जब चुनाव में हुआ कांग्रेसी नेता का हेलीकाप्टर से हरण ...........
जब चुनाव में हुआ कांग्रेसी नेता का हेलीकाप्टर से हरण ...........
मुख्यमंत्री के लिए कांग्रेस में शह ओर मात का आत्मघाती खेल से बेखबर आलाकमान
अभी तक लोगों ने आदमी या कुर्सी का हरण होते हुए सुना होगा। परन्तु उत्तराखण्ड की हाल में सम्पन्न हुई विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी महारथियों में अपने प्रतिद्वंदियों को मात देने की कितनी मारामारी थी इसका सबसे हैरान कर देने वाली घटना थी प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक बडे नेता का हेलीकाप्टर से हरण। इस प्रकार का हरण हुआ कि नेता की बड़ी सभायें लगी थी उनको वहां पंहुचाने के बजाय उनको दूर देहरादून भेज दिया गया। इस सब से अनजान जब नेता को इस बात का भाान हुआ तो वह माथा पकड कर बैठ गये। सभायें भी नहीं कर पाये व परेशानी अलग। बाद में पता चला कि प्रदेश के बडे नेता के कहने पर ही उनको सभाओं में ले जाने के बजाय देहरादून पठाया गया।
उत्तराखण्ड की जनता के भाजपा के कुशासन से मोहभंग को भांपते हुए जहां कांग्रेसियों क्षत्रपों ने विधानसभा चुनाव 2012 चुनाव से पहले ही प्रदेश का मुख्यमंत्री खुद को बनाने के लिए टिकट बंटवारे से पहले व चुनाव के दौंरान ऐसे आत्मघाती काम किये जिससे कांग्रेस की हालत भी भाजपा की तरह ही दयनीय हो गयी। चुनाव की रणभेरी बजने के समय से जहां भाजपा ने जहां जनता के भाजपा के कुशासन से हुए मोह भंग को लुभाने के लिए प्रदेश का मुख्यमंत्री निशंक से बदल कर खंडूडी की ताजपोशी कर दी वहीं
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश कांग्रेस पार्टी में उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री बनने की ऐसी होड़ लगी कि कांग्रेस का भट्टा ही गोल हो गया। अगर जनता में भाजपा के प्रति आक्रोश नहीं होता तो कांग्रेस पार्टी को मुंह दिखाने की कहीं जगह भी नहीं मिलती। एक तरफ सोनिया गांधी व राहुल गांधी प्रदेश से लेकर देश के अन्य प्रदेशों में कांग्रेस को सत्तासीन करने के लिए दिन रात एक किये हुए है वहीं उत्तराखण्ड में चुनावी दिनों कांग्रेसी क्षत्रपों में एक दूसरे को मात देने व एक दूसरे के समर्थकों को हराने के लिए भीतरघात में लगे हुए थे। वहीं कांग्रेस आला कमान का विश्वासी प्रदेश प्रभारी एक गुट के आका की तरह अन्य क्षेत्रप की तरह व्यवहार कर रहा था। प्रभारी ने देहरादून में कांग्रेसी नेताओं को दर किनारे करके एक क्षत्रप के इशारे पर टिकट ही नहीं तमाम बडे नेताओ ंकी बैठके उनकी के क्षेत्र में करा रहे थे। वहीं कोटद्वार में जहां पार्टी का मजबूत प्रत्याशी सुरेन्द्रसिंह नेगी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की हालत पतली कर रखी थी वहां पर बडे नेताओं की बैठक तक नहीं लगा रहे थे। जीत सकने वाले पार्टी के समर्पित नेताओं को टिकट के लिए ही मोहताज कर दिया गया। यही नहीं प्रदेश के आला नेता जिनकी तीन चार चुनावी बड़ी सभायें लगी हुई थी वे जिस हेलीकाप्टर में वे तराई सहित कुमाऊं मण्डल तीन चार सभाओं में जाने के लिए उडे तो होलीकाप्टर ने उनको सभा स्थल में ले जाने के बजाय देहरादून ले गया। वहां पर उतर कर वे जेसे तेसे लोटे पर उस दिन की उनकी तीन चार बडी सभायें नहीं हो पायी। यही नहीं चुनाव परिणाम आने से पहले दिल्ली में बैठ कर मुख्यमंत्री बनने की जीतनी लांबिग ये क्षत्रप कर रहे हैं अगर उसका आधी मेहनत पार्टी को जीताने के लिए करते तो कांग्रेस प्रदेश में कम से कम 45 सीटें जीत सकती थी। अब मुश्किल से सत्ता में बहुमत के आसपास रहेगी।
