निशंक की धमकी से सहमें विजय बहुगुणा, भाटी आयोग भंग और त्रिपाठी बने अध्यक्ष


देहरादून 26 मार्च(प्याउ)। 25 मार्च को भाजपा मुख्यालय में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रेसवार्ता करके प्रदेश की विजय बहुगुणा सरकार को सीधे चुनौती देते हुए कहा कि अगर सरकार ने 15 दिन के भीतर भाटी आयोग को भंग करने की मांग पर अमल नहीं किया तो भाजपा अगला कदम उठाएगी।’ भाजपा नेता निशंक की धमकी के कुछ ही घण्टे के अंदर प्रदेश सरकार ने भाटी आयोग भंग करके उप्र के पूर्व आईएएस अधिकारी सुशील चंद्र त्रिपाठी को भाजपा शासनकाल में हुए कथित घोटालों की जांच के लिए गठित आयोग के अध्यक्ष बनाया। इससे पहले इसी आयोग के अध्यक्ष केआर भाटी ने तराई विकास बीज निगम में भाजपा शासन काल में हुए घोटाले की रिपोर्ट पेश करके प्रदेश की राजनीति में एक प्रकार का तूफान ही मचा दिया था। भाटी आयोग की रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व टीडीसी के तत्कालीन अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी सहित तत्कालीन प्रमुख सचिव व एफआरडीसी को अनियमितता का दोषी ठहराया गया है। इससे पूरे प्रदेश की राजनीति गरमा गयी। भले ही कांग्रेसी नेता इशारे इशारों में निशंक को शिकंजे में लेने के दम भरते रहे पर असलियत तब सामने आयी जब प्रदेश सरकार के इशारे पर इस मामले को पुलिस में बिना नाम के दर्ज किया गया। हालांकि भाटी आयोग ने सीधे सीधे नाम ले कर आरोप लगाये थे। इसके बाद निशंक ने जब अपने तैवर दिखाये तो विजय बहुगुणा सरकार की हवाईयां उड गयी और आनन फानन में भाटी ने इस आयोग से इस्तीफा दे दिया और उप्र के पूर्व अधिकारी को इस आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया। इस प्रकार निशंक के आगे बहुगुणा सरकार पूरी तरह दण्डवत हो गयी। क्योंकि बहुगुणा सरकार के कई कार्यो पर भाजपा पहले ही प्रश्न उठा चूकी है। इसलिए बहुगुणा सरकार ने निशंक से सीधे टकराव न लेने का निर्णय ले लिया हो। अब ये घोटाले पूर्व भाजपा की सरकारों जिन्होंने तिवारी शासन काल के घोटालों की जांच को कछुये की गति से करा कर जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए किया था, उसी तर्ज पर चले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इस प्रकार एक दूसरे पर कार्यवाही न करने का अघोषित समझोता लगता है कांग्रेस व भाजपा के बीच हो गया है।

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