खून का आंसू रोणिया च मेरा उत्तराखण्डी

जागी जावा जागी मेरा उत्तराखण्डी वीरो,
जागी जावा जागी मेरी देव भूमि का सपूतो।।
चंगेजी लूटेरों ला देखो लूटी मेरो पहाड़,
कोडियों का दाम बेची यो ना धरती माॅं।।
मुजफरनगर के जख्म हमें धिक्कार रहे हैं।
शहीदों की शहादत को भी ये रौंद रहे हैं।।
गैरसैंण राजधानी को ये नादिर रोक रहे है,
जाति-क्षेत्रवाद के ये कीड़े चंगेज बने हैं।।
माॅ माटी मानुष से इनको जरासा प्रेम नहीं है,
वतन को लुटने लुटाने में ही दिन रात लगे है।
जागो मेरो बदरी नाथ जाग भोला केदार,
जागो मेरो नरसिंह जागो त्रिकाल भैंरों।।
माॅं भवानी जागी जाओ जागो हरि हर,
नेताओं का भेंष माॅं आज घुसी लूटेरा।।
नौकरशाही मां भी घुसी गया बटमार,
जनसेवा का नाम पर लूट मची भारी।।
दिल्ली दरवार में घुसी गेना पत्तीधारी,
रक्षा करो बीर बजरंगी रक्षा करो ग्वेल।।
रक्षा करो चक्रधारी तुम मेरो श्री कृष्ण,
आयां तेरी शरण माॅं सभी उत्तराखण्डी।।
पाखंडी लूटेरों से रक्षा करो माॅं चण्डी।
खून का आंसू रोणिया च मेरा उत्तराखण्डी।।
जागी जावा जागी मेरा उत्तराखण्डी वीरो।
जागी जावा जागी मेरी देवभूमि का सपूतो।।
-देवसिंह रावत ़(19-20 मई 2011)

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