भ्रष्टाचार में रंगे सत्तालोलुपु भैडिये खेल रहे हैं जनहितों के गला घोंटने की होली

बहुगुणा से तत्काल मुक्ति दे कांग्रेस आला कमान 


रंगो के इस पावन त्यौहार होली कें रंगों में रंगी हुई उत्तराखण्ड की धरती में इन दिनों यहां के सत्तासीन कांग्रेसी हुक्मरान व विपक्षी भाजपा एक दूसरे का भ्रष्टाचार किचड से मुुंह काला करने में लगे हुए है।  वहीं सत्तापक्ष विपक्षी दल भाजपा के पूर्व हुक्मरानों पर भ्रष्ट्राचार में बदरंग उनकी भाटी आयोग द्वारा तैयार किया गया आइना दिखा रहा है। वहीं विपक्षी प्रदेश में सिडकुल सहित कई प्रकरणों में लिप्त प्रदेश की बहुगुणा सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे है। प्रदेश में सत्तासीन मुख्यमंत्री के उत्तराखण्ड विरोधी कार्यों को देखते हुए प्रदेश की जनता इस बात से हैरान है कि आखिर प्रदेश व कांग्रेस की लूटिया डुबाने में लगे मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को क्यों अब तक मुख्यमंत्री के पद पर कांग्रेस नेतृत्व ने बनाये रखा है। आखिर क्यों कांग्रेसी नेतृत्व को यहां पर आसीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की तार तार हो चूकी लोकप्रियता दिखाई नहीं दे रही है। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 2014 में क्या कांग्रेस पार्टी ऐसे की मुख्यमंत्री को यहां पर बनाये रखेगी जो अपनी लोकसभाई सीट टिहरी पर अपने मुख्यमंत्री रहते हुए अपने बेटे को नहीं जीता पाया तो कैसे वह व्यक्ति प्रदेश की पांचों लोकसभा सीट के साथ साथ देश में 35 उत्तराखण्डी प्रभावित लोकसभाई सीटों पर कांग्रेस की चुनावी नौका को पार लगायेगा। वेसे भी देश की राजनीति में माहौल बनाने के लिए प्रसिद्ध देश विदेश में रहने वाले सवा करोड़ से अधिक जागरूक उत्तराखण्डी समाज बहुगुणा को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बनाये जाने से बेहद खपा है। प्रदेश में कांग्रेसी विधायकों की इच्छा के विरूद्ध भी जा कर विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के रूप में बलात थोप कर कांग्रेस आला नेतृत्व ने उन उत्तराखण्डियों को नाराज किया जिन्होंने भाजपा, अण्णा-केजरीवाल व रामदेव के तमाम विरोध के बाबजूद भाजपा के भ्रष्टाचारों से मुक्ति दिलाने के कांग्रेस पर भरोसा किया था।
उत्तराखण्ड को कम कर समझने की भूल कांग्रेसी नेतृत्व को ही नहीं भाजपा के नेतृत्व को भी कई बार आत्मघाती साबित हुई। मुलायम सिंह 1994 के मुजफरनगर काण्ड के कृत्य के अभिशाप से आज तक भी तमाम तिकडम करने के बाबजूद नहीं उबर पाया। उत्तराखण्ड में कभी क्षेत्रवाद नहीं राष्ट्रवाद व न्यायवाद ही विजय रहता है। अपना सर्वस्व राष्ट्र, मानवता व भारतीयता के लिए समर्पित करना ही उत्तराखण्ड की मूल प्रकृतिदत्त प्रवृति है। यह सदियों से विश्व संस्कृति का उदगम स्थली रही। इस सीमान्त प्रदेश जो गंगा यमुना व भगवान बदरीनाथ व केदारनाथ की पावन देवभूमि को आज यहां के हुक्मरानों ने शराब का गटर बना दिया। यहां पर वर्तमान बहुगुणा सरकार जो गांवों में पानी, बिजली, चिकित्सा व शिक्षा तथा रोजगार उपलब्ध नहीं करा पा रही है वह अब शराब को गांव गांव व कस्बे कस्बे तक पंहुचा कर इसको तबाह करने को तुली है। वेसे भी उत्तराखण्ड का समाज शराब के माफियाओं के मकड़ जाल में फंस कर त्रस्त है। अब सरकारें इन्हीं शराब के माफियाओं से प्रदेश को लुटवाने के लिए पूरे प्रदेश को शराब का गटर बना कर यहां के नौनिहालों का भविष्य चोपट करना चाहती है। भू माफियाओं से यहां की बहुकीमती जमीने कोडियों