड़ घाट विकासखण्ड में स्थित है। राजजात समिति द्वारा घोषित 19 पडावों में घाट विकासखण्ड क्षेत्र की उपेक्षा देख कर इस क्षेत्र के लोग न केवल अपमानित महसूस कर रहे हैं अपितु आक्रोशित हो कर आंदोलनरत भी है। ऐसे समय जब स्थानीय विधायक डा जीतराम, घाट विकासखण्ड में सरपाणी गांव में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए घाट से गुजर रहे थे तो बैंड बाजार में लोगों ने उनका घेराव करके इस प्रकरण पर जम कर नारेबाजी करके अपना विरोध प्रकट किया। आक्रोशित लोगों के आक्रोश को जायज ठहराते हुए विधायक डा जीत राम ने लोगों को आश्वासन दिया कि घाट विकासखण्ड का किसी भी हालत में उपेक्षा सहन नहीं की जायेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए और नन्दादेवी में घाट क्षेत्र का विशिष्ट स्थान को देखते हुए ही उन्होंने समिति के 19 घोषित पडावों को बढा कर 25 करा दिया है। घाट क्षेत्र के आक्रोशित लोग इस कदर से नाराज थे कि उन्होंने समिति की रवैये को नंदादेवी की परंपराओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि अगर समिति ने अपना रवैया नहीं बदला तो नौटी की राजजात यात्रा में नन्दा देवी की डोली शामिल नहीं होगी। यही नहीं , वाण से लाटू देवता को सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आमंत्रित किया जाएगा। घाट क्षेत्र की उपेक्षा क्यों की गयी और कुरूड़ जैसे महत्वपूर्ण सिद्धपीठ की उपेक्षा यहां के लोगों की ही नहीं अपितु नंन्दाराज जात की परंपरा में विश्वास रखने वाले श्रद्धालुओं के भी गले नहीं उतर रही है। वहीं प्रदेश सरकार इस यात्रा में देश विदेश के श्रद्धालुओं की भारी संख्या में भागलेने की संभावनाओं को देख कर इसकी तैयारी के लिए केन्द्र सरकार से विशेष सहयोग देने का अनुरोध कर रही है। वहीं इस 280 किमी लम्बे यात्रा की सभी मार्ग व पडावों में हजारों हजार यात्रियों के लिए पीने के पानी, बिजली, स्वास्थ्य, ठहरने व परिवहन सहित तमाम प्रकार की व्यवस्थाओं को यात्रा के अनुकुल बनाने की तैयारियों पर प्रशासन व समिति जुटे हुए है।


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