तिवारी व उनके प्यादों से लोकषाही व भारतीय संस्कृति को कलंकित होने से बचाये कांग्रेस
तिवारी व उनके प्यादों से लोकषाही व भारतीय संस्कृति को कलंकित होने से बचाये कांग्रेस /
बेषर्मी की हद कर तिवारी को स्टार प्रचारक बनाने की मांग करके/
देहरादून(प्याउ)। एक तरफ कांग्रेस कर्नाटक की भाजपा सरकार के तीन मंत्रीयों के कुकर्मो का कड़ी भत्र्सना करके उप्र के चुनावी जंग में बढ़त हासिल करने में दिन रात जुटी हुई है वहीं दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में अपनी कुकृत्य व कुषासन से उत्तराखण्ड की धरती को ही नहीं हेदारबाद राजनिवास को षर्मसार करने वाले नारायणदत्त तिवारी को फिर से उप्र के चुनावों में स्टार प्रचार बनाने की उनको बर्बादी की गर्त में धकेलने के लिए दोशी माने जाने वाले निहित स्वार्थी लोग कर रहे है। यह तो कांग्रेस आला नेतृत्व की बुद्विमता रही कि उप्र व उत्तराखण्ड में अपने कुषासन व इन्हीं प्रकार की बेषर्म कृत्यों से कांग्रेस को पतन के गर्त में धकेलने वाले तिवारी से राज्यपाल की गरीमा को हेदारबाद प्रकरण से कलंकित करने के बाद तिवारी से एक प्रकार से कोई संवाद तक स्थापित नहीं किया। यह आला नेतृत्व का साहसिक निर्णय रहा जिसके भय से उत्तराखण्ड सहित तमाम निहित स्वार्थी कांग्रेसियों को भी दिन के उजाले व सार्वजनिक मंचों से देष की संस्कृति व लोकषाही को कलंकित करने वाले तिवारी को दूर रख कर समाज में एक सही संदेष दिया। परन्तु दूसरी तरफ भाजपा जो अपने आप को भारतीय संस्कृति व सुचिता -सुषासन की ध्वज वाहक होने का दावा करती है उसके षासन में खंडूडी व निषक दोनों के कुषासन में तिवारी को भाजपा के राश्ट्रीय नेतृत्व के साथ सार्वजनिक मंचों में ऐसे तिवारी को मंचासीन करके देवभूमि व भारतीय संस्कृति को कलंकित करने का काम किया। देष की संस्कृति व समाज आज भी रावण जेसे महाविद्वान को आज भी हजारों साल बाद भी माफ नहीं कर पायी। इसलिए जब तब दोशी व्यक्ति हृदय से अपनी गलत कृत्यों के लिए प्रायष्चित व सदमार्ग ग्रहण नहीं करता तब तक उसको सार्वजनिक मंचों पर आसीन करना संस्कृति व समाज का गला घोंटने वाला कृत्य है। इसलिए तिवारी जो आज भी अपने कृत्यों में ही लिप्त है। उन्हें गुनाहगारों को पोशित करने का काम कर रहे है। जिनके संग रह कर उन्होंने ये कलंकित कृत्य किया।
कांग्रेस आलाकमान की आंखों में धूल झोंककर दिल्ली के ऐसे ही षर्मसार करने वाले मठाधीष के साथ शडयंत्र रच कर उत्तराखण्ड की विधानसभा चुनाव में तीन टिकट झटक कर कांग्रेस की आषाओं पर ग्रहण लगाने का काम किया। अब ऐसे ही प्यादे जो तिवारी के नाम पर व अथाह सम्पति के बल पर देहरादून की सहजपुर विधानसभा सीट से टिकट हडप ली थी। ऐसे लोगों को जिनको देष व समाज की छवि तथा लोकषाही को कमजोर करने के कृत्य में जो लोग सम्मलित रहे उनको देष व प्रदेष का भाग्य विधाता बनाने वाले लोकषाही के कलंक ही नहीं गुनाहगार भी होते है। इसके लिए कांग्रेस आलाकमान को चाहिए कि तिवारी जैसे नेताओं व उनके प्यादों को लोकषाही का भाग्य विधाता बनाने वालों को दण्डित करने का काम करके देष की संस्कृति व लोकषाही की रक्षा करनी चाहिए।
