शहीदों की शहादत व लोकशाही का अपमान है देहरादून में 16 करोड़ का मुख्यमंत्री आवास बनाना
शहीदों की शहादत व लोकशाही का अपमान है देहरादून में 16 करोड़ का मुख्यमंत्री आवास बनाना
इसी शुक्रवार 13 मई को प्रदेश की अस्थाई राजधानी देहरादून में प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए 16 करोड़ रूपये लागत से बने मुख्यमंत्री आवास भवन में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल के प्रवेश से प्रदेश की अब तक की सरकारों का उत्तराखण्ड विरोधी चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो गया। एक तरफ प्रदेश सरकार ने अभी प्रदेश की स्थाई राजधानी का फेसले का ऐलान नहीं किया वहीं गुपचुप तरीके से प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण कार्यालय का निर्माण देहरादून में ही करके प्रदेश की जनभावनाओं के साथ प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग करते हुए शहीद हुए राज्य गठन आंदोलनकारियों की शहादत का घोर अपमान है। देहरादून में बने प्रदेश की जनता के विकास के 16 करोड़ रूपये खर्च करके जो मुख्यमंत्री का आवास बनाया गया उससे साफ हो गया कि प्रदेश के अब तक के तमाम हुक्मरानों को न तो प्रदेश की जनभावनाओं का एक रत्तीभर भी सम्मान है व नहीं उनको नैतिक मर्यादा तथा लोकशाही में तनिक सा भी विश्वास नहीं है। अगर उनको लोकशाही व नैतिक मूल्यों के लिए जरा सा भी सम्मान रहता तो वे स्थाई राजधानी का विधिवत ऐलान करने से पहले किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री निवास सहित तमाम महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण नहीं करते। इस प्रकरण से साफ हो गया कि न केवल नारायणदत्त तिवारी व भुवन चंद खंडूडी जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों को ही नहीं अपितु वर्तमान मुख्यमंत्री रमेश पौखरियाल निशंक को भी उत्तराखण्ड की जनभावनाओं व नैतिक मूल्यों के लिए एकांश भी सम्मान नहीं है। ये अपनी अंधी सत्तालोलुपता के लिए उत्तराखण्ड की जनभावनाओं को जिस शर्मनाक ढ़ग से रौंद रहे हैं उससे इनको जितनी भी लानत भेजी जाय कम है।
इसी शुक्रवार 13 मई को प्रदेश की अस्थाई राजधानी देहरादून में प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए 16 करोड़ रूपये लागत से बने मुख्यमंत्री आवास भवन में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल के प्रवेश से प्रदेश की अब तक की सरकारों का उत्तराखण्ड विरोधी चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो गया। एक तरफ प्रदेश सरकार ने अभी प्रदेश की स्थाई राजधानी का फेसले का ऐलान नहीं किया वहीं गुपचुप तरीके से प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण कार्यालय का निर्माण देहरादून में ही करके प्रदेश की जनभावनाओं के साथ प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग करते हुए शहीद हुए राज्य गठन आंदोलनकारियों की शहादत का घोर अपमान है। देहरादून में बने प्रदेश की जनता के विकास के 16 करोड़ रूपये खर्च करके जो मुख्यमंत्री का आवास बनाया गया उससे साफ हो गया कि प्रदेश के अब तक के तमाम हुक्मरानों को न तो प्रदेश की जनभावनाओं का एक रत्तीभर भी सम्मान है व नहीं उनको नैतिक मर्यादा तथा लोकशाही में तनिक सा भी विश्वास नहीं है। अगर उनको लोकशाही व नैतिक मूल्यों के लिए जरा सा भी सम्मान रहता तो वे स्थाई राजधानी का विधिवत ऐलान करने से पहले किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री निवास सहित तमाम महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण नहीं करते। इस प्रकरण से साफ हो गया कि न केवल नारायणदत्त तिवारी व भुवन चंद खंडूडी जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों को ही नहीं अपितु वर्तमान मुख्यमंत्री रमेश पौखरियाल निशंक को भी उत्तराखण्ड की जनभावनाओं व नैतिक मूल्यों के लिए एकांश भी सम्मान नहीं है। ये अपनी अंधी सत्तालोलुपता के लिए उत्तराखण्ड की जनभावनाओं को जिस शर्मनाक ढ़ग से रौंद रहे हैं उससे इनको जितनी भी लानत भेजी जाय कम है।
all state BJP silence.alos opposition cong.for luxurious house lke king poor state like uttrakhand.it is democracy not fedual law or system.
ReplyDeleteरावत जी दुर्भाग्य ही कही जाई आज उत्तराखंड में सब लुटरे बैठे है
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