शीला दीक्षित ने ही बेनकाब किया मनमोहन सरकार में महिलाओं की सुरक्षा के खोखले दावे को 


महिला डाकघर खोलने जैसे नौटंकी करके नहीं होगी महिला सुरक्षा 

नई दिल्ली (प्याउ)। देश में महिलाओं के खिलाफ निरंतर अपराधों में बेतहाशा बृद्धि होने से पूरे विश्व में भारत को शर्मसार होना पड रहा है संसद से लेकर संसद की चैखट जंतर मंतर पर 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला संगठन कानून व्यवस्था व महिलाओं को बराबरी का दर्जादेने के लिए धरना प्रदर्शन कर रही थी उसी दिन उत्तराखण्ड में पुरोला विकासखण्ड के उपला मठ गांव में एक बुर्जुग 77 वर्षीया महिला को डायन बता कर पीटा गया। इसी दिन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कानून व्यवस्था सुधारने के बजाय लोगों का मनोबल तोड रही थी कि उनकी बेटी भी दिल्ली मे खुद को असुरक्षित महसूस करती है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में भारत में इसी कुशासन के कारण 16 दिसम्बर को सामुहिक बलात्कार की शिकार हुई 23 वर्षीया जांबाज दामिनी को मरणोपरांत साहसिक महिला के पुरस्कार से  नवाज कर एक प्रकार भारतीय कानून व्यवस्था को करारा तमाचा जडा। परन्तु देश सहित पूरे विश्व में सरकार की अक्षमता के कारण अपराधों में हो रही बढोतरी से हो रही किरकिरी से सबक ले कर सरकार अपराधों पर अंकुश लगाने के पहले दायित्व को पूरा करने के बजाय दिल्ली में महिला दिवस के उपलक्ष में शास्त्री भवन में देश का पहला महिला डाकघर खोल कर महिलाओं का सच्चा हितैषी होने का नाटक कर रही थी। सरकार ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि यह पहला महिला डाकघर है इसकी सभी कर्मचारी महिलायें ही है। इससे महिलाओं  का क्या हित सधेगा, इससे महिलायें कितनी सुरक्षित महसूस करेगी यह तो सरकार के नीतिकार ही जाने परन्तु हकीकत यह है यह सरकार संसद से चंद कदमों की दूरी पर देश के प्रमुख व विशिष्ट ‘पटेल चैक नई दिल्ली वाले डाकघर में ही लोगों को सही व सुचारू डाकसेवा देने में दिन प्रति दिन असफल रही है। उसमें सुधार तक नहीं कर पा रही है तो  इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश के दूर दराज के डाकघरों की स्थिति कितनी दयनीय होगी।
कांग्रेस गठबंधन की मनमोहनी सरकार में देश की महिलायें बेहद असुरक्षित है इसको किसी विरोधी ने नहीं अपितु दिल्ली की कांग्रेसी सरकार की 15 साल से सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने ही बेनकाब कर दिया कि देश की राजधानी दिल्ली में उनकी बेटी भी खुद को असुरक्षित महसूस करती है। अब मनमोहन सरकार व कांग्रेस किस मुह से दावा करती है कि देश में कानून व्यवस्था ठीक है जबकि उनकी खुद की मुख्यमंत्री जो 15 साल से दिल्ली में राज कर रही है वह खुद कह रही है कि उसकी बेटी भी दिल्ली में खुद को असुरक्षित महसूस करती है। शीला दीक्षित के इस रहस्योघाटन के बाद अब कांग्रेस जिसकी प्रमुखा देश की ही नहीं विश्व की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में जानी जाती है उसकी भी सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने में पूरी तरह असफल रही। हालांकि महिलाओं के कल्याण के लिए कांग्रेस सरकार महिलाओं को संसद से विधानसभा में आरक्षण देने के जो दावे वर्षो से कर रही थी वह अपने इस दस साल के शासनकाल में शायद ही पूरा कर पायेगी। सोनिया गांधी व मनमोहन सिंह को साफ समझ लेना चाहिए कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए ईमानदारी से ठोस कार्य करने से होगी न की महिला डाकघर खोलने के हवाई नौटंकियां करने से।

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