बेषर्मी की हद कर तिवारी को स्टार प्रचारक बनाने की मांग करके/
देहरादून(प्याउ)। एक तरफ कांग्रेस कर्नाटक की भाजपा सरकार के तीन मंत्रीयों के कुकर्मो का कड़ी भत्र्सना करके उप्र के चुनावी जंग में बढ़त हासिल करने में दिन रात जुटी हुई है वहीं दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में अपनी कुकृत्य व कुषासन से उत्तराखण्ड की धरती को ही नहीं हेदारबाद राजनिवास को षर्मसार करने वाले नारायणदत्त तिवारी को फिर से उप्र के चुनावों में स्टार प्रचार बनाने की उनको बर्बादी की गर्त में धकेलने के लिए दोशी माने जाने वाले निहित स्वार्थी लोग कर रहे है। यह तो कांग्रेस आला नेतृत्व की बुद्विमता रही कि उप्र व उत्तराखण्ड में अपने कुषासन व इन्हीं प्रकार की बेषर्म कृत्यों से कांग्रेस को पतन के गर्त में धकेलने वाले तिवारी से राज्यपाल की गरीमा को हेदारबाद प्रकरण से कलंकित करने के बाद तिवारी से एक प्रकार से कोई संवाद तक स्थापित नहीं किया। यह आला नेतृत्व का साहसिक निर्णय रहा जिसके भय से उत्तराखण्ड सहित तमाम निहित स्वार्थी कांग्रेसियों को भी दिन के उजाले व सार्वजनिक मंचों से देष की संस्कृति व लोकषाही को कलंकित करने वाले तिवारी को दूर रख कर समाज में एक सही संदेष दिया। परन्तु दूसरी तरफ भाजपा जो अपने आप को भारतीय संस्कृति व सुचिता -सुषासन की ध्वज वाहक होने का दावा करती है उसके षासन में खंडूडी व निषक दोनों के कुषासन में तिवारी को भाजपा के राश्ट्रीय नेतृत्व के साथ सार्वजनिक मंचों में ऐसे तिवारी को मंचासीन करके देवभूमि व भारतीय संस्कृति को कलंकित करने का काम किया। देष की संस्कृति व समाज आज भी रावण जेसे महाविद्वान को आज भी हजारों साल बाद भी माफ नहीं कर पायी। इसलिए जब तब दोशी व्यक्ति हृदय से अपनी गलत कृत्यों के लिए प्रायष्चित व सदमार्ग ग्रहण नहीं करता तब तक उसको सार्वजनिक मंचों पर आसीन करना संस्कृति व समाज का गला घोंटने वाला कृत्य है। इसलिए तिवारी जो आज भी अपने कृत्यों में ही लिप्त है। उन्हें गुनाहगारों को पोशित करने का काम कर रहे है। जिनके संग रह कर उन्होंने ये कलंकित कृत्य किया।
कांग्रेस आलाकमान की आंखों में धूल झोंककर दिल्ली के ऐसे ही षर्मसार करने वाले मठाधीष के साथ शडयंत्र रच कर उत्तराखण्ड की विधानसभा चुनाव में तीन टिकट झटक कर कांग्रेस की आषाओं पर ग्रहण लगाने का काम किया। अब ऐसे ही प्यादे जो तिवारी के नाम पर व अथाह सम्पति के बल पर देहरादून की सहजपुर विधानसभा सीट से टिकट हडप ली थी। ऐसे लोगों को जिनको देष व समाज की छवि तथा लोकषाही को कमजोर करने के कृत्य में जो लोग सम्मलित रहे उनको देष व प्रदेष का भाग्य विधाता बनाने वाले लोकषाही के कलंक ही नहीं गुनाहगार भी होते है। इसके लिए कांग्रेस आलाकमान को चाहिए कि तिवारी जैसे नेताओं व उनके प्यादों को लोकषाही का भाग्य विधाता बनाने वालों को दण्डित करने का काम करके देष की संस्कृति व लोकषाही की रक्षा करनी चाहिए।
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