विनाषकारी आपदा से तबाह केदारनाथ जाने के बजाय दिल्ली में प्रधानमंत्री से सहायता की गुहार लगाने आये मुख्यमंत्री, आपदा मंत्री व रूद्रप्रयाग के विधायक


रूद्रप्रयाग में मुख्यमंत्री बहुगुणा, आर्य व हरक सिंह का हुआ भारी विरोध 

प्रदेश के एक मंत्री को लगाई कांग्रेसी प्रभारी ने दिल्ली आने पर डांट 

राहुल गांधी को जन्म दिवस की बधाई देने का साहस नहीं कर पाये दिल्ली में पंहुचे नेता


मुख्यमंत्री सहित वरिश्ठ नेताओं  के दिल्ली में आने पर लोग हैरान

केन्द्र सरकार ने दिये 1000 करोड़ की सहायता


दिल्ली में बनाया उत्तराखण्ड निवास में एक अस्थाई नियंत्रण कक्ष,


प्रधानमंत्री राहत कोषा से प्रत्येक मृतक को 2 लाख व घायलों को 50 हजार 


नई दिल्ली।  उत्तराखण्ड में आयी विनाशकारी तबाही से सबसे प्रभावित स्थान केदारनाथ या उत्तरकाशी में डेरा डाल कर शासन प्रशासन को आपदा राहत पंहुचाने में तेजी लाने का काम तथा इस आपदा से पीड़ितों का ढाढश बढाने के बजाय उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य व प्रदेश सरकार में कबीना मंत्री रूद्रप्रयाग के विधायक डा हरक सिंह रावत के साथ-साथ प्रदेश के प्रमुख सचिव सुभाष कुमार व मुख्य सचिव वित्त राकेश शर्मा,के साथ प्रधानमंत्र.ी सेे आपदा पर सहायता लेने के लिए दिल्ली में आ धमके। जबकि प्रदेश कबीना मंत्री इंदिरा हृदेश भी दिल्ली में है।
दिल्ली में प्रदेश की एक बडे नेता को दिल्ली में उत्तराखण्ड की प्रभारी ने इस बात के लिए डांट लगायी कि प्रदेश की हालत इतनी दयनीय है और तुम लोग दिल्ली में घूम रहे हो। इसकी खबर सुन कर दिल्ली में एक दर्जन के करीब कांग्रेस के दिग्गज किसी नेता ने राहुल गांधी को उनके जन्म दिवस पर बधाई देने की हिम्मत तक नहीं की।
 प्रदेश से मिल रही खबरों के अनुसार प्रदेश की जनता प्रदेश के इन हवाई सरकार से असंवेदनशीलता से बेहद नाराज है। इसका एक नमुना सबसे प्रभावित जनपद रूद्रप्रयाग में 19 जून को तब देखने को मिला जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बहुगुणा, आपदा मंत्री यशपाल आर्य व स्थानीय विधायक कबीना मंत्री हरक सिंह रावत होलिकप्टर से रूद्रप्रयाग में उतरे। यहां पर इनको उतरते देख कर प्रदेश की त्रासदी पर भी संवेदनहीन हुए इन नेताओं का जनता ने चुडियां भेंट करते व भारी विरोध करते हुए हेलीपेड़ से ही बेरंग हेलीकप्टर से वापस लोटने के लिए मजबूर कर दिया। लोग इस बात से हैरान है कि चुनाव में वोटों के लिए दूर दराज के गांवों में भी पैदल जाने वाले ये नेता आज प्रदेश में आयी इस भयंकर त्रासदी में लोगों की सुध लेने पैदल केदारनाथ आदि जगह जाने के बजाय होलीकप्टर से पर्यटकों की तरह धूम रहे है। वहीं जनता को उत्तरकाशी भूकम्प से लेकर तमाम आपदा में यहां की सरकारों ने पीड़ितों को कितनी राहत पंहुचायी और कितनी बंदरबांट की। प्रदेश की जनता चाहती है कि केन्द्र सरकार प्राकृतिक आपदा की राशि प्रदेश सरकार को देने के बजाय सेना को दे ताकी सेना मजबूती से व कम समय मेें सड़कों व राहत सामाग्री पीड़ितों को ईमानदारी से बांट सके। प्रदेश की जनता को स्थानीय प्रशासन पर भरोसा नहीं रहा। प्रदेश के प्रभावित पर्वतीय क्षेत्रों में जाने के बजाय क्षेत्र के सांसद व नेता देहरादून व रिषिकेश में घूम कर खाना पूर्ति कर रहे हैं।
यह खबर जिसने भी सुनी वह हस्तप्रद रह गया कि आपदा से कराह रहे प्रदेश की सुध लेने के लिए दिन रात पीड़ितों के बीच में जाने व फंसे हुए लोगों को निकालने व उन तक खाद्यान पंहुचाने के बजाय प्रधानमंत्री से मिलने दिल्ली आ धमके। े प्रदेश प्रशासन के पास आज भी सबसे ज्यादा तबाह केदारनाथ धाम व रामबाडा तक पंहुच नहीं पाया। अगर सेना व स्थानीय लोग हाथ नहीं बंटाते तो पीड़ित फंसे व घायल यात्रियों ऐसे संवेदनहीन सरकार के कारण क्या दुर्दशा होती इसकी कल्पना करके भी रूह कांप जाती है।