मुख्यमंत्री के लिए कांग्रेस में शह ओर मात का आत्मघाती खेल से बेखबर आलाकमान
अभी तक लोगों ने आदमी या कुर्सी का हरण होते हुए सुना होगा। परन्तु उत्तराखण्ड की हाल में सम्पन्न हुई विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी महारथियों में अपने प्रतिद्वंदियों को मात देने की कितनी मारामारी थी इसका सबसे हैरान कर देने वाली घटना थी प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक बडे नेता का हेलीकाप्टर से हरण। इस प्रकार का हरण हुआ कि नेता की बड़ी सभायें लगी थी उनको वहां पंहुचाने के बजाय उनको दूर देहरादून भेज दिया गया। इस सब से अनजान जब नेता को इस बात का भाान हुआ तो वह माथा पकड कर बैठ गये। सभायें भी नहीं कर पाये व परेशानी अलग। बाद में पता चला कि प्रदेश के बडे नेता के कहने पर ही उनको सभाओं में ले जाने के बजाय देहरादून पठाया गया।
उत्तराखण्ड की जनता के भाजपा के कुशासन से मोहभंग को भांपते हुए जहां कांग्रेसियों क्षत्रपों ने विधानसभा चुनाव 2012 चुनाव से पहले ही प्रदेश का मुख्यमंत्री खुद को बनाने के लिए टिकट बंटवारे से पहले व चुनाव के दौंरान ऐसे आत्मघाती काम किये जिससे कांग्रेस की हालत भी भाजपा की तरह ही दयनीय हो गयी। चुनाव की रणभेरी बजने के समय से जहां भाजपा ने जहां जनता के भाजपा के कुशासन से हुए मोह भंग को लुभाने के लिए प्रदेश का मुख्यमंत्री निशंक से बदल कर खंडूडी की ताजपोशी कर दी वहीं
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश कांग्रेस पार्टी में उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री बनने की ऐसी होड़ लगी कि कांग्रेस का भट्टा ही गोल हो गया। अगर जनता में भाजपा के प्रति आक्रोश नहीं होता तो कांग्रेस पार्टी को मुंह दिखाने की कहीं जगह भी नहीं मिलती। एक तरफ सोनिया गांधी व राहुल गांधी प्रदेश से लेकर देश के अन्य प्रदेशों में कांग्रेस को सत्तासीन करने के लिए दिन रात एक किये हुए है वहीं उत्तराखण्ड में चुनावी दिनों कांग्रेसी क्षत्रपों में एक दूसरे को मात देने व एक दूसरे के समर्थकों को हराने के लिए भीतरघात में लगे हुए थे। वहीं कांग्रेस आला कमान का विश्वासी प्रदेश प्रभारी एक गुट के आका की तरह अन्य क्षेत्रप की तरह व्यवहार कर रहा था। प्रभारी ने देहरादून में कांग्रेसी नेताओं को दर किनारे करके एक क्षत्रप के इशारे पर टिकट ही नहीं तमाम बडे नेताओ ंकी बैठके उनकी के क्षेत्र में करा रहे थे। वहीं कोटद्वार में जहां पार्टी का मजबूत प्रत्याशी सुरेन्द्रसिंह नेगी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की हालत पतली कर रखी थी वहां पर बडे नेताओं की बैठक तक नहीं लगा रहे थे। जीत सकने वाले पार्टी के समर्पित नेताओं को टिकट के लिए ही मोहताज कर दिया गया। यही नहीं प्रदेश के आला नेता जिनकी तीन चार चुनावी बड़ी सभायें लगी हुई थी वे जिस हेलीकाप्टर में वे तराई सहित कुमाऊं मण्डल तीन चार सभाओं में जाने के लिए उडे तो होलीकाप्टर ने उनको सभा स्थल में ले जाने के बजाय देहरादून ले गया। वहां पर उतर कर वे जेसे तेसे लोटे पर उस दिन की उनकी तीन चार बडी सभायें नहीं हो पायी। यही नहीं चुनाव परिणाम आने से पहले दिल्ली में बैठ कर मुख्यमंत्री बनने की जीतनी लांबिग ये क्षत्रप कर रहे हैं अगर उसका आधी मेहनत पार्टी को जीताने के लिए करते तो कांग्रेस प्रदेश में कम से कम 45 सीटें जीत सकती थी। अब मुश्किल से सत्ता में बहुमत के आसपास रहेगी।
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