भगवान राम के नहीं अपितु निषंक की षरण में है भाजपा- संघ

भगवान राम के नहीं अपितु निषंक की षरण में है भाजपा- संघ/
अपने निहित स्वार्थो के लिए भाजपा का बेडा गर्क करने पर तुले हैं गड़करी व आडवाणी

एक समय था जब भाजपा व उसकी मातृ संस्था देष की जनता को भ्रश्टाचार रहित सुषासन व रामराज्य स्थापित करने के सपने देष की जनता को दिखाते थे। आज समय है कि भाजपा व संघ के नेता भारतीय संस्कृति की उदगम स्थली देवभूमि उत्तराखण्ड में वर्तमान में आसीन भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री रमेष पोखरियाल की षरण में है। हाई कोर्ट से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में निषंक सरकार के भ्रश्टाचार के मामले चल रहे हैं, प्रदेष के वरिश्ठ व जनाधार वाले पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोष्यारी व भुवनचंद खंडूडी लम्बे समय से भाजपा हाईकमान से निरंतर इन भ्रश्टाचार आदि मामलों से जनता की नजरों में पूरी तरह से बेनकाब हो चूके रमेष पोखरियाल निषंक को तत्काल बदलने की मांग कर रहे हैं। परन्तु क्या मजाल की रामराज्य व सुषासन की बात करने वाली भाजपा व संघ किसी भी कीमत पर निषंक को हटाने के लिए तैयार ही नहीं है। पार्टी जाय भाड़ में, नैतिक मूल्य जाय भाड़ में परन्तु आला नेताओं आडवाणी, गडकरी व थावर चंद गहलोत की नाक व हितों पर आंच नहीं आनी चाहिए। इसी लिए 26 मई को गड़करी ने निषंक, खंडूडी व कोष्यारी की दिल्ली में बैठक ले कर अपना धृतराश्ट्रीय फरमान सुना डाला की निषंक को मुख्यमंत्री की कुर्सी से चुनाव से पहले किसी भी कीमत पर नहीं हटाया जायेगा। भले ही जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए गडकरी ने चुनाव निषंक, खंडूडी व कोष्यारी के संयुक्त नेतृत्व में लड़ा जायेगा और मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसका चयन विधानसभा चुनाव के बाद निर्वाचित विधायक करेंगे। गड़करी जी जनता को बेवकूफ समझ रहे हैं उन्हें मालुम है कि गत विधानसभा चुनाव में भाजपा के 24 विधायकों का एक मत था भगतसिंह कोष्यारी को प्रदेष के मुख्यमंत्री बनाने की। तब भाजपा नेतृत्व ने अपनी जातिवादी संकीर्ण राजनीति को अंजाम दे कर देवभूमि में जातिवाद व क्षेत्रवाद का घिनौना जहर घोल दिया। इसके बाद भी जबरन जातिवादी व क्षेत्रवादी संकीर्णता के तहत ही पूर्व मंत्री केदारसिंह फोनिया जैसे ईमानदार व वरिश्ठ विधायक को नजरांदाज कर निषंक को मुख्यमंत्री के पद पर आसीन कर के प्रदेष की जनता को गहरा सदमा दिया। अब गड़करी जी को विष्वास है कि भाजपा ने सत्ता में तो आना नहीं इसलिए अपनी हार को सम्मानजनक बनाने के लिए कोल्हू के बैल की तरह खंडूडी व कोष्यारी को भी अपने प्यादे निषंक के साथ जोड़ ने का हथकण्डा अपना रहे है। गड़करी से देष की जनता को आषा थी उन्होंने अपने चंद दिनों में ही अपने ऐसे ही कार्यो से उसमें पानी फेर दिया। अब वह दिन दूर नहीं जब वे बंगारू लक्ष्मण, बैंकटया नायडू व राजनाथ सिंह की तरह भूतों की पंक्ति में सुषोभित होंगे।
गड़करी जी षायद यह भूल गये कि इन चुनाव का फेसला ं भाजपा के कार्यकत्र्ताओं ने नहीं अपितु उत्तराखण्ड की उस महान जनता ने करना है जिसने मुगल, फिरंगी, इंदिरा, राव, मुलायम व तिवारी जैसे जन विरोधी हुक्मरानों को तमाम नापाक कोषिषों को जमीदोज करने का काम किया। ऐसा ही सबक उत्तराखण्ड की जनता भाजपा को लोकसभा चुनावों में भी पूरी तरह है सफाया करने के बाद भी सिखा चूकी है। उत्तराखण्ड की जनता कभी अन्यायी, भ्रश्टाचारी, जातिवादी व क्षेत्रवादी सत्तांधों को एक पल के लिए नहीं सहती। इसका भान होने के बाबजूद क्यो आडवाणी व गड़करी अपने अभी तक कराये चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों की रिपोर्ट देखने के बाबजूद उत्तराखण्ड के हितों को निर्ममता से रौंद रहे निषंक को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दल के वरिश्ठ नेताओं व तमाम कार्यकत्र्ताओं को नजरांदाज करते हुए अपने निहित स्वार्थो के लिए अभय दान दे रहे है। संघ नेतृत्व क्यों मौन हैं उत्तराखण्ड देवभूमि हैं यहां के लोगों ने अपने स्वाभिमान के खातिर मुगलों की दासता स्वीकार करने के बजाय दुर्गम पहाड़ों की खाक छाननी श्रेयकर समझा। ऐसे स्वाभिमानी जनता व देवभूमि के हितों के साथ खिलवाड़ करने का दण्ड भाजपा ने पहले भी चुकाया और आने वाले समय में भी चुकाना पड़ेगा। उत्तराखण्ड देवभूमि हैं इसके अभिषाप से कोई नहीं बच पाया। आडवाणी जी अब भी समय है देवभूमि के हितों से खिलवाड़ न करें, भगवान बदरीनाथ केदारनाथ, हरि हर की देव भूमि है। गंगा यमुना की उदगम स्थली है। नरसिंह भैरव सहित 84 करोड़ मुमुक्षुओं व दिव्यात्माओं की तपस्थली है। इसके अभिषाप से कोई नहीं बच सकता है। मेरी इच्छा थी कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में देष की सत्ता में आसीन कराने की परन्तु यही षर्मनाक अहंकार व जनविरोधी तैवर भाजपा व संघ नेतृत्व का रहा तो राम ही जाने कितना षर्मनाक पतन होगा भाजपा का।

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