30 जनवरी के बाद के जारी पोस्टल मतदान पत्र होंगे निरस्त
30 जनवरी के बाद के जारी पोस्टल मतदान पत्र होंगे निरस्त
उत्तराखण्ड में राजनैतिक तिकड़मियों द्वारा भारी मतदान से घबरा कर, अपनी हार को जीत में बदलने के लिए डाकमत पत्रों को दुरप्रयोग करने की खबर आ रही है, उस पर सर्वोच्च न्यायालय के वरिश्ठ अधिवक्ता व उत्तराखण्ड में भाजपा की भ्रश्ट सरकार के स्टर्जिया सहित कई प्रकरणों को उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में बेनकाब करने वाले अवतार सिंह रावत ने प्यारा उत्तराखण्ड से एक विषेशवार्ता में दो टूक षब्दों में कहा कि प्रदेष मे विधानसभा के लिए हुए मतदान के दिन 30 जनवरी को ही जारी हुए डाकपत्र मतदान पत्र ही सही माने जा सकते है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बनाये जनप्रतिनिधी चयन कानून बनाते समय कानूनविदों को इस बात का भान भी नहीं था कि भविश्य में इस प्रकार की विषेश परिस्थितियां आ सकती है कि जिसमें मतदान के एक महिने से अधिक समय तक चुनाव परिणाम घोशित नहीं किये गये। सामान्य स्थिति में जहां पोस्टल मतदान को मतगणना के दिन तक मतगणना केन्द्र तक पंहुचने पर मतगणना में सम्मलित करने की इजाजत देता है। परन्तु अब मणिपुर, उत्तराखण्ड व पंजाब जेसे राज्यों में जहां मतदान 30 जनवरी तक सम्पन्न हो चूका है वहां एक महिने 5 दिन बाद यानी 6 मार्च को उप्र आदि राज्य की विधानसभा चुनाव की भी मतगणना एक साथ होनी है। ऐसे में इन प्रदेषों की अधिकांष सीटों पर भारी मतदान व अधिकांष सीटों पर कड़ी टक्कर होने से जनादेष की रक्षा करना । चुनाव आयोग का नैतिक दायित्व हो जाता है। ऐसे में चुनाव आयोग को उन तमाम लोकषाही के दुष्मनों के कृत्यों से जनादेष की रक्षा करना चाहिए। प्रदेष में भारी मतदान से घबराकर कुछ मजबूत लोग जनादेष को प्रभावित करने के लिए इस पोस्टल मतदान का दुरप्रयोग महिने भर करके जनादेष की निर्मम हत्या करना चाहते है। सर्वोच्च न्यायालय के अग्रणी कानूनविद अवतार सिंह रावत ने कहा कि वे इस मामले को लेकर चुनाव आयोग के संज्ञान में ला रहे है। आषा है चुनाव आयोग लोकषाही की रक्षा करने के अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए प्रदेष में मतदान के दिन ही जारी किये गये डाक मतदान प्रपत्र को ही मतगणना में सम्मलित करेंगे। प्रदेष में हुई मतदान के बाद जारी किये गये मतदाता प्रपत्रों को निरस्त करके जनादेष के हरण माना जायेगा। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय से लेकर नैनीताल उच्च न्यायालय में कानूनी मामलों को सुलझाने में वरिश्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत का लोहा न भाजपा, कांग्रेसी ही नहीं अपितु षासन प्रषासन में भी माना जाता हे। उन्होंने साफ कहा कि चुनाव आयोग को इन विशम परिस्थितयों के अनुसार जनादेष की रक्षा करने के लिए कानूनों को नई दिषा देनी चाहिए। उन्होने जोर दे कर कहा कि अगर जनादेष का पालन संविधान की भावना के अनरूप नहीं होता तो न्यायालय के दरवाजे पर दस्तक दी जायेगी।
उत्तराखण्ड में राजनैतिक तिकड़मियों द्वारा भारी मतदान से घबरा कर, अपनी हार को जीत में बदलने के लिए डाकमत पत्रों को दुरप्रयोग करने की खबर आ रही है, उस पर सर्वोच्च न्यायालय के वरिश्ठ अधिवक्ता व उत्तराखण्ड में भाजपा की भ्रश्ट सरकार के स्टर्जिया सहित कई प्रकरणों को उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में बेनकाब करने वाले अवतार सिंह रावत ने प्यारा उत्तराखण्ड से एक विषेशवार्ता में दो टूक षब्दों में कहा कि प्रदेष मे विधानसभा के लिए हुए मतदान के दिन 30 जनवरी को ही जारी हुए डाकपत्र मतदान पत्र ही सही माने जा सकते है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बनाये जनप्रतिनिधी चयन कानून बनाते समय कानूनविदों को इस बात का भान भी नहीं था कि भविश्य में इस प्रकार की विषेश परिस्थितियां आ सकती है कि जिसमें मतदान के एक महिने से अधिक समय तक चुनाव परिणाम घोशित नहीं किये गये। सामान्य स्थिति में जहां पोस्टल मतदान को मतगणना के दिन तक मतगणना केन्द्र तक पंहुचने पर मतगणना में सम्मलित करने की इजाजत देता है। परन्तु अब मणिपुर, उत्तराखण्ड व पंजाब जेसे राज्यों में जहां मतदान 30 जनवरी तक सम्पन्न हो चूका है वहां एक महिने 5 दिन बाद यानी 6 मार्च को उप्र आदि राज्य की विधानसभा चुनाव की भी मतगणना एक साथ होनी है। ऐसे में इन प्रदेषों की अधिकांष सीटों पर भारी मतदान व अधिकांष सीटों पर कड़ी टक्कर होने से जनादेष की रक्षा करना । चुनाव आयोग का नैतिक दायित्व हो जाता है। ऐसे में चुनाव आयोग को उन तमाम लोकषाही के दुष्मनों के कृत्यों से जनादेष की रक्षा करना चाहिए। प्रदेष में भारी मतदान से घबराकर कुछ मजबूत लोग जनादेष को प्रभावित करने के लिए इस पोस्टल मतदान का दुरप्रयोग महिने भर करके जनादेष की निर्मम हत्या करना चाहते है। सर्वोच्च न्यायालय के अग्रणी कानूनविद अवतार सिंह रावत ने कहा कि वे इस मामले को लेकर चुनाव आयोग के संज्ञान में ला रहे है। आषा है चुनाव आयोग लोकषाही की रक्षा करने के अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए प्रदेष में मतदान के दिन ही जारी किये गये डाक मतदान प्रपत्र को ही मतगणना में सम्मलित करेंगे। प्रदेष में हुई मतदान के बाद जारी किये गये मतदाता प्रपत्रों को निरस्त करके जनादेष के हरण माना जायेगा। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय से लेकर नैनीताल उच्च न्यायालय में कानूनी मामलों को सुलझाने में वरिश्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत का लोहा न भाजपा, कांग्रेसी ही नहीं अपितु षासन प्रषासन में भी माना जाता हे। उन्होंने साफ कहा कि चुनाव आयोग को इन विशम परिस्थितयों के अनुसार जनादेष की रक्षा करने के लिए कानूनों को नई दिषा देनी चाहिए। उन्होने जोर दे कर कहा कि अगर जनादेष का पालन संविधान की भावना के अनरूप नहीं होता तो न्यायालय के दरवाजे पर दस्तक दी जायेगी।
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