दामिनी प्रकरण के दो महिने पूरे होने पर आंदोलनकारियों ने किया  जंतर मंतर से इंडिया गेट तक  विरोध मार्च



16 दिसम्बर को दिल्ली में चलती बस में पेरामेडिकल की छात्रा दामिनी के साथ हुए सामुहिक बलात्कार की पूरे विश्व में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना के दो माह होने पर 16 फरवरी को 16 दिसम्बर क्रांति के आंदोलनकारियों ने पुलिस व वर्षा को धत्ता बताते हुए जंतर मंतर से इंडिया गेट तक विरोध मार्च निकाला और अमर जवान ज्योति पर दामिनी को श्रद्धांजलि देते हुए इस प्रकरण के सभी 6 गुनाहगारों को फांसी की सजा देने की मांग की। ‘16 दिसम्बर क्रांति ’संगठन में  आम आदमी, छात्र-छात्रायें, बुजुर्ग, महिलायें व नौजवान जुडे हैं। जो देश में महिलाओं पर हो रहे निरंतर यौन अत्याचार के खिलाफ व्यापक जन जागरण करने व कडे कानून बनाने के लिए जंतर मंतर पर 24 दिसम्बर से डटे हुए है। हालांकि इन आंदोलनकारियों का मनोबल तोडने व इनको बदनाम करने के लिए किये जा रहे तमाम घिनौने हथकण्डे भी इनके समर्पण को कमजोर नहीं कर पा रहे है।
गौरतलब है कि 16 दिसम्बर क्रांति के बेनरतले दिल्ली मे दामिनी से हुए ंसामुहिक बलात्कार प्रकरण के दोषियों सहित महिलाओं से हो रहे अत्याचार के खिलाफ कड़ी सी कड़ी सजा देने की मांग को लेकर 24 दिसम्बर से संसद की चैखट राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर पर पर निरतंर धरना व प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रकरण के विरोध में जो जनसैलाब 22 व 23 दिसम्बर को इंडिया गेट से लेकर विजय चैक राष्ट्रपति के द्वार तक उमड़ा, उससे देश हुक्मरान इतने भयभीत हो गये हैं कि 24 दिसम्बर से जंतर मंतर पर बीचों बीच सड़क को अवरूद्ध करके धरना व आंदोलन आज भी जारी है।
 इंडिया गेट पर इस प्रकरण में मारी गयी दामिनी को श्रद्धांजलि देने के बाद जब नारे लगाते हुए आंदोलनकारी वहां से पैदल मार्च करते हुए वापस जंतर मंतर धरना स्थल पर पंहुचे। इस प्रकरण में सम्मलित आंदोलनकारी ने बताया कि जंतर मंतर से इडिया गेट  तक के मार्च में किसी पुलिस वालों ने उनका रास्ता नहीं रोका। हाॅं जब इंडिया गेट पर चंहुचे तो पुलिस वालों ने आंदोलनकारियों से इंडिया गेट पर प्रदर्शन करने की अनुमति के बारे में प्रश्न किया तो आंदोलनकारियों ने पुलिस अधिकारियों व जवान से प्रतिप्रश्न किया कि क्या जिन बलात्कारियों ने दिल्ली की सड़क पर चलती बस में  दामिनी के साथ सामुहिक बलात्कार क्या अनुमति ले कर किया था? आंदोलनकारियों के क्रांतिकारी तैवर देख कर पुलिस मूक हो गयी और आंदोलनकारी इंडियागेट पर श्रद्धांजलि देने के बाद जलूस के रूप में वापस जंतर मंतर लोट आये।  गौरतलब है कि 23 व 23 दिसम्बर के बाद से दिल्ली पुलिस ने जंतर मंतर व रामलीला मैदान को छोड़ कर पूरे नयी दिल्ली क्षेत्र में धरना प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाते हुए धारा 144 लगा दी है। उसके बाद कई बार आंदोलनकारियों ने जंतर मंतर से इंडिया गेट तक जलूस निकालने या सीधे इंडिया गेट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की कोशिश की परन्तु पुलिस ने उनके मंसूबों को विफल कर दिया था। 16 फरवरी को दामिनी प्रकरण के दो माह पूरे होने पर जंतर मंतर पर 24 दिसम्बर से निरंतर आंदोलन कर रहे 16 दिसम्बर क्रांति के नाम से आंदोलन छेड़े हुए आंदोलनकारियों ने दिन भर हुई वर्षा की परवाह न करते हुए जहां जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया वहीं पुलिस की इस पावंदी को दरकिनारे करते हुए इंडिया गेट तक मार्च का आयोजन किया । इस घटना पर टिप्पणी करते हुए आंदोलनों के मर्मज्ञों ने एक ही बात कही कि दिल्ली पुलिस जो चंद घण्टे के लिए जंतर मंतर या संसद मार्ग में मोटर मार्ग अवरूद्ध करने वाले हजारों की भीड़ को भी एक तरफ किनारा कर देती है, वह पुलिस इस प्रकार दो महिने तक मूक रहे व इडिया गेट तक जाने दे तो इससे स्पष्ट होता है कि देश के हुक्मरानों के दिलो दिमाग में आज भी 22 व 23 दिसम्बर को उमडे़ जल सैलाब से भयभीत हैं। इसी भय से भयभीत हो कर हुक्मरानों ने दिल्ली पुलिस से आंदोलनकारियों से किसी प्रकार की शक्ति न करने का कडे निर्देश दिये होंगे। वहीं आंदोलनकारी इस प्रकरण पर अध्यादेश जारी होने व इन अपराधियों पर त्वरित न्यायालयों में मामला चलाने के बाबजूद अभी तक आंदोलन का मोर्चा जारी रखे हुए है। आंदोलनकारी सरकार से इस प्रकरण के सभी छह आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहैं और सरकार से बलात्कार के मामलों में कड़ी सजा देने की पुरजोर मांग कर रहे है।

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