कैसे खेलें अब खुले मन से रंगों की होली 


जिस देश के खेवनहार ही खेल रहे हों यहां भ्रष्टाचार की होली,
आप ही बताओं हम कैसे खेलें अब खुले मन से रंगों की होली ।।
पाक, चीन व अमेरिका मिल कर खेल रहे हों आतंक की होली
आप ही बताओं हम कैसे खेलें अब खुल
े मन से रंगों की होली ।।
जिस देश की आजादी व तंत्र को गुलाम बना रही हो अंग्रेजी
आप ही बताओं हम कैसे खेलें अब खुले मन से रंगों की होली ।।
जहां न्याय, प्रतिष्ठा शिक्षा, रोजगार पर बेठी हों फिरंगी बोली
आप ही बताओं हम कैसे खेलें अब खुले मन से रंगों की होली ।।
लाखों बच्चें भूखे, नंगे दर दर भटकें खेलें अरमानों की होली
आप ही बताओं हम कैसे खेलें अब खुले मन से रंगों की होली ।।
शिक्षा, स्वास्थ्य,न्याय रोजगार से वंचित जनता मंहगाई की मारी
आप ही बताओं हम कैसे खेलें अब खुले मन से रंगों की होली ।।
केवल आसरा श्रीकृष्ण का है ,बजाओ अब परिवर्तन की रणभेरी
मिटे संताप जनजन का साथी, चारों तरफ हो प्रेम की होली।।

देवसिंह रावत 

(होली के पावन पर्व बुद्धवार,27 मार्च को दिन के 11.42 बजे)

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