इस साल भी नहीं कर पाये कपाट खुलने वाले दिन मुख्यमंत्री निशंक भगवान बदरीनाथ के दर्शन
श्री बदरीनाथ धाम सहित चारों धामों के खुले कपाट
इस साल भी नहीं कर पाये कपाट खुलने वाले दिन मुख्यमंत्री निशंक भगवान बदरीनाथ के दर्शन
,बदरीनाथ(प्याउ)। 9 मई के पावन ब्रह्म मूर्हत में 5.35 मिनट पर पूरे वैदिक मंत्रों व भगवान श्री बदरीनाथ की जय हो! के गगनभेदी जयकारों के बीच छह माह के शीतकालीन प्रवास के बाद आम भक्तों के लिए भगवान बदरी विशालके कपाट खोल दिये गये। गौरतलब है कि भगवान श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के एक दिन पहले भगवान केदारनाथ के भी कपाट खुल गये। इसके साथ ही चार धामों के नाम से विश्व विख्यात पावन धामों के कपाट खुलते ही प्रदेश में देश विदेश से भक्तों का दर्शनार्थ तांता ही लग गया।
उत्तराखंड के सीमान्त जनपद चमोली में 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस हिन्दू धर्म के सर्वोच्च धाम के कपाटइस अवसर पर प्रथम दिन ही देश विदेश से आये 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने अखंड ज्योति के साथ ही भगवान के दर्शन किए। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी भगवान श्री बदरीनाथ के दर्शन कपाट खुलने के दिन नहीं कर सके। गौरतलब है मुख्यमंत्री बनने के बाद वे गत वर्ष कपाट खुलने के पावन पर्व पर गत वर्ष भी भाजपा के आला नेता लाल कृष्ण आडवाणी के साथ भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने का मन बना चूके थे परन्तु उस दिन प्रदेश भर व बदरीनाथ क्षेत्र में आयी वर्षा व तुफान ने मुख्यमंत्री की इच्छा पर पानी ही फेर दिया। इस साल भी जहां वे भगवान श्री केदारनाथ के कपाट खुलने के दिन केदारनाथ पंहुचे परन्तु इस इस साल भी भगवान श्री बदरीनाथ के दर्शन कपाट खुलने के दिन नहीं कर पाये। अब चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओंके लिए खुल गए हैं। इसके जो भी कारण हो परन्तु इसे राजनै ितक क्षेत्रों में शुभ नहीं माना जा रहा है। क्योंकि इस साल सदियों से भगवान श्रीबदरीनाथ धाम के पावन कपाट खुलने के रोज पूरे बदरीनाथ क्षेत्र, जो बदरीनाथ के समीप नीति माणा से नारायणबगड़ विकासखण्ड के कोठुली क्षेत्र तक माना जाता है, वहां वर्षा की न हल्की व नहीं भारी बौछारें पड़ी।
वहीं सोमवार 9 मई सुबह कपाट खुलने के बाद रावल केशव प्रसाद नम्बूदरी ने महालक्ष्मी की प्रतिमा को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर निकाल महालक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया। इसके उपरांत उद्धव व कुबेर को गर्भ गृह में प्रवेश कराकर बदरीश पंचायत की पूजा शुरू की गई। इस साल भगवान श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट खुलते समय गत वर्षों की भांति ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य माधवाश्रम की बजाय विहिप समर्थित शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, धर्माधिकारी जगदंबा प्रसाद सती, आपदा प्रबन्धन मंत्री खजान दास, बदरीनाथ के विधायक केदार सिंह फोनिया ,मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट, यूकेडी के अध्यक्ष त्रिवेन्द्र पंवार, सहित बड़ी संख्या में देश विदेश से आये वैष्णव भक्त व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मंदिर समिति के अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस साल भी नहीं कर पाये कपाट खुलने वाले दिन मुख्यमंत्री निशंक भगवान बदरीनाथ के दर्शन
,बदरीनाथ(प्याउ)। 9 मई के पावन ब्रह्म मूर्हत में 5.35 मिनट पर पूरे वैदिक मंत्रों व भगवान श्री बदरीनाथ की जय हो! के गगनभेदी जयकारों के बीच छह माह के शीतकालीन प्रवास के बाद आम भक्तों के लिए भगवान बदरी विशालके कपाट खोल दिये गये। गौरतलब है कि भगवान श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के एक दिन पहले भगवान केदारनाथ के भी कपाट खुल गये। इसके साथ ही चार धामों के नाम से विश्व विख्यात पावन धामों के कपाट खुलते ही प्रदेश में देश विदेश से भक्तों का दर्शनार्थ तांता ही लग गया।
उत्तराखंड के सीमान्त जनपद चमोली में 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस हिन्दू धर्म के सर्वोच्च धाम के कपाटइस अवसर पर प्रथम दिन ही देश विदेश से आये 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने अखंड ज्योति के साथ ही भगवान के दर्शन किए। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी भगवान श्री बदरीनाथ के दर्शन कपाट खुलने के दिन नहीं कर सके। गौरतलब है मुख्यमंत्री बनने के बाद वे गत वर्ष कपाट खुलने के पावन पर्व पर गत वर्ष भी भाजपा के आला नेता लाल कृष्ण आडवाणी के साथ भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने का मन बना चूके थे परन्तु उस दिन प्रदेश भर व बदरीनाथ क्षेत्र में आयी वर्षा व तुफान ने मुख्यमंत्री की इच्छा पर पानी ही फेर दिया। इस साल भी जहां वे भगवान श्री केदारनाथ के कपाट खुलने के दिन केदारनाथ पंहुचे परन्तु इस इस साल भी भगवान श्री बदरीनाथ के दर्शन कपाट खुलने के दिन नहीं कर पाये। अब चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओंके लिए खुल गए हैं। इसके जो भी कारण हो परन्तु इसे राजनै ितक क्षेत्रों में शुभ नहीं माना जा रहा है। क्योंकि इस साल सदियों से भगवान श्रीबदरीनाथ धाम के पावन कपाट खुलने के रोज पूरे बदरीनाथ क्षेत्र, जो बदरीनाथ के समीप नीति माणा से नारायणबगड़ विकासखण्ड के कोठुली क्षेत्र तक माना जाता है, वहां वर्षा की न हल्की व नहीं भारी बौछारें पड़ी।
वहीं सोमवार 9 मई सुबह कपाट खुलने के बाद रावल केशव प्रसाद नम्बूदरी ने महालक्ष्मी की प्रतिमा को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर निकाल महालक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया। इसके उपरांत उद्धव व कुबेर को गर्भ गृह में प्रवेश कराकर बदरीश पंचायत की पूजा शुरू की गई। इस साल भगवान श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट खुलते समय गत वर्षों की भांति ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य माधवाश्रम की बजाय विहिप समर्थित शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, धर्माधिकारी जगदंबा प्रसाद सती, आपदा प्रबन्धन मंत्री खजान दास, बदरीनाथ के विधायक केदार सिंह फोनिया ,मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट, यूकेडी के अध्यक्ष त्रिवेन्द्र पंवार, सहित बड़ी संख्या में देश विदेश से आये वैष्णव भक्त व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मंदिर समिति के अधिकारी भी उपस्थित थे।
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