गुजरात में संदिग्ध आतंकियों की मुठभैड़ पर विधवा विलाप करने वाले मानवाधिकार के पुरोधा मुजफरनगर काण्ड-94 पर मौन क्यों?


पुलिस मुठभेड में एक संदिग्ध आतंकियों की मौत पर पूरे देश में आसमान सर पर उठाने वाली कांग्रेस, सपा सहित न्याय की पेरोकार व्यवस्था ने उप्र में उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन में देश व मानवता को शर्मसार करने वाले मुजफरनगर काण्ड-1994 पर शर्मनाक मौन क्यों रखा हुआ है? इस काण्ड में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इसके लिए तत्कालीन उप्र के मुलायम व केन्द्र की राव सरकार को न केवल दोषी ठहराया था अपितु इसको नाजी अत्याचारों की श्रेणी में रखा गया था। इस काण्ड में सीबीआई व मानवाधिकार संगठनों ने भी उप्र के पुलिस व प्रशासन के उच्चाधिकारी अनन्त कुमार, बुआसिंह व नसीम सहित दर्जनों को दोषी माना था। राव व मुलायम की सरकारों के शह पुलिस प्रशासन ने उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों को गोलियों से भून कर मार डाला था इसके साथ सेकडों महिलाओ से सामुहिक बलात्कार करके भारतीय संस्कृति को कलंकित करने का काम किया था। इस काण्ड के 19 साल के बाद भी भारत की न्याय व्यवस्था ही नहीं सभी दलों ने शर्मनाक मौन रखा हुआ है। महिला व मानवाधिकार संगठनों के पेरोकारों को तो सांप ही सुघ गया है। उन्हें केवल आतंकियों व तस्करों की मौत पर मानवाधिकार की याद आती । परन्तु इससे शर्मनाक पहलू यह है इस जिन अधिकारियों को सीबीआई व उच्च न्यायालय ने इस काण्ड का गुनाहगार माना था उन दोषियों को सजा देने के बजाय उप्र की सपा, बसपा व भाजपा की सरकारों ने उनको उच्च पदों पर आसीन कर शर्मनाक संरक्षण दिया। वहीं मुजफरनगर काण्ड के बलिदानों की कोख से बने उत्तराखण्ड राज्य की तमाम सरकारें चाहे वह भाजपा की नित्यानन्द, कोश्यारी, खण्डूडी व निशंक की सरकारें रही हो या कांग्रेस की तिवारी व बहुगुणा की सरकारें रही, इन सबकी सरकारों ने इस काण्ड के दोषियों को सजा देने के बजाय इसके दोषियों को दण्डित कराने के मजबूत पेरोकारी करने के बजाय उनको गैरकानूनी व अनैतिक संरक्षण दे कर मुक्त करने का मानवता द्रोही कृत्य किया। यही नहीं उत्तराखण्ड मेरी लांश पर बनने की हुंकार भरने वाले मुलायम के संरक्षक बने नारायणदत्त तिवारी के राज में जिन गुनाहगारों ने कानून की आंखों में धूल झोंक कर इस काण्ड के दोषियों को बचने की राह बनायी उन न्याय की हत्या करने वाले गुनाहगारों को प्रदेश में महत्वपूर्ण संवेधानिक पदों पर बेशर्मी से आसीन किया गया है। यही नहीं यह सब जानते हुए भी न किसी भाजपा व कांग्रेस के नेता ने उफ तक की अपितु मुलायम के कहारों को अपनी पार्टियों में आसीन करने की धृष्ठता करते रहे। यही नहीं अपने निहित स्वार्थ के लिए अपने ही दल को टूकडे टूकडे करने वाले उत्तराखण्ड का एकमात्र क्षेत्रीय दल होने का दंभ भरने वाला उक्रांद भी मौन रहा। वर्तमान कांग्रेस के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने तो बेहद बेशर्मी से मुलायम के प्यादों व दोषियों को बचने की राह देने वालों को ही नहीं खुद खलनायक मुलायम को गले लगा कर उत्तराखण्ड के जख्मों पर बार बार नमक छिडकने की धृष्ठता कर रहे है।
इन गुनाह को संरक्षण देने वालों को एक बात समझ लेनी चाहिए कि दुनिया की अदालतें भले किसी गुनाहगार को सजा न दे पाये परन्तु महाकाल की अदालत में कोई गुनाहगार अपने कृत्यों की सजा पाने से नहीं बच सकता है। इसी का दण्ड आज 1994 से सत्ता से बाहर हो कर मुलायम खुद भुगत रहे हैं। उत्तराखण्ड में तिवारी, खण्डूडी, निशंक व अब बहुगुणा भी भोग रहे है। ओर जो भी जनहितों के खिलाफ काम करेगा उसको भी सत्ता से ही बेताज नहीं होना पडेगा अपितु उन्हें अपयश का भागी भी पडेगा। इसी कारण 2014 में कांग्रेस को देश की सत्ता से बेदखल होना पडेगा। बेगुनाह लोगों को सत्तामद में जो भी कत्लेआम करता है उसको दुनिया भले ही माफ करदे महाकाल की अदालत सभी गुनाहगारों को सजा देती है।

Comments

  1. यह तो घोर अन्याय है क्या कानून अँधा है या राजनेता कुछ करना नहीं चाहते
    अब तो समाचार विश्व में जंगलों की भयानक आग की तरह हैं

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