मनमोहन जैसे हवाई नेताओं को संगठन व सरकार में मुख्य पदों पर आसीन करने से हुई देश व कांग्रेस की दुर्गति


कांग्रेस संगठन व सरकार में लम्बे सम किया जा रहा है नजरांदाजया जा रहा हे नजरांदाज


नई दिल्ली, (प्याउ)। भले ही सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव 2014 के लिए नयी कार्यकारणी का गठन कर फिर से सत्तासीन होने के दीवास्वप्न देख रही हो परन्तु देश की जनता मनमोहनी सरकार के कुशासन से इतने त्रस्त हैं कि वह इसको आगामी लोकसभा चुनाव में उखाड फेंकने का मन बना चूकी है। सोनिया गांधी जब तक कांग्रेस सरकार व संगठन में मनमोहन जैसे हवाई नेताओं को वरियता दे कर जमीनी नेताओं को नजरांदाज करती रहेगी तब तक कांग्रेस सत्तासीन नहीं हो पायेगी।
सोनिया गांधी के नेतृत्व में चलने वाली मनमोहनी सरकार के कुशासन से त्रस्त नेहरू, इंदिरा ही नहीं नरसिंह राव व राजीव गांधी के कार्यकाल में भी उत्तराखण्ड को हमेशा कांग्रेस में महत्वपूर्ण स्थान केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में मिलता रहा। परन्तु जबसे सोनिया गांधी के हाथों में कांग्रेस की कमान आयी तब से उत्तराखण्ड की शर्मनाक उपेक्षा कांग्रेस केन्द्रीय सरकार व संगठन दोनों में करती रही। इसकी तस्वीर कांग्रेस द्वााा घोषित कांग्रेस कमेटी व मनमोहन सिंह की सरकार में स्पष्ट झलकता है। लगता है कांग्रेस नेतृत्व को उनके सलाहकार उनको जमीनी नेताओं से दूर व जनता से कटे हुए नेताओं को सरकार व संगठन में लेने की सलाह देते रहते। कांग्रेस ने अपनी नयी कार्यकारणी का 16 जून को घोषित की। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बनायी गयी इस कार्यकारणी में अहमद पटेल को कांग्रेस अध्यक्षा के राजनैतिक सचिव, मोतीलाल बोरा को कांग्रेस का कोषाध्यक्ष व जर्नाजन द्विवेदी महासचिव के पद पर बरकरार रखने में सफल रहे जो इन तीनों की कांग्रेस नेतृत्व पर मजबूत पकड़ दर्शाती  है। 12 महासचिव व 42 सचिव वाली भारी भरकम कांग्रेस की नयी कार्यकारिणी में अम्बिका सोनी को महासचिव बनाया गया, उनको हिमाचल, कश्मीर व उत्तराखण्ड का प्रभार दिया गया। उत्तराखण्ड के लोगों ने चोधरी वीरेन्द्रसिंह को उत्तराखण्ड के प्रभारी पद से मुक्त करने पर राहत की सांस ली। जिस प्रकार भाजपा की सरकार के दोरान अनिल जैन व थावर गहलोत ने प्रदेश की जनभावनाओं का अनादर करके वहां नेतृत्व थोपना व प्रदेश की यर्थाथ स्थिति से आला नेतृत्व को गुमराह किया वेसे ही काम चैधरी वीरेन्द्रसिंह ने अपने कार्यकाल में उत्तराखण्ड में किया। इससे जहां उन्होंने ऐसे लोगों को आगे बढाते हुए थोपा जिनका प्रदेश के जनसरोकारों से कहीं दूर दूर तक कोई वास्ता ही नहीं रहा।
नयी कार्यकारणी में  उत्तराखण्ड से राहुल गांधी टीम के युवा नेता प्रकाश जोशी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में सचिव बनाया गया। सतपाल महाराज के बाद पहली बार किसी उत्तराखण्ड के नेता को कांग्रेस की कार्यकारणी में सचिव पद पर आसीन किया गया। सबसे हैरानी की बात यह है कि इंदिरा गांधी के जमाने में सेक्रेटरी जनरल रहे हेमवती नन्दन बहुगुणा, के सी पंत व नारायण दत्त तिवारी के बाद हरीश रावत व सतपाल महाराज जैसे पूरे देश में व्यापक प्रभाव रखने वाले दिग्गज नेताओं को कांग्रेस नेतृत्व ने महासचिव जैसे ताकतवर पदों पर आसीन करने की जरूरत तक महसूस नहीं की। ऐसा नहीं की कांग्रेस ने केवल केन्द्रीय संगठन में उत्तराखण्डियों को नकार रही है अपितु गत लोकसभा चुनाव में  प्रदेश की सभी  पांचों संसदीय सीटों से कांग्रेसी उम्मीदवारों को जीता कर प्रदेश से भाजपा का पूरी तरह से सफाया करने का जिस उत्तराखण्ड ने किया उसको केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में महत्वपूर्ण कबीना मंत्री का स्थान देने की नैतिकता भी