खंडूडी को हराने पर सोनिया बना सकती है सुरेन्द्र नेगी को मुख्यमंत्री
खंडूडी को हराने पर सोनिया बना सकती है सुरेन्द्र नेगी को मुख्यमंत्री
प्यारा उत्तराखण्ड। कोटद्वार विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने वर्तमान मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूडी को चुनावी समर में हरा दिया तो कांग्रेस आलाकमान उनको प्रदेश का मुख्यमंत्री बना सकते है। गौरतलब हे कि कोटद्वार के 30 जनवरी को हुए चुनाव में कांग्रेस के जमीनी नेता सुरेन्द्रसिंह नेगी ने भाजपा प्रत्याशी भुवनचंद खडूडी को ऐसी कड़ी टक्कर दी कि भाजपा को पूरा चुनाव प्रचार प्रदेश के हितों व मुद्दो से हटा कर केवल खंडूडी है जरूरी का राग छेडने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालत थी कि खण्डूडी हर हाल में यहां से विजय होने के लिए पूरा तंत्र भी जिस प्रकार से झोंका हुआ था उससे वहां जनता में भारी आक्रोश था और कई बार टकराव हुआ। शराब व धनबल का खुला दुरप्रयोग करने के अलावा यहां पर शराब के मामले में भाजपा का एक नेता भी पकड़ा गया। खुपिया सुत्र व निष्पक्ष सर्वेक्षण भी इस सीट पर खण्डूडी की जीत पर संदेह प्रकट करते हुए यहां से कांग्रेस प्रत्याशी की विजय निश्चित मान रहे है। इसी आशंका से भयभीत होकर खण्डूडी समर्थकों ने यहां पर भाजपा के नेता निशंक पर भीतरघात का आरोप लगाया। चुनावी समीक्षकों को खण्डूडी खेमे के इस विलाप से अधिक कोटद्वार जेसे विधानसभा सीट से जो सुरेन्द्र सिंह नेगी का मजबूत किला था वहां से चुनावी दंगल में उतर कर अपनी सीट को खतरे में डालने की खण्डूडी की राजनैतिक निर्णय पर आश्चर्य है। परन्तु प्रदेश के चुनावी विशेषज्ञों को इस बात की आशंका है कि कहीं हारी हुई चुनावी जंग का पाशा पलटने के लिए खण्डूडी जी पोस्टल वोट का सहारा पहले की तरह न ले लें । हालांकि कांग्रेस ने इस समय पोस्टल वोट पर चुनाव आयोग से गुहार लगा कर पहले की तरह खुला नहीं छोड़ा हुआ है।
जहां तक प्रदेश में हुए चुनाव में भारी मतदान के बाद एक बात साफ उभर रही है कि प्रदेश में भाजपा सरकार का बोरिया विस्तर बंध चूका है। हाॅ मुख्यमंत्री कौन बनेगा। मुख्यमंत्री की दौड़ में कांग्रेस में दो ही प्रमुख मजबूत दावेदार है हरीश रावत व सतपाल महाराज। हालांकि इस दौड़ में यदाकदा हरकसिंह रावत, यशपाल आर्य, विजय बहुगुणा, इंदिरा हृदेश व अमृता रावत का भी नाम उछाला जा रहा है। परन्तु 2014 में लोकसभा चुनाव की महता को देख कर कांग्रेस दागदार व अविश्वसनिय, लोगों पर दाव नहीं लगायेगी। हालांकि कई निहित स्वार्थ के लोग आम जनता की नजर में दागदार लोगों को आसीन कराने के लिए कांग्रेस आलाकमान को गुमराह करने की बात कर रहे है। परन्तु आला कमान प्रदेश की भ्रष्टाचार रहित शासन प्रशासन की आश लगाने वाले बहुसंख्यक समाज को नजरांदाज करके दागदार लोगों को आसीन करने की धृष्ठता करना कांग्रेस को भी तिवारी, खंडूडी व निशंक को आसीन करने की भूल करने पर जनता द्वारा जनांदेश से दण्डित करने का खमियाजा 2014 के लोकसभा चुनाव में उठाना ही पडेगा। वेसे कांग्रेसी रणनीति के जानकारों को इस बात से हेरानी है कि अज्ञानी लोग ही कांग्रेस में मुख्यमंत्री के पद पर विवाद