भारत में आतंक अमेरिका के इशारे पर फेला रहा था पाक व हेडली
भारत में आतंक अमेरिका के इशारे पर फेला रहा था पाक व हेडली
मुम्बई हमलों की साजिश रचने के लिए दोषी समझे जाने वाले अमेरिका में बद तहब्बुर राणा व डेविड हेडली को अमेरिकी एटार्नी सराह स्ट्रीकर द्वारा शिकागो की अदालत में पाकिस्तान की खुफिया ऐजेन्सी आई एस आई से सम्बंध होने की बात को जिस तरह से भारतीय मीडिया में प्रचार किया जा रहा है। वह भारत को आतंक की भट्टी में धकेलने वाले असली गुनाहगार को बचाने में ही मददगार साबित हो रहा है। असल में भारत में आतंक की तबाही का असली सूत्र धार न तो आतंकी है व नहीं पाक, दोनों ही अमेरिका के इशारे पर भारत ही नहीं अफगानिस्तान में भी आतंक को अंजाम दे रहे है। पाकिस्तान की सेना, नोकरशाह, सत्तासीन ही नहीं आतंकी संगठन भी अमेरिका के प्यादे मात्र है। इसका खुलाशा हेडली को अमेरिका द्वारा भारत को न सोंपने से ही हो जाता है। क्योंकि जिस हेडली को आईएसआई का ऐजेन्ट बताया जा रहा है वह हकीकत में अमेरिका का ही ऐजेन्ट है। वह आईएसआई में कार्यरत अमेरिका के सीआईए का ऐजेन्ट है। इसीलिए अमेरिका ने अपने ऐजेन्ट को किसी भी हालत में न तो मुम्बई हमलों का षडयंत्रकारी होने के बाबजूद न भारत को सौंपा व नहीं भारतीय ऐजेन्सियों को सही ढ़ग से उससे जांच करने की ही इजाजत दी। इसलिए भारतीयों व भारतीय हुक्मरानों को केवल आईएसआई या पाक को गरियाने से इस समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। भारत में आतंक की असली जड़े अमेरिका द्वारा पोषित व संरक्षित होती है। ये साधन भले ही पाक या अन्य माध्यमों के माध्यम से प्रदान किये जाय परन्तु असल में भारत को आतंक से कमजोर करने के लिए अमेरिका एक दो साल से नहीं दशकों से लगा हुआ है। भारत में चाहे पूर्वोत्तर का आतंक हो या कश्मीर का, खालिस्तानी आतंक हो या अन्य इन सभी आतंको को संरक्षण व पोषण करने का काम केवल अमेरिका ने ही किया। जिस प्रकार से संसद व कारगिल प्रकरण के बाद अमेरिका ने अपने प्यादे पाक की ढ़ाल बन कर भारतीय हुक्मरानों को पाक को सबक सिखाने से रोका उससे उसका चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो चूका था परन्तु जब भारत में अटल व मनमोहन सिंह जेसे अमेरिकी मोह में अंधे धृतराष्ट्र सत्तासीन हों तो देश के हितों को रौंदने के लिए दुश्मनों की क्या जरूरत।
मुम्बई हमलों की साजिश रचने के लिए दोषी समझे जाने वाले अमेरिका में बद तहब्बुर राणा व डेविड हेडली को अमेरिकी एटार्नी सराह स्ट्रीकर द्वारा शिकागो की अदालत में पाकिस्तान की खुफिया ऐजेन्सी आई एस आई से सम्बंध होने की बात को जिस तरह से भारतीय मीडिया में प्रचार किया जा रहा है। वह भारत को आतंक की भट्टी में धकेलने वाले असली गुनाहगार को बचाने में ही मददगार साबित हो रहा है। असल में भारत में आतंक की तबाही का असली सूत्र धार न तो आतंकी है व नहीं पाक, दोनों ही अमेरिका के इशारे पर भारत ही नहीं अफगानिस्तान में भी आतंक को अंजाम दे रहे है। पाकिस्तान की सेना, नोकरशाह, सत्तासीन ही नहीं आतंकी संगठन भी अमेरिका के प्यादे मात्र है। इसका खुलाशा हेडली को अमेरिका द्वारा भारत को न सोंपने से ही हो जाता है। क्योंकि जिस हेडली को आईएसआई का ऐजेन्ट बताया जा रहा है वह हकीकत में अमेरिका का ही ऐजेन्ट है। वह आईएसआई में कार्यरत अमेरिका के सीआईए का ऐजेन्ट है। इसीलिए अमेरिका ने अपने ऐजेन्ट को किसी भी हालत में न तो मुम्बई हमलों का षडयंत्रकारी होने के बाबजूद न भारत को सौंपा व नहीं भारतीय ऐजेन्सियों को सही ढ़ग से उससे जांच करने की ही इजाजत दी। इसलिए भारतीयों व भारतीय हुक्मरानों को केवल आईएसआई या पाक को गरियाने से इस समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। भारत में आतंक की असली जड़े अमेरिका द्वारा पोषित व संरक्षित होती है। ये साधन भले ही पाक या अन्य माध्यमों के माध्यम से प्रदान किये जाय परन्तु असल में भारत को आतंक से कमजोर करने के लिए अमेरिका एक दो साल से नहीं दशकों से लगा हुआ है। भारत में चाहे पूर्वोत्तर का आतंक हो या कश्मीर का, खालिस्तानी आतंक हो या अन्य इन सभी आतंको को संरक्षण व पोषण करने का काम केवल अमेरिका ने ही किया। जिस प्रकार से संसद व कारगिल प्रकरण के बाद अमेरिका ने अपने प्यादे पाक की ढ़ाल बन कर भारतीय हुक्मरानों को पाक को सबक सिखाने से रोका उससे उसका चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो चूका था परन्तु जब भारत में अटल व मनमोहन सिंह जेसे अमेरिकी मोह में अंधे धृतराष्ट्र सत्तासीन हों तो देश के हितों को रौंदने के लिए दुश्मनों की क्या जरूरत।
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