उत्तराखण्ड आंदोलनकारी साथी बृजमोहन उप्रेती, जगदीश भट्ट, हुकमसिंह कण्डारी, अनिल पंत व किशोर रावत  सहित तमाम आंदोलनकारियों ने प्रदेश सरकार के इन कर्णधारों के ऐसे समय ेदिल्ली में आने पर हैरानी प्रकट की। वहीं एनडीटीवी के न्यूज सम्पादक सुशील बहुगुणा ने भी एनडीटीवी पर चर्चा में डा हरकसिंह रावत से भी यही बात कही कि दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस करने के बजाय मुख्यमंत्री बहुगुणा उत्तरकाशी या केदारनाथ में टेंट लगा कर वहां से प्रदेश की प्राकृतिक आपदा के राहत कार्यो को तेज करते तो वह बेहतर होता।
मेने उत्तराखण्ड निवास में आपदा मंत्री यशपाल आर्य से दो टूक शब्दों में कहा कि इस समय आपकों प्रभावित क्षेत्र में होना चाहिए था, दिल्ली आना लौकिक दृष्टि से कहीं भी उचित नहीं है। मेने यशपाल आर्य से कहा कि गत वर्ष जब उत्तरकाशी सहित प्रदेश में प्राकृतिक आपदा इसी मौसम में आयी थी उस समय भी बहुगुणा सरकार के कई मंत्री व विधायक विदेश में सैर को गये। आज एक साल बाद जब उत्तराखण्ड में इतनी विनाशकारी प्राकृतिक आपदा में हजारों लोगों का जीवन मरण की कोई खबर नहीं है। पौने लाख के करीब लोग सड़क मार्ग अवरूद्ध होने के कारण जहां तहां बिना खाना खाये खुले आसमान के नीचे फंसे हुए है, ऐसे समय में मुख्यमंत्री, आपदा मंत्री व सबसे प्रभावित क्षेत्र के विधायक प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दिल्ली आ धमके।  वह भी आज सूचना ्रप्रद्योगिकी के जमाने में। आज विडियो काॅफे्रंसिंग व दूरभाष का सदप्रयोग करने के बजाय दिल्ली आना वह भी आपदा में केन्द्रीय सहायता लेने के लिए। समाचार चैनलों के द्वारा  देश के साथ-साथ स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री ने भी इस त्रासदी के मंजर को अपनी आंखों से हवाई सर्वेक्षण करके।
स्वयं मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड निवास में आयोजित प्रेस वार्ता में बतायी कि इसी सर्वेक्षण के बाद  उत्तराखण्ड में आई दैवीय आपदा से राहत प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने एक हजार करोड़ रुपये की तत्काल सहायता मंजूर की है। साथ ही आपदा में मृतक व्यक्तियों के परिजनों को दो-दो लाख तथा घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता की घोषणा भी प्रधानमंत्री ने की।
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि 19 जून की सांय 5 बजे प्रधानमंत्री आवास में प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह से मुलाकात कर उन्हें प्रदेश की स्थिति से अवगत कराया। उनके साथ प्रदेश के आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य, रुद्रप्रयाग के विधायक एवं कृषि मंत्री हरक सिंह रावत और मुख्य सचिव सुभाष कुमार भी उपस्थित थे।
प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड सरकार ने नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड निवास में एक अस्थाई नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का भी ऐलान किया।  राज्य सूचना अधिकारी नितिन उपाध्याय को इसका प्रभारी बनाया गया है। नियंत्रण कक्ष का फोन न- 011-23010158 फैक्स- 011-23016146 तथा मोबाईल नं-9990831003 एवं 9718972333 हैं।
मुख्यमंत्री की प्रेसवार्ता के समय उनके साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता धीरेन्द्र प्रताप, महासचिव विजय सारस्वत तथा प्रमुख सचिव सुभाष कुमार व मुख्य सचिव वित्त राकेश शर्मा, विशेषकार्याधिकारी एस.डी.शर्मा भी उपस्थित थे।

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