देश की जनता नहीं जागी तो एक ही थाली के ये चट्टे बट्टे है ये गुनाहगार, बतन बेच देंगे

देश की जनता नहीं जागी तो एक ही थाली के ये चट्टे बट्टे है ये गुनाहगार, बतन बेच देंगे
चिदम्बरम को आरोपी नहीं माना अदालत ने

आज 4 फरवरी को देश के गृहमंत्री पी चिंदम्बरम को 2 जी मामले में सह अभियुक्त बनाये जाने वाले विवाद पर पूरे देश की नजरें न्यायपालिका पर लगी है। फेसला सुनाते हुए जज ने कहा कि चिदंम्बरम इस मामले में आरोपी नहीं है। कोर्ट ने स्वामी की याचिका खारिज की।  इससे पहले एक घण्टे के कसम कस में चिदम्बरम जेल जायेगे या बाहर रहेगे, देश की न्यायपालिका के लिए फेसले की इस घड़ी पर इतिहास की भी नजरें लगी हुई है।  इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने इस विवाद की सुनवाई निचली अदालत में ही करने के निर्देश देने के बाद यह मामला दिल्ली के पटियाला हाउस के कोर्ट में सुनवायी के लिए पंहुचा है।  आम आदमी को इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि ये आदमी किस दल के हैं। आम आदमी यही चाहता है कि गुनाहगार कोई भी हो या किसी भी दल के हों उसे जेल जाना चाहिए। किसी दलों पर आम आदमी का विश्वास नहीं रहा । दलों पर केवल मुखोटे का अंतर ही नजर आता है आम आदमी को, उसकी नजर में ये सभी दल देश व आम जनता की नहीं अपितु अपनी तिजोरियां भरने में लगे हुए है। कोर्ट फेसला क्या देता है इस पर न केवल देश के हुक्मरानों अपितु देश विदेश के प्रबुद्व जनों की टकटकी लगी है। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में जज ओ पी सेनी केन्द्रीय गृहमंत्री चिदंम्बरम को 2जी मामले में राजा के साथ सह अभियुक्त बनाने के मामले में फेसला सुनाने वाले है। उन्होंने केवल गुहार लगाने वाले सुब्रमण्यम स्वामी को कोर्ट के अंदर बुलाया है। सुबह से ही यहां पर देश विदेश की मीडिया का भरमार लगा हुआ है। कोर्ट रूप से पत्रकार व वकील भी बाहर है। चिदंम्बर भी अभी घर पर ही हैं उन्होंने अपने प्रदेश जाना था परन्तु वे फेसले के इंतजारी में दिल्ली में ही हैं। कुछ देर बाद खबर आती है कि कुछ वकील भी वहां पर कोर्ट रूम में है। स्वामी की वकील पत्नी भी स्वामी के साथ कोर्ट रूम में मोजूद है। एक घण्टे से स्वामी व दो वकील सहित कोर्ट रूप में हैं। एक घण्टे से अधिक समय की मंत्रणा के बाबजूद अभी फेसला सुनाना शुरू नहीं हुआ है। इसके एक घण्टे बाद कोर्ट ने फेसला सुनाया कि चिदंम्बरम आरोपी नहीं ठहराया जा सकता है इस मामले में। यानी स्वामी की याचिका खारिज की। स्वामी इस मामले को यों ही नहीं छोडेंगे। वे आगे ले जायेगे। परन्तु फिलहाल यह सरकार को राहत तो हो सकती पर देश के लिए कोई राहत नहीं है।
 परन्तु यह मामला केवल 2 जी तक नहीं इस मामले में एक बात साफ हो गयी कि इस देश के हुक्मरान चाहे यूपीए के हों या चाहे राजग की रही हो दोनों सरकारों के मामले में इनके हुक्मरानों ने अपने संकीर्ण स्वार्थो के लिए देश के हित को दाव पर लगाया है। मामला हवाला हो या रक्षा सोदों में कमीशन या प्रफुल्ल पटेल आदि नाम उछलने का,  चाहे मामला 2 ही वाला हो या प्रमोद महाजन के कार्यकाल वाला, या मायावती सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों को अपने प्यादों को बहुत कम कीमत पर बेचने का हो या वाजपेयी सरकार में देश की महत्वपूर्ण वाल्कों उद्यमों, सरकारी होटलों आदि को कोडियों के भाव बेचे जाने का हो, उडिसा में जजो को प्लाट आवंटन हो या मुलायम, पासवान, लालू या चैटाला आदि नेताओं के पास जमा अकूत सम्पति । इस देश में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सहित अदालतों के कई जजो पर चले इसी प्रकार के विवाद से साफ हो गया कि इस देश की व्यवस्था पूरी तरह से जरजर हो गयी है। देश की जनता की आश अब थोड़ी बहुत न्यायपालिका पर ही टिकी हुई है। परन्तु वहां भी आम आदमी की पंहुच से दूर होने से निराश है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले केजरीवाल, किरणवेदी, बाबा रामदेव पर भी जब लोग इसी प्रकार के छोटे बडे आरोपों को लगाते नजर आते तो देश का आम आदमी एक ही बात कहता है कि अब किस पर विश्वास करे। संत पंचतारा के सुविधा भोगी बन गये, नेता सब अरब खरब पति बन गये, समाजसेवा के नाम पर चल रहे एनजीओ के काले कारनामे इतने व्यथित करने वाले हैं कि जनता इनको अब लोकपाल के अंदर करना चाहती है परन्तु क्या मजाल है टीम अण्णा भी इनको लोकपाल के अंदर रखने से क्यों घबरा रही है, इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता कि दाल में कितना काला है। जब बाहर में जमा बेहिसाबी धन काला धन हो गया तो देश में रखा गैरहिसाबी धन काला धन क्यों नहीं, इसी प्रश्न का जवाब देने में बाबा रामदेव भी अपने आप को असहाय पाते है। शिक्षा से लेकर चिकित्सालय सब अब देश के आम आदमी की पंहुच से कोसों दूर है। देश की जनता आज देश के हुकमरानों, नौकरशाहों, संतों, चिकित्सकों, व्यवसायियों सहित पूरी व्यवस्था के स्तम्भ कहे जाने वाले सभी संस्थानों की भ्रष्टाचार के शिकंजे में असहाय हो कर जकडे हुए है। आम आदमी क्या करे? केसे इससे मुक्ति पाये यही यज्ञ प्रश्न देश की जनता के समझ  है।
यह देख कर देश की आम जनता हैरान है और उसे समझ में नहीं आ रहा है कि किस पर विश्वास करे। सभी दलों में बेईमानों का सम्मान व बेईमानो ंको ताज देने की प्रथा चल रही है। इन नेताओं, नौकरशाहों आदि की सम्पति दिन दुगुनि रात हजार गुनी बढ़ रही है और देश का आम आदमी किस पर विश्वास करे।

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