राष्ट्रीय आपदा घोषित कर, राहत राशि प्रदेश सरकार को न देकर सेना को ही दी जाय


पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री व सरकार के खिलाफ जनता व तीर्थ यात्रियों में भारी आक्रोश

मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के किसी भी जनप्रतिनिधी व अधिकारी को विदेश दोरे पर 1 साल का प्रतिबंध लगाया जाय

प्रदेश में पर्यावरण संतुलन से खिलवाड करने वाले सभी निर्माणाधीन बांधों को रोका जाय


पावन देवभूमि को शराब का गटर बनाने व धारी देवी जैसे तहस नहस करने से रोका जाय

देहरादून। (प्याउ)। उत्तराखण्ड में 16-17 जून को आये विनाशकारी त्रासदी में हजारों लोगों के मरने की आशंका व्यक्त की जा रही है। पूरे देश के अधिकांश राज्यों के हजारों लोग यहां फंसे हुए है, पीड़ित है और मारे जा चूके है। इसलिए सरकार को तत्काल इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करके इसका राहत व बचाव का पूरा दायित्व निभा रही सेना को ही केन्द्र सहित पूरे विश्व से मिलने वाली राहत राशि को पूरी तरह से अक्षम साबित हो चूकी उत्तराखण्ड की सरकार को न दे कर सेना को ही दी जाय। क्योंकि प्रदेश सरकार का पूरा तंत्र नाकाम साबित हो चूका है। प्रदेश में बन रही तमाम जल विद्युत परियोजनाओं को जो इस गंगा यमुना की धरती के पर्यावरण संतुलन से खिलवाड़  कर रहे हैं इनको तत्काल बंद कर देना चाहिए। इसके अलावा यहां के जनआस्था के धारी देवी सहित तमाम स्थलों की पावनता की रक्षा करना चाहिए। पावन देवभूमि को पर्यटन के नाम पर विलाशता व शराब का गटर बनाने के लिए तुली सरकार को इस बात को भी संज्ञान में रखना चाहिए कि जिस दिन धारी देवी को डूबोने के लिए सरकार ने बांध निर्माण कम्पनी को वहां ंसे मूर्ति उठाने की इजाजत दी उसी के तत्काल बाद यहां इस प्रकार की त्रासदी का सामना करना पडा।
प्रदेश शासन प्रशासन का उत्तरकाशी भूकम्प के बाद से अब तक के तमाम प्राकृतिक आपदा को निपटने व पीड़ितों को राहत देने में अक्षमता व निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगातार लगे है। इसी सीमान्त प्रदेश की सडकों व पुलों आदि को तत्काल युद्धस्तर पर ठीक करने की जरूरत है। प्रदेश सरकार पहले ही 3 साल तक इनको निर्माण करने की बात कह रही है। इस लिए सीमान्त जनपद में मोटर मार्ग व पुलों को युद्धस्तर पर तत्काल ठीक नहीं किया गया तो यहां का जनजीवन पूरी तरह ठप्प हो जायेगा व देश की सुरक्षा पर ग्रहण लग सकता है। निष्पक्ष राहत कार्य करने व सभी पीड़ितों को राहत देने के लिए सेना की त्वरित व निष्पक्ष कार्य प्रणाली पर किसी को शंका नहीं है। प्रदेश की जनता का न तो अब प्रदेश की सरकार पर व नहीं यहां के मुख्यमंत्री पर कोई विश्वास ही रहा। प्रदेश के मुख्यमंत्री की अक्षमता के कारण न तो नौकरशाही पर उनका नियंत्रण रहा व नहीं उनको प्रदेश के हितों से कहीं दूर दूर तक वास्ता नहीं है। वे अपना अधिकांश समय दिल्ली में गुजारने को ही प्राथमिकता देते है। प्रदेश के लोग कांग्रेस आला कमान सोनिया गांधी को ऐसे अकुशल व संवेदनहीन प्रदेश  सरकार का नेतृत्व देने पर कोस रहे है।  कहने को प्रदेश सरकार ने इस आपदा पर तीन दिन का शोक घोषित कर दिया है। परन्त प्रदेश में सुगबुगाहट है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री का स्वीटजरलेण्ड का विदेशी दोरे पर अगले ही सप्ताह जा रहे हैं। केन्द्र सरकार व सर्वोच्च न्यायालय को प्रदेश की गंभीर स्थिति को देखते हुए उत्तराखण्ड के सभी नेताओं व नौकरशाहों पर एक साल तक किसी प्रकार के विदेश दोरे पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय से मिली 

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