चुनावी जंग को जीतने के लिए निशंक चल सकते हैं नये जनपद गठन का दाव

चुनावी जंग को जीतने के लिए निशंक चल सकते हैं नये जनपद गठन का दाव
जैसे-जैसे प्रदेश में आगामी वर्ष में होने वाले विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है प्रदेश में नये जिले बनाने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलनों के तेवर भी बदलते जा रहे है। इन आंदोलनकारियों को विश्वास है कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार राजनेतिक दाव खेल कर हर हाल में प्रदेश में कुछ नये जिलों का गठन करेगी। इन नये संभावित गठित होने वाले जिलों में जहां काशीपुर, धुमाकोट, रानीखेत, यमुनाघाटी व रूड़की का नाम प्रमुखताः से लिया जा रहा है।
इसी आशा में प्रदेश में नये जनपदों के गठन की मांग का आंदोलन इन स्थानों के अतिरिक्त कई अन्य स्थानों में भी जारी है। हालांकि नये जिलों की मांग को लेकर रामगंगा, पिण्डर, कोटद्वार, नरेन्द्र नगर, डीडीहाट सहित कई अन्य नाम बड़ी तेजी से जुड़ रहे है। परन्तु जिस तीब्रता से रानीखेत जिला बनाओं आंदोलन संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले साढ़े तीन माह से चल रहा है उसको देख कर लग रहा है कि अगर प्रदेश सरकार ने नया जिला बनाने की मांग को विधानसभा चुनाव से पहले नहीं मा नी तो यह भाजपा के लिए बहुत ही घातक हो सकता है। इसके साथ विश्वसनिय सुत्र यह दावा भी कर रहे हैं कि रानीखेत व काशीपुर से लेकर यमुनाघाटी जिला बनाने के लिए प्रदेश भाजपा सरकार मन पूरी तरह से बना चूकी है। इसके अलावा अन्य जनपदों के बनाये जाने के नफा नुकसान का आंकलन करके इस सूचि में नये नाम भी जुड़ सकते हैं।
वहीं रानीखेत में धरना-प्रदर्शन एसडीएम कार्यालय में जारी है। इसके साथ जिस प्रकार से धुमाकोट जिला बनाने की मांग को लेकर धुमाकोट क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों ने राजधानी देहरादून में धुमाकोट जिला बनाओं संघर्ष समिति के संरक्षक महेश चंद्रा के नेतृत्व में प्रचण्ड प्रदर्शन किया तथा उसमें नेता प्रतिपक्ष डा. हरक सिंह रावत से लेकर आधा दर्जन कांग्रेसी विधायकों ने प्रदर्शन में सम्मलित हो कर गेद भाजपा के पाले में डाल दी है। अब अगर भाजपा प्रदेश में नये जनपदों का गठन करती है तो उसके लिए धुमाकोट को नजरांदाज करना चुनावी वर्ष में आत्मघाती ही साबित होगा। अगर नये जनपदों के गठन में जरा सी भी चूक होती है तो निशंक सरकार का यह सियासी दाव आत्मघाती भी साबित हो सकता है। परन्तु अगर सही पड़ गया तो यह दाव विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्तासीन भाजपा के लिए फिर से प्रदेश में सत्तासीन होने के मंसूबों को साकार करने में काफी हद तक मददगार साबित हो सकते हैं।

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