सत्तांधों के कुशासन के कारण अपराध की भी राजधानी बन रही है दिल्ली!
दिल्ली में एक और अरबपति दीपक भारद्वाज की उसके ही फार्म हाउस में हत्या
दिल्ली में आज मंगलवार 26 मार्च को जिस प्रकार से 2009 के लोकसभा चुनाव में 604 करोड़ की सम्पति घोषित करने वाले पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट से बसपा के प्रत्याशी के रूप में उतरे उस लोकसभा चुनाव के देश में सबसे धनिक प्रत्याशी के रूप में विख्यात रहे 62 दीपक भारद्वाज को आज 26 मार्च की प्रातः 9.15 बजे को उनके बसंत कुंज फार्म हाउस नितीश कुंज में 3 हमलावरों ने गोली मार कर हत्या कर दी।
उल्लेखनीय है कि 1951 में साधारण परिवार में जन्में बसपा नेता 20 साल पहले दीपक भारद्वाज बाढ़ डिपार्टमेंट में एक लिपिक थे। चंद सालों में वे जाने माने करोबारी के रूप में स्थापित हो गये। मारे गये दीपक भारद्वाज के कारोबार में रियल स्टेट, द्वारका में स्कूल, रियल स्टेट के तहत हरिद्वार में एक टाउनशिप प्रोजेक्ट और दिल्ली गुड़गांव में उनके होटल आदि में करीब अब 2000 करोड़ सम्पति का सम्राज्य भी छोड गये है। दीपक भारद्वाज की उनके बसंतु कुंज स्थित फार्म हाउस में हत्या की घटना ने कुछ महिने पहले नवम्बर 2012 में दिल्ली में एक फार्म हाउस में जिस प्रकार से रियल स्टेट व शराब के बडे करोबारी पौंटी चढ़ढा व उसके भाई की उनके ही दिल्ली के फार्म हाउस में हुई हत्या के प्रकरण को लोगों के जेहन में जिंदा कर दी।
दिल्ली में कानून व्यवस्था की हालत दिन प्रति दिन बद से बदतर हो रही है। यहां पर आये दिन हो रही बलात्कार की घटनाओं से देश विदेश में आम भारतीयों का सर शर्म से झुक रहा है। अपितु यहां पर नवधनाड्य अरबपतियों की जिस प्रकार से दिन दहाडे हत्या हो रही है उससे भी दिल्ली को अपराधियों की राजधानी के रूप में कुख्यात हो रही है। दिल्ली में अपराध की ताड़बतोड़ हालत इतनी दयनीय हो गयी कि यहां पर 15 सालों से राज करने वाली दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित यह बात खुद ही स्वीकार करती कि उनकी बेटी भी खुद को दिल्ली में सुरक्षित नहीं समझती है। यही नहीं वह दिल्ली की सुरक्षा में लगी दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली से कई बार नाखुशी जाहिर कर चूकी है। यही नहीं दिल्ली में 16 दिसम्बर को हुई 23 वर्षीया छात्रा के साथ चलती हुए विभत्स बलात्कार के बाद ताड़ब तोड़ बलात्कारों की घटनाओं से अमेरिका सहित विश्व के कई देशों को अपने नागरिकों को भारत में सावधानी बरतने का निर्देश देना पडा। इन तमाम घटनाओं के बाद देश में कानून व्यवस्था में सुधार करने के लिए कठोर कानून बनाने व आरोपियों को तुरंत कडा दण्ड देने के लिए पूरे तंत्र में सुधार करने के बजाय सरकार जनभावनाओं के अनुरूप समय पर कदम उठाने को तत्पर नहीं है। शर्मनाक हालत यह है कि दिल्ली की दामिनी को अमेरिका की सरकार तो पुरस्कृत करती है परन्तु दामिनी प्रकरण पर घडियाली आंसू बहाने वाली सोनिया व मनमोहन की सरकार ही नहीं अपितु दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को दिल्ली की जलविहार की 17 वर्षीया 11वीं कक्षा की गरीब बहादूर दामिनी की सुध लेने की होश तक नहीं रही। ऐसे शर्मनाक सत्तासीनों के कुशासन के कारण देश में दिन प्रति दिन जहां मंहगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद से आम आदमी का जीना दुश्वार हो रखा है वहीं अपराधियों में कानून व्यवस्था का भय समाप्त हो कर यहां पर न केवल बलात्कार व हत्या हो रही है अपितु देश के हितों को बेशर्मी से रौंदा जा रहा है।
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