को हौव्वा बना रहे हैं या कुछ गैर कांग्रेसी रणनीति के लोग इसको लेकर चर्चा कर रहे है। कांग्रेस अगर बहुमत में आती है तो विधायक दल की बैठक में एक पंक्ति का प्रस्ताव पास होता है कि सभी विधायक एकमत से कांग्रेस आला कमान को विधानसभा मण्डल दल का नेता चुनने के लिए अधिकृत करता है। कांग्रेस नेतृत्व जिस को भी अपने विश्वास का काबिल समझता है उसे अपना भरत बनाती है। वैसे ही जेसे भाजपा नेतृत्व भी अधिकांश विधायकों की राय को नजरांदाज करके कोश्यारी या साफ छवि के नेता को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय खण्डूडी या निशंक या कभी स्वामी जी को मुख्यमंत्री थोप देती रही। कांग्रेस व भाजपा दोनों अलोकत्रांत्रिक ढ़ग से प्रदेश की लोकशाही को रौंदते हें। दोनों दलों का प्रदेश के हित में कौन सबसे अधिक जनहित में सुशासन देने वाला होगा यह न हो कर प्रदेश के हितों को उनके लिए कौन ज्यादा दोहन करायेगा, कौन उनकी तिजोरी भरेगा यह महत्वपूर्ण होता है।
परन्तु जबसे सोनिया गांधी के हाथों में कांग्रेस की कमान आयी तब से वह ऐसे निर्णय भी लेती है जिसकी आम लोग कल्पना भी नहीं करते। इसी के तहत लोग कायश लगा रहे हैं कि यदि सुरेन्द्रसिंह नेगी कोटद्वार से भाजपा के मुख्यमंत्री खंडूडी को पटकनी देते हैं तो सोनिया गांधी उनकी वरिष्ठता, तटस्थता, जमीनी व अनुभव देखते हुए उनको प्रदेश के मुख्यमंत्री बना सकती है। इसी परिपाटी में ही अगर सोनिया गांधी प्रदेश में किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाने की सोचती है तो वह साफ छवि की पूर्व मंत्री अमृता रावत का भी ्रपदेश का मुख्यमंत्री बना सकती है।
प्यारा उत्तराखण्ड। कोटद्वार विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने वर्तमान मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूडी को चुनावी समर में हरा दिया तो कांग्रेस आलाकमान उनको प्रदेश का मुख्यमंत्री बना सकते है। गौरतलब हे कि कोटद्वार के 30 जनवरी को हुए चुनाव में कांग्रेस के जमीनी नेता सुरेन्द्रसिंह नेगी ने भाजपा प्रत्याशी भुवनचंद खडूडी को ऐसी कड़ी टक्कर दी कि भाजपा को पूरा चुनाव प्रचार प्रदेश के हितों व मुद्दो से हटा कर केवल खंडूडी है जरूरी का राग छेडने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालत थी कि खण्डूडी हर हाल में यहां से विजय होने के लिए पूरा तंत्र भी जिस प्रकार से झोंका हुआ था उससे वहां जनता में भारी आक्रोश था और कई बार टकराव हुआ। शराब व धनबल का खुला दुरप्रयोग करने के अलावा यहां पर शराब के मामले में भाजपा का एक नेता भी पकड़ा गया। खुपिया सुत्र व निष्पक्ष सर्वेक्षण भी इस सीट पर खण्डूडी की जीत पर संदेह प्रकट करते हुए यहां से कांग्रेस प्रत्याशी की विजय निश्चित मान रहे है। इसी आशंका से भयभीत होकर खण्डूडी समर्थकों ने यहां पर भाजपा के नेता निशंक पर भीतरघात का आरोप लगाया। चुनावी समीक्षकों को खण्डूडी खेमे के इस विलाप से अधिक कोटद्वार जेसे विधानसभा सीट से जो सुरेन्द्र सिंह नेगी का मजबूत किला था वहां से चुनावी दंगल में उतर कर अपनी सीट को खतरे में डालने की खण्डूडी की राजनैतिक निर्णय पर आश्चर्य है। परन्तु प्रदेश के चुनावी विशेषज्ञों को इस बात की आशंका है कि कहीं हारी हुई चुनावी जंग का पाशा पलटने के लिए खण्डूडी जी पोस्टल वोट का सहारा पहले की तरह न ले लें । हालांकि कांग्रेस ने इस समय पोस्टल वोट पर चुनाव आयोग से गुहार लगा कर पहले की तरह खुला नहीं छोड़ा हुआ है।
