आडवाणी के चक्रव्यूह से देश की आशाओं पर बज्रपात व कांग्रेसियों में खुशी की लहर


प्यारा उत्तराखण्ड की विशेष रिपोर्ट-

भारतीय जनता पार्टी में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाये जाने की प्रबल संभावनाओं को देखते हुए कभी भारतीय जनता पार्टी के पीएम इन वेटिंग यानी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार रहे भाजपा के वरिष्ट आला नेता लाल कृष्ण आडवाणी का धैर्य लगता है अब जवाब दे गया। इसी लिए उन्होंने गत सप्ताह भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई के महाधिवेशन के समापन मौके पर आडवाणी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कर दी।यही नहीं उन्होने शिवराज चैहान के विकास की खुली तारीफ करके उनको अप्रत्यक्ष रूप से  मोदी से बेहतर नेता बतार कर नये विवाद का शुभारंभ कर दिया।
यह पहला अवसर नहीं है कि जब आडवाणी ने ऐसा विवादस्थ वयान दिया हो। सबसे हैरानी की बात यह है कि आडवाणी के तमाम विवादस्थ बयानों के बाबजूद भाजपा व संघ में इतनी नैतिक बल भी नहीं रह गया कि वे आडवाणी को अनुशासन का पाठ भी पढा पाये। इससे पहले भी आडवाणी ने सार्वजनिक रूप से बयान दिये कि कांग्रेस से ही नहीं भाजपा से भी देश की जनता का मोह भंग हो गया है। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि यह भाजपा उनके सपनों की भाजपा नहीं जिसकी उन्होंने स्थापना की।
राजनीति के मर्मज्ञ आडवाणी के बयानों की असलियत जानते है। जब से आडवाणी को संघ ने नेता प्रतिपक्ष से हटाया और इसके बाद प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में उनकी ताजपोशी नहीं की, उसके बाद उनका भारतीय जनता पार्टी पर निरंतर प्रहार बढ़ता ही जा रहा है।  आडवाणी यह एक पल के लिए भी नहीं सुहाता कि उनके अनुचर  रहे मोदी को आज उनके होते हुए उनके बजाय प्रधानमंत्री के दावेदार के रूप में स्थापित किया जा रहा है।  इसी कारण वे हर उस संभावनाओं पर प्रहार कर रहे हैं जो उनके बजाय मोदी को प्रधानमंत्री बनाये जाने के लिए किया जा रहा हो। उनके इस चक्रव्यूह में अप्रत्यक्ष रूप से जदयू के नीतीश कुमार व भाजपा-संघ के कई नेता है। हालांकि भाजपा को पतन के गर्त में फंसाने के लिए और कोई नहीं आडवाणी व उनकी मंडली ही जिम्मदार है। जिस प्रकार संघ नेतृत्व ने आडवाणी व अटल की मंडली को भाजपा के जमीनी नेताओं को रसातल में धकेलने में मूक रह कर सहायता की उससे आज भाजपा को यह दुर्दिन देखने पड रहे है। आज न केवल लाडवाणी अपितु उनकी चैकडी जेटली, सुषमा, गडकरी व स्वयं पार्टी अध्यक्ष राजनाथ भी प्रधानमंत्री का ख्वाब देख रहे है। इन नेताओं की महत्वकांक्षाओं के कारण मनमोहन सोनिया के कुशासन से मुक्ति दिलाने के लिए मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाने की देश की जनता की हसरत पर लगता है ग्रहण लग जायेगा। आडवाणी के इस चक्रव्यूह में 2014 में सत्ता को दूर होते देख कर तडफ रहे कांग्रेसियों को आशा की नई किरण दिखाई दे रही है। 

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