महानायक महेन्द्र सिंह टिकैत को शतः शतः नमन्
महानायक महेन्द्र सिंह टिकैत को शतः शतः नमन्
सिसौली(प्याउ)। सिसौली के संत व लाखों किसानों के महानायक चैधरी महेन्द्र सिंह टिकैत को 16 मई को सोमवार को लाखों किसानों ने अश्रुपूर्ण अंतिम विदायी दी। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष के रूप में भारतीय किसानों की एक मजबूत आवाज बने टिकैत जिनकी एक दहाड़ से दशकों तक दिल्ली दरवार के हुक्मरानों के पसीने छूटते थे का अंतिम संस्कार उनके गांव में किया गया।
टिकैत का जन्म 1935 में मुजफ्फरनगर के सिस©ली गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। 76 वर्षीय बाबा टिकैत काफी समय से कैंसर तथा किडनी के रोग से पीड़ित थे। रविवार की सुबह मुजफ्फरनगर आवास पर उनका निधन हो गया था। तभी उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव सिसौली लाया गया था। कैंसर अ©र लीवर की समस्य्ाा से जूझ रहे महेन्द्र सिंह टिकैत का वजन 95 किल¨ से घटकर 55 किल¨ रह गय्ाा था। टिकैत करीब आठ महीने से शैय्य्ाा पर पड़े हुए थे। किसान¨ं के हक में सतत संघर्षरत रहे टिकैत कई बार गिरफ्तार किय्ो गये अ©र विवाद¨ं से भी घिरे रहे लेकिन इन सबके बावजूद उनके निधन से किसान आंद¨लन क¨ गहरा झटका लगा है। व¨ट क्लब पर टिकैत के नेतृत्व में आय्ा¨जित धरना प्रदर्शन से दिल्ली में आसीन सरकारों की चूलें हिल गयी थी यह धरना इतना व्य्ाापक अ©र अनुशासित था कि इसके बाद य्ाहां विर¨ध प्रदर्शन के आय्ा¨जन पर र¨क लगा दी गई। वे किसान हितों के संघर्ष में कइ्र्र बार जेल गये। दिल्ली व उत्तर प्रदेश की सरकारें उनकी एक हुंकार से भयभीत हो जाती थी। भाकियू सुप्रीमो के सबसे बड़े सुपुत्र नरेश टिकैत ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके साथ छोटे बेटे और भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और पौत्र गौरव टिकैत के अलावा परिवार व भाकियू के पदाधिकारी थे।इस बीच बाबा टिकैत अमर रहें। बाबा तेरा यह बलिदान, याद करेगा हर किसान। जब तक सूरज चांद रहेगा, बाबा तेरा नाम रहेगा- आदि नारे गूंजते रहे। इससे पूर्व आंसुओं के बीच हजारों लोगों ने बाबा के दर्शन कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा विस के पूर्व स्पीकर डॉ. रघुवीर कादियान, वरिष्ठ कांग्रेसी चैधरी इंद्र सिंह हुड्डा, यूपी सरकार की ओर से कृषि मंत्री चै. लक्ष्मी नारायण, कर्नाटक के नजुंडा स्वामी, पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, पूर्व मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल, सहित बड़ी संख्या में अलावा उत्तराखण्ड, हरियाणा, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश से भाकियू के तमाम पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं ने किसानों के महानायक को अपनी अंतिम विदाई दी।
सिसौली(प्याउ)। सिसौली के संत व लाखों किसानों के महानायक चैधरी महेन्द्र सिंह टिकैत को 16 मई को सोमवार को लाखों किसानों ने अश्रुपूर्ण अंतिम विदायी दी। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष के रूप में भारतीय किसानों की एक मजबूत आवाज बने टिकैत जिनकी एक दहाड़ से दशकों तक दिल्ली दरवार के हुक्मरानों के पसीने छूटते थे का अंतिम संस्कार उनके गांव में किया गया।
टिकैत का जन्म 1935 में मुजफ्फरनगर के सिस©ली गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। 76 वर्षीय बाबा टिकैत काफी समय से कैंसर तथा किडनी के रोग से पीड़ित थे। रविवार की सुबह मुजफ्फरनगर आवास पर उनका निधन हो गया था। तभी उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव सिसौली लाया गया था। कैंसर अ©र लीवर की समस्य्ाा से जूझ रहे महेन्द्र सिंह टिकैत का वजन 95 किल¨ से घटकर 55 किल¨ रह गय्ाा था। टिकैत करीब आठ महीने से शैय्य्ाा पर पड़े हुए थे। किसान¨ं के हक में सतत संघर्षरत रहे टिकैत कई बार गिरफ्तार किय्ो गये अ©र विवाद¨ं से भी घिरे रहे लेकिन इन सबके बावजूद उनके निधन से किसान आंद¨लन क¨ गहरा झटका लगा है। व¨ट क्लब पर टिकैत के नेतृत्व में आय्ा¨जित धरना प्रदर्शन से दिल्ली में आसीन सरकारों की चूलें हिल गयी थी यह धरना इतना व्य्ाापक अ©र अनुशासित था कि इसके बाद य्ाहां विर¨ध प्रदर्शन के आय्ा¨जन पर र¨क लगा दी गई। वे किसान हितों के संघर्ष में कइ्र्र बार जेल गये। दिल्ली व उत्तर प्रदेश की सरकारें उनकी एक हुंकार से भयभीत हो जाती थी। भाकियू सुप्रीमो के सबसे बड़े सुपुत्र नरेश टिकैत ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके साथ छोटे बेटे और भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और पौत्र गौरव टिकैत के अलावा परिवार व भाकियू के पदाधिकारी थे।इस बीच बाबा टिकैत अमर रहें। बाबा तेरा यह बलिदान, याद करेगा हर किसान। जब तक सूरज चांद रहेगा, बाबा तेरा नाम रहेगा- आदि नारे गूंजते रहे। इससे पूर्व आंसुओं के बीच हजारों लोगों ने बाबा के दर्शन कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा विस के पूर्व स्पीकर डॉ. रघुवीर कादियान, वरिष्ठ कांग्रेसी चैधरी इंद्र सिंह हुड्डा, यूपी सरकार की ओर से कृषि मंत्री चै. लक्ष्मी नारायण, कर्नाटक के नजुंडा स्वामी, पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, पूर्व मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल, सहित बड़ी संख्या में अलावा उत्तराखण्ड, हरियाणा, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश से भाकियू के तमाम पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं ने किसानों के महानायक को अपनी अंतिम विदाई दी।
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