जहां तक प्रदेश में हुए चुनाव में भारी मतदान के बाद एक बात साफ उभर रही है कि प्रदेश में भाजपा सरकार का बोरिया विस्तर बंध चूका है। हाॅ मुख्यमंत्री कौन बनेगा। मुख्यमंत्री की दौड़ में कांग्रेस में दो ही प्रमुख मजबूत दावेदार है हरीश रावत व सतपाल महाराज। हालांकि इस दौड़ में यदाकदा हरकसिंह रावत, यशपाल आर्य, विजय बहुगुणा, इंदिरा हृदेश व अमृता रावत का भी नाम उछाला जा रहा है। परन्तु 2014 में लोकसभा चुनाव की महता को देख कर कांग्रेस दागदार व अविश्वसनिय, लोगों पर दाव नहीं लगायेगी। हालांकि कई निहित स्वार्थ के लोग आम जनता की नजर में दागदार लोगों को आसीन कराने के लिए कांग्रेस आलाकमान को गुमराह करने की बात कर रहे है। परन्तु आला कमान प्रदेश की भ्रष्टाचार रहित शासन प्रशासन की आश लगाने वाले बहुसंख्यक समाज को नजरांदाज करके दागदार लोगों को आसीन करने की धृष्ठता करना कांग्रेस को भी तिवारी, खंडूडी व निशंक को आसीन करने की भूल करने पर जनता द्वारा जनांदेश से दण्डित करने का खमियाजा 2014 के लोकसभा चुनाव में उठाना ही पडेगा। वेसे कांग्रेसी रणनीति के जानकारों को इस बात से हेरानी है कि अज्ञानी लोग ही कांग्रेस में मुख्यमंत्री के पद पर विवाद को हौव्वा बना रहे हैं या कुछ गैर कांग्रेसी रणनीति के लोग इसको लेकर चर्चा कर रहे है। कांग्रेस अगर बहुमत में आती है तो विधायक दल की बैठक में एक पंक्ति का प्रस्ताव पास होता है कि सभी विधायक एकमत से कांग्रेस आला कमान को विधानसभा मण्डल दल का नेता चुनने के लिए अधिकृत करता है। कांग्रेस नेतृत्व जिस को भी अपने विश्वास का काबिल समझता है उसे अपना भरत बनाती है। वैसे ही जेसे भाजपा नेतृत्व भी अधिकांश विधायकों की राय को नजरांदाज करके कोश्यारी या साफ छवि के नेता को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय खण्डूडी या निशंक या कभी स्वामी जी को मुख्यमंत्री थोप देती रही। कांग्रेस व भाजपा दोनों अलोकत्रांत्रिक ढ़ग से प्रदेश की लोकशाही को रौंदते हें। दोनों दलों का प्रदेश के हित में कौन सबसे अधिक जनहित में सुशासन देने वाला होगा यह न हो कर प्रदेश के हितों को उनके लिए कौन ज्यादा दोहन करायेगा, कौन उनकी तिजोरी भरेगा यह महत्वपूर्ण होता है।
परन्तु जबसे सोनिया गांधी के हाथों में कांग्रेस की कमान आयी तब से वह ऐसे निर्णय भी लेती है जिसकी आम लोग कल्पना भी नहीं करते। इसी के तहत लोग कायश लगा रहे हैं कि यदि सुरेन्द्रसिंह नेगी कोटद्वार से भाजपा के मुख्यमंत्री खंडूडी को पटकनी देते हैं तो सोनिया गांधी उनकी वरिष्ठता, तटस्थता, जमीनी व अनुभव देखते हुए उनको प्रदेश के मुख्यमंत्री बना सकती है। इसी परिपाटी में ही अगर सोनिया गांधी प्रदेश में किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाने की सोचती है तो वह साफ छवि की पूर्व मंत्री अमृता रावत का भी ्रपदेश का मुख्यमंत्री बना सकती है।
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