सनातनी परंपराओं से खिलवाड़ न करें मुख्यमंत्री विजय बहुगुणाः शंकराचार्य माधवाश्रम


शांति यज्ञ नहीं सभी मृतक श्रद्धालुओं का अग्नि संस्कार, पिण्डदान, श्राद्ध व तर्पण होना आवश्यक

श्री केदारनाथ मंदिर परिसर के शुद्धिकरण  तक ऊखीमठ में हो सतत् पूजाः शंकराचार्य माधवाश्रम 

श्री केदानाथ में शंकराचार्य की कोई समाधि नहीं, झूठ न फेलाये मीड़िया

शंकराचार्य माधवाश्रम आश्रम जोशीमठ में 2000 से अधिक श्रद्धालुओं को आश्रय व भोजन देने में जुटा

शंकराचार्य माधवाश्रम के शिष्यों ने लुघियाना, मुजफरनगर व दिल्ली से कई ट्रक राहत सामाग्री बांटी जायेगी व चिकित्सा ट्रस्ट कोटेश्वर ने पीडितों के भेजी दवाईयां

कोटेश्वर(प्याउ) संसार भर के हिन्दुओं के सर्वोच्च धर्माचार्य शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को आगाह किया कि वे इस त्रासदी में मारे गये हजारों श्रद्धालुओं का अग्नि, पिण्ड, तर्पण व श्राद्ध संस्कार कराने के बजाय शांति यज्ञ करा कर सनातन धर्म से खिलवाड़ न करें। शंकराचार्य ने कहा कि अगर अकाल मृत्यु वाले का अंतिम संस्कार सनातनी परंपरा से नहीं किया गया तो वह प्रेत बन कर भटकता रहता है।
उत्तराखण्ड में इस सप्ताह आये भयंकर त्रासदी के बाद पीड़ितों का दुख दर्द बांटने व सनातनी परंपराओं की रक्षा के लिए केदारघाटी के मुख्य तीर्थ कोटेश्वर महादेव में पंहुच कर प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत से दूरभाष पर प्रदेश की बहुगुणा सरकार द्वारा प्रदेश में इसी पखवाडे हुई त्रासदी के बाद मुख्यमंत्री द्वारा शांति यज्ञ कराने पर अपनी तीब्र प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए कही।  शंकराचार्य ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सहित सभी सनातन धर्मियों को सनातनी परंपराओं का स्मरण कराते हुए बताया कि प्राकृतिक आपदाओं में मरने वालों के लिए भी सनातनी परंपराओं के अनुसार ही अंतिम संस्कार का विधान है। शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज ने कहा कि भगवान केदारनाथ धाम में आयी इस त्रासदी में मारे जाने वालों के जो शव प्रशासन ने सुरक्षित रखे है। उनका शव सनातनी परंपरा के अनुसार उनके परिजनों को सौपना चाहिए। परिजनों को इन अकाल मृत्यु के ग्रास बने स्वजनों के शवों का अग्नि संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, श्राद्ध के लिए शव उनके परिजनों को सौंपे। शंकराचार्य ने कहा कि गृहस्थी सनातन धर्मियों के शव को दफनाना या नदी में प्रवाह किसी भी स्थिति में नहीं करना चाहिए। इसके साथ इस प्रकार के हादसों में जिन लोगों के शव नहीं मिले हैं उनके परिजनों को भी मृतक का प्रतिकात्मक पुतला बना कर उसका अग्नि संस्कार, पिण्ड, तर्पण व श्राद्ध संस्कार करना चाहिए।
सनातन धर्म के सर्वोच्च धर्माचार्य शंकराचार्य ने आश्चर्य प्रकट किया कि उत्तराखण्ड जैसे देवभूमि के मुख्यमंत्री को सनातनी मर्यादाओं का इतना भी ज्ञान नहीं है तो वह क्या देवभूमि की रक्षा करेगे ? शंकराचार्य माधवाश्रम ने प्रदेश के मुख्यमंत्री का आगाह किया कि लम्बे समय से उत्तराखण्ड सनातनी परंपराओं व तीर्थो की मर्यादाओं का  जो हनन किया जा रहा है उसी कारण इस प्रकार की त्रासदी का दंश प्रदेश व देश को झेलने के लिए मजबूर होना पडता है।
इससे पहले 22 जून को भी मोक्षभूमि उत्तराखण्उ में आयी प्रलयंकारी त्रासदी पर गहरा दुख प्रकट करते हुए शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज ने भगवान केदानाथ की सत्त पूजा ऊखीमठ में कराने की जरूरत बतायी। दूरभाष से प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत से अपने विचार प्रकट करते हुए शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार से मीडिया केदारनाथ में आदिगुरू शंकराचार्य की समाधि बहने के बारे में जानकारी दे कर लोगों को गुमराह कर रहा है, वह निन्दनीय है। शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज ने स्पष्ट किया कि आदि गुरू शंकराचार्य का निधन नहीं अपितु वे सदेह नंदी पर जटाजूट हो कर आरूढ़ हो कर शिवलोक में गमन कर गये। फिर उनकी केदारनाथ में समाधि बनाना व उसमें शिवलिंग स्थापित करना अपने आप में गलत था।
वर्तमान तबाही से काफी दुखी शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज ने देश विदेश के तमाम समर्थ श्रद्धालुओं व स्थानीय नागरिकों से अनुरोध किया कि वे इस त्रासदी से पीड़ितों को आश्रय, भोजन, पानी व वस्त्रादि दे कर साहयता में हाथ बंटायें।
शंकराचार्य महाराज ने केदारनाथ धाम में हुई त्रासदी से यहां भगवान केदारनाथ की पूजा में पड रहे व्यवधान को देखते हुए स्थिति के सामान्य होने तक पूजा को ऊखीमठ स्थित भगवान केदारनाथ की शीतकालीन गद्दी- औकारेश्वर मंदिर में ही पूजा होनी चाहिए। शंकराचार्य माधवाश्रम के शिष्य वशिष्ट जी ने बताया कि शंकराचार्य माधवाश्रम के शिष्य वशिष्ट जी ने बताया कि शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज के शिष्य लुधियाना-पंजाब, उप्र-मुजफरनगर, दिल्ली सहित पूरे देश से कई ट्रक राहत सामाग्री उत्तराखण्ड त्रासदी के पीड़ितों के लिए पंहुच रही है। इसके साथ कोटेश्वर शंकराचार्य माधवाश्रम जी धर्मार्थ चिकित्सालय से महंत शिवानन्द जी महाराज ने जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग को इस त्रासदी के पीड़ितों को बांटने के लिए सौपी है। इसके अलावा जोशीमठ में शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज के आश्रम में 2 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को आश्रय व भोजन आदि से सत्कार किया जा रहा है।

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