कांग्रेस नेतृत्व को नहीं रहीं। हाॅं बाद में जब पूरे प्रदेश में जब कांग्रेस आला नेतृत्व द्वारा उत्तराखण्ड के साथ सौतेले व्यवहार की कडी भत्र्सना हुई तो उन्होंने बाद में हरीश रावत को पहले राज्य मंत्री व बाद में जल संसाधन जैसा हल्का समझा जाने वाला मंत्रालय दिया। वहीं हिमाचल से कांग्रेस के एक सांसद विजय होने पर वहां से 2 कबीना व एक राज्य मंत्री बनाया गया। यही नहीं सात संसदीय सीट वाले प्रदेश दिल्ली से तीन-तीन सांसदों को केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में स्थान दिया गया उत्तराखण्ड में ऐसे विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री थोपा गया जिनको न तो प्रदेश के कांग्रेस पार्टी के विधायक ही स्वीकार कर रहे हैं व नहीं प्रदेश की जनता ने। प्रदेश की जनता में विजय बहुगुणा की छवि कैसी है इसका नमुना उनके संसदीय क्षेत्र टिहरी में उनके द्वारा खाली किये गये सीट से उनके मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके बेटे को जीत नसीब नहीं हो पायी। यही नहीं गत माह सम्पन्न हुए स्थानीय निकाय चुनाव में प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को जो करारा जवाब दिया। उसके बाबजूद कांग्रेसी नेतृत्व द्वारा प्रदेश में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को बनाये रखना से साफ हो गया कि कांग्रेस नेतृत्व को न तो प्रदेश की 5 लोकसभा सीटों की जरूरत है व नहीं 35 उत्तराखण्डी प्रभाव वाली लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की हार होनी निश्चित है।
कांग्रेस की घोषित नयी कार्यकारणी में जिन 12 महामंत्रियों के नाम की घोषणा की गयी उनके विभागों की भी घोषणा कर दी गयी। 12 महामंत्रियों व उनके प्रभार इस प्रकार से है। दिग्विजय सिंह को उप्र के प्रभार से हटा कर अब आंध्र प्रदेश, गोवा व  कर्नाटक का दायित्व सोंपा गया। वहीं अंबिका सोनी को हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और सीपीओ,  शकील अहमद को  दिल्ली,हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, सीपी जोशीः को असम, बिहार, पश्चिम बंगाल व अंडमान निकोबार, बीके हरिप्रसाद को  छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, गुरुदास कामत को  गुजरात, राजस्थान, दादरा-नगर हवेली व दमन-द्वीव, लोइजेमो फलेरो को अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुर, मधुसूदन मिस्त्री को उत्तर प्रदेश, सेंट्रल इलेक्शन कमिटी तथा अजय माकन को  कम्युनिकेशन, पब्लिकेशन का दायित्व सोंपा गया। इसके साथ ही कांग्रेस के भावी आलाकमान राहुल गांधी सारे फ्रंटल संगठन देखेंगे। उनके साथ दो  सचिव प्रभात किशोर ताबियाड़, व सूरज हेगड़े को भी नियुक्त किया गया।
कांग्रेस में सबसे महत्वपूर्ण समझी जाने वाली 21 सदस्यीय कार्यसमिति में अंबिका सोनी, बीके हरिप्रसाद, डॉ. सीपी जोशी, दिग्विजय सिंह, गुलाम नबी आजाद, गुरुदास कामत, हेमा सेतिया, जनार्दन द्विवेदी, मधुसूदन मिस्त्री, मोहन प्रकाश, मोतीलाल वोरा, मुकुल वासनिक, शकील अहमद, कुमारी सुशीला को शामिल किया गया है। निकट भविष्य में कुछ महत्वपूर्ण नेताओं को कार्य समिति में सम्मलित करने के उदेश्य से कुछ स्थान खाली रखे गये।
कांग्रेस की स्थाई कार्यसमिति में स्थायी आमंत्रित सदस्यों में डॉ. करण सिंह, एमएल फोतेदार, मोहसिना किदवई, मुरली देवड़ा, ऑस्कर फर्नांडिस, पी. चिदंबरम, आरके धवन,अमरिंदर सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा, केएस राव, एमवी राजशेखरन,  एसएम कृष्णा, शिवाजीराव देशमुख को शामिल हैं। इसके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्यों में अनिल शास्त्री, जी. संजीव रेड्डी, रशीद मसूद व  राजबब्बर हैं।

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