केवल रूद्रनाथ में ही होती है भगवान शिव के मुख की पूजा
केवल रूद्रनाथ में ही होती है भगवान शिव के मुख की पूजा
गोपेश्वर(प्याउ)। सारे विश्व में जहां प्रायः भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा होती है वहीं पंच केदारों में एक भगवान रूद्रनाथ में ही केवल भगवान शिव की मुख की पूजा होती है।ऐसी मान्यता है कि यहां पर पाडवों को भगवान शिव के मुखारबिन्द के दर्शन दिये थे। इस पावन तीर्थ रूद्रनाथ सड़क से 18 किलोमीटर की दूरी पर समुद्रतल से 2286 मीटर उंचाई पर लालमाटी पर्वत पर स्थित है। शीतकाल के बाद चारों धामों के कपाट खुलने के साथ ही भगवान श्री रूद्रनाथ के कपाट भी भक्तों के लिए खोल दिये गये है। कपाट खुलने के अवसर व उसके बाद यहां पर हजारों श्रद्धालुओं ने रूद्रनाथ की पूजा अर्चना व दर्शन कर अपना जीवन धन्य कर रहे है। मध्य हिमालय की गोद में स्थित पंच केदारों में अग्रणी मदमहेश्वर व रूद्रनाथ ही आज भी दुर्गम पर्वत पर स्थित है।
गोपेश्वर(प्याउ)। सारे विश्व में जहां प्रायः भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा होती है वहीं पंच केदारों में एक भगवान रूद्रनाथ में ही केवल भगवान शिव की मुख की पूजा होती है।ऐसी मान्यता है कि यहां पर पाडवों को भगवान शिव के मुखारबिन्द के दर्शन दिये थे। इस पावन तीर्थ रूद्रनाथ सड़क से 18 किलोमीटर की दूरी पर समुद्रतल से 2286 मीटर उंचाई पर लालमाटी पर्वत पर स्थित है। शीतकाल के बाद चारों धामों के कपाट खुलने के साथ ही भगवान श्री रूद्रनाथ के कपाट भी भक्तों के लिए खोल दिये गये है। कपाट खुलने के अवसर व उसके बाद यहां पर हजारों श्रद्धालुओं ने रूद्रनाथ की पूजा अर्चना व दर्शन कर अपना जीवन धन्य कर रहे है। मध्य हिमालय की गोद में स्थित पंच केदारों में अग्रणी मदमहेश्वर व रूद्रनाथ ही आज भी दुर्गम पर्वत पर स्थित है।
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