अगर चोराबरी ताल की तरह कभी टिहरी आदि बांधों में बादल फट गये तो कोन बचायेगा महाविनाश?
चोराबरी ताल (गांधी सरोवर) में बादल फटने के बाद मची केदारनाथ में भारी तबाही
चोराबरी ताल (गांधी सरोवर) में बादल फटने के बाद केदारनाथ धाम में जो प्रलयंकारी तबाही हुई, इससे पूरा देश स्तब्ध है। हजारों लोग पलक झपकते ही इस महाकाल में समा गये। इस विनाशकारी त्रासदी को देखने के बाद मन में प्रश्न उठ रहा है कि अगर इसी प्रकार के बादल कभी टिहरी सहित प्रदेश में बने बांधों में फट गये तो प्रदेश सहित पूरे देश में कितनी विनाशकारी त्रासदी होगी इसकी कल्पना से ही रूह कांप जाती है। सबसे हैरानी की बात है कि जब से गंगा यमुना की उदगम स्थली में पर्यावरणविदों, भूकम्पीय वेताओं व देश के लाखों लोगों के विरोध के बाबजूद प्रदेश की सरकारों ने यहां पर टिहरी जैसे बांधों का निर्माण किया। कुछ सालों से टिहरी, उत्तरकाशी सहित पूरे क्षेत्र में बादल फटने आदि प्राकृतिक आपदाओं की बाढ़ सी आ गयी है। इसके पीछे यहां पर विकास के नाम पर बांधों को निर्माण, सुरंगों व सडकों के निर्माण में भारी बारूद विस्फोटों का इस्तेमाल करना है। हिमालय के इस सबसे संवेदनशील पर्वत श्रृखला में जानी जाती है। इस पर्वत श्रंृखला की घाटी में अनेक बांध बना कर यहां पर पानी का भारी जल दवाब बढाने के साथ यहां के पर्यावरण व प्रकृति संतुलन से भारी खिलवाड़ ऊर्जा के नाम किया जा रहा है। जो भारी विनाश का आमंत्रण से कम नहीं है। टिहरी, देव प्रयाग, रिषिकेश , हरिद्वार से लेकर गंगा किनारे बसे अधिकाश शहरों में कितनी तबाही होगी इसकी कल्पना करने की फुर्सत न तो दो टके के लालच में अंधे हो चूके उत्तराखण्ड को सेकडों बांधो को बना कर जल समाधि देने को उतावले यहां की सरकार, नेताओं, नोकरशाहों व उनके प्यादों को ही है व नहीं देश के दिशाहीन हुक्मरानों को ही हे। चीन से लगी सीमा पर बनाये गये बांध रूपि विनाशकारी बमों का निर्माण कर इस संवेदनशील हिमालयी प्रदेश के साथ साथ देश के हितों के साथ एक प्रकार का खतरनाक खिलवाड है।
गौतलब है कि केदारनाथ से 3.5 किमी 13700 मीटर ऊंचाई पर स्थित चोराबरी ग्लेसियर के तल पर स्थित चोराबरी ताल में बादल फटने के बाद जो विनाशकारी त्रासदा केदारनाथ में आयी उससे हजारों लोग मारे गये है, हजारों प्रभावित हो गये। महात्मा गांधी की अस्थि राख जबसे इस चोराबरी ताल में विसर्जित की गयी तो तब से लोग इसे गांधी सरोवर के नाम से पुकारते है। यहां से हिमालय की पावन कैलाश पर्वत का मनोहारी दृश्य दिखाई देता है। केदानाथ के निकट बहने वाली मंदाकिनी की उदमस्थली का प्राकृतिक सौदर्य भी देखते बनता है। इसके साथ ही यहां के समीप दुद्य गंगा व मधु गंगा जलप्रपात भी देखने योग्य स्थल हैं। रिषिकेश से 250 किमी पर स्थित गोरीकुण्ड है। गोरीकुण्ड से 14 किमी पर भगवान केदानाथ का पावन धाम केदारनाथ है।
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