के भाव लुटवायी जा रही है। यहां पर जिस प्रकार से घुसपेटियों को मात्र वोटों के लालच में बसा कर इस सीमान्त प्रदेश को भी असम, बंगाल व उप्र की तरह तबाह करना चाह रहे है। प्रदेश के अब तब के हुक्मरानों ने यहां पर पहले ही जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई परिसीमन थोप कर प्रदेश के राजनैतिक ताकत को कुंद कर दिया। अब मूल निवास प्रमाण पत्र, मुजफरनगर काण्ड, स्थाई राजधानी गैरसैंण व प्रदेश में बाहरी प्यादों को महत्वपूर्ण पदों में आसीन करके यहां के हक हकूकों को रौंदा जा रहा है। यहां पर केवल कमिशन के खातिर अंधाधुंध बांध बना कर यहां के लोगों के जीवन को नारकीय गर्त में धकेलने की कुचैष्टायें की जा रही है। इन सबके लिए यहां के निर्वाचित मुख्यमंत्री रहे तिवारी, खण्डूडी, निशंक व बहुगुणा पूरी तरह से जनता के हितों का गला घोंटने वाले साबित हुए।
प्रदेश की जनता यह देख कर ठगी महसूस कर रही है। वह समझ नहीं पा रही है कि इन नेताओं की अक्ल आखिर कहां घास चरने चले गयी। ये कल तक स्वयं को सबसे बडे जनसेवक व प्रदेश के हितैषी बता रहे थे। परन्तु जैसे ही इनको सत्ता मिलती है वे सबकुछ भूल कर केवल प्रदेश के संसाधनों को लूटने व लुटवाने में क्यों लग जाते है। ये क्यों भूल जाते हैं कि सत्ता का रंग होली की रंग की तरह ज्यादा समय नहीं चढ़ने वाला।
उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य देश की तरह ही रहा। जनहितों को साकार करने के बजाय यहां के हुक्मरान अपने निहित स्वार्थ व अपने आकाओं के लिए प्रदेश का दोहन व शोषण करते रहे। प्रदेश में सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री न जाने केवल 12 साल में ही इतनी जल्दी कैसे भूल गये कि जिस उत्तराखण्ड राज्य का गठन ही प्रदेश के विकास, सम्मान व संस्कृति को बचाने के लिए किया गया था। जिस राज्य गठन के समय से ही उत्तराखण्ड की  आंदोलनकारी जनता उत्तराखण्ड की जल, जंगल व जमीन को बचाने के लिए यहां पर हिमाचल की तरह यहां पर अंकुश लगाने की मांग कर रहे थे। उसी उत्तराखण्ड में आज ऐसी जनविरोधी कांग्रेसी सरकार विजय बहुगुणा के नेतृत्व में आसीन हो गयी है वह जनता की यह मूल भावना का गला घोंटते हुए पूरे प्रदेश को ऐसे बिल्डरों के रहमों करम पर झोंक रहा है।
इस पखवाडे उत्तराखण्ड, ब्रज ही नहीं देश विदेश में रहने वाले करोड़ों भारतीय होली का पावन पर्व को मना रहे है। वहीं प्रकृति भी बसंत के रूप में होली का त्यौहार मना कर पूरी सृष्टि के हर रंग में रंगीन करने में जुटी हुई है। प्रकृति जहां सृजन व विनाश के अदभूत रंगों से अपनी अदभूत सृष्टि को नया संदेश देती है। परन्तु प्रकति के इस स्पष्ट संदेश के बाबजूद इस सृष्टि में मानव रूपि जीव सारी सृष्टि का अपने निहित स्वार्थो के लिए जहां अंधाधुंध दोहन करके इस अदभूत सृष्टि के सौन्दर्य पर ग्रहण लगाने की कुचेष्टा कर रहा है। पूरी सृष्टि में इन दिनों जहां पैड पोधे नयी कोंपले, पत्तियों व फूलों से नयी नवेली दुल्हन की तरह सजी हुई है। वहीं इस पृथ्वी ग्रह के हुक्मरान जनहित के नाम पर भ्रष्टाचार, आतंक व शोषण के रंग में रग कर पूरे विश्व के अमन चैन, विकास व जन जीवन पर अभिशापित कर रहे है। ऐसा ही शर्मनाक प्रकरण  संसार की एकमात्र फूलों की धाटी व इस सृष्टि के दिव्य समाधानखण्ड की पावन धरती उत्तराखण्ड में भी घटित हो रहा है। भगवान श्रीकृष्ण ही रक्षा करेंगे उत्तराखण्ड का। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।

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