चिकित्सा संस्थान को भूमि आवंटन प्रकरण  बनेगी निशंक व तिवारी के गले की फांस


नैनीताल (प्याउ)। उत्तराखण्ड के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी व मुख्यमंत्री रहे भाजपा नेता रमेश पोखरियाल इन दिनों गैरकानूनी तरीके से सौंग नदी के किनारे की जमीन हिमालय आयुव्रेदिक योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान के लिए बिना कोई स्टांप शुल्क दिए मुफ्त में दिलाने के विवाद में बुरी तरफ से घिर गये है। सुत्रों के अनुसार इस आर्युवेदिक  चिकित्सा संस्थान से निशंक की बेटी भी जुडी हुई है।  एक तरफ उच्च न्यायालय में इस प्रकरण पर एक याचिका पर न्यायालय ने निशंक सहित सम्बंधित पक्षों से जवाब तलब किया है। वहीं अण्णा आंदोलन के अग्रणी वरिष्ठ अधिवक्ता एवं आम आदमी पार्टी से जुड़े प्रशांत भूषण ने प्रदेश के इन दोनों मुख्यमंत्री रहे नेताओं को इस प्रकरण पर सीधा आरोप लगाया है। गौरतलब है कि प्रशान्त भूषण के पिता व देश के पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण के  रमेश पोखरियाल से काफी नजदीकी सम्पर्क है। यही नहीं स्टर्डिया प्रकरण में भी शांतिभूषण निशंक की ढाल बने थे। इससे जानकारों ने अण्णा के भ्रष्टाचार आंदोलन में इन दोनों पिता पुत्र की भूमिका पर भी सवाल खडे किये थे। परन्तु इस गंभीर सवाल का सामना करने का साहस भी न तो अण्णा में रहा व नहीं केजरीवाल में। न हीं स्वयं प्रशांत भूषण व शांतिभूषण इसका खण्डन तक कर पाये।
इस बार इस भूमि आवंटन का मामला हाइ्र कोर्ट में एक जनहित याचिका के रूप में उठा इसमें  पूर्व मुख्यमंत्री निशंक पर वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी से संबंधों का लाभ उठाते हुए गैरकानूनी तरीके से सौंग नदी के किनारे की जमीन हिमालय आयुव्रेदिक योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान के लिए बिना कोई स्टांप शुल्क दिए मुफ्त में दिलाने और इस संस्थान को निशंक की बेनामी संपत्ति होने का आरोप लगाया है। इस संस्था को श्यामपुर (ऋषिकेश) में 15 एकड़ भूमि निरूशुल्क आवंटित की थी। इस संस्था में निशंक की बेटी, भतीजी व अन्य करीबी प्रबंधन पदाधिकारी थे।
नैनीताल में आये आप पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने पत्रकार वार्ता में उत्तराखण्ड के इस भूमि आवंटन घोटाले की तुलना महाराष्ट्र में गडकरी को कांग्रेस सरकार द्वारा पहुंचाए गए फायदे और बीसीसीआई में नरेंद्र मोदी व अरुण जेटली तथा शरद पवार व राजीव शुक्ला जैसे गठजोड़ की एक कड़ी बताया। प्रशांत भूषण ने इस मामले की जांच केन्द्रीय जांच व्यूरों से कराने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने इस संस्थान की को दी गयी जमीन का आवंटन भी रद्द करने की पुरजोर मांग की। सुत्रों के अनुसार वर्तमान विजय बहुगुणा सरकार पर जिस प्रकार से तिवारी व निशंक ने जम कर इन दिनों प्रहार किये उसे देख कर इस पुराने मामले का उठना अपने आप में राजनीति का भी बू आ रही है।  हालांकि इस याचिका की सुनवाई के दौरान संयुक्त पीठ ने निशंक और प्रमुख सचिव राजस्व एवं चिकित्सा शिक्षा के साथ ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, गढ़वाल विवि, हिमालयन मेडिकल कालेज को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। यह मामला भले ही राजनैतिक प्रतिद्वंदता के कारण उजागर हुआ हो परन्तु इस प्रकरण से प्रदेश के इन नेताओं का असली चेहरा जनता के सामने तो आ गया। 

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