चमत्कारी कोठुलेश्वर महादेव में भगवान हनुमान की मूति स्थापित
चमत्कारी कोठुलेश्वर महादेव में भगवान हनुमान की मूति स्थापित
नारायणबगड़(ंप्याउ)। भगवान शिव के चमत्कारी व प्राकृतिक कोठुलेश्वर महादेव में एकादश रूद्र के रूप में विश्व में वंदित भगवान हनुमान की मूर्ति की स्थापना मंगलवार 24 मई को पूरे विधि विधान से की गयी। इस अवसर पर सीमान्त जनपद चमोली के इस बदरीनाथ क्षेत्र की सीमा में स्थित नारायण बगड़ विकास खण्ड के आदर्श गांव कोठुली के कोठुलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में ही भगवान हनुमान का मंदिर बनाय गया। चमत्कारी कोठुलेश्वर महादेव के श्रीमहंत खीमा भारती जी महाराज ने बताया कि 23 मई से हनुमान जी की पावन मूर्ति की स्थापना हेतु यहां पर विधिवत पूजा अर्चना हुई। 25 मई को भगवान हनुमान की पावन मूर्ति को पूरे विधि विधान से यहां पर स्थापित की गयी। इसमें कड़ाकोट व कपीरी पट्टियों के सेकड़ों भक्त भगवान कोठुलेश्वर महादेव में भगवान शिव व भगवान हनुमान के आर्शीवाद लेने यहां पंहुचे। 25 मई को ही यहां पर विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में कोठुली, कोथरा, सुनभी, भटियाणा, चिरखून, कोट, सैंज, कफातीर व पाट्टियों के ग्रामीणों के अलावा इस आयोजन के मुख्य यजमान कपीरी पट्टी के सुणे गांव के मंगसीरी देवी व भगतसिंह मनराल दम्पति थी। इस दम्पति की इस चमत्कारी कोठुलेश्वर महादेव में अथाह श्रद्वा है। इससे पहले भी यह दम्पति यहां पर महाकाल भैरव की मूर्ति की भी स्थापना कर चूका है। गौरतलब है कि कोठुलेश्वर महादेव में भगवान शिव के इस चमत्कारी मंदिर में जो भी भक्त जो भी सच्चे मन से मनोकामना करता है भगवान शिव सदा उनकी मनोकामनाएॅं पूर्ण करता है। नारायणबगड़ विकासखण्ड के भाजपा अध्यक्ष पुरूषोत्तम शास्त्री के अनुसार कोठुलेश्वर महादेव में भगवान शिव न केवल मनोकामनाएं ही पूर्ण करते हैं अपित वे दुष्टों को तत्काल दण्डित भी करते है। भगवान शिव की इस पावन परिसर में अगर कोई दुरात्मा इसकी पावनता को नष्ट करने की धृष्ठता करता है तो उसको तत्काल इसका दण्ड भगवान शिव देते है। भगवान शिव का यह चमत्कारी धाम कोठुलेश्वर महादेव, रहस्यमय रामचाणा की तलहटी में तथा पतित पावनी गंगा की सहभगिनी मंदाकिनी व पिण्डर नदियों के मध्यक्षेत्र कड़ाकोट पट्टी के कोठुली गांव में सदियों से अपने भक्तों की श्रद्वा का केन्द्र रहा है। भगवान शिव के इस द्वार पर आ कर आज तक कोई भी सच्चा भक्त निराश नहीं हुआ। भगवान शिव के चमत्कारों के किस्से यहां के लोगों की जुबानों में आये दिन चर्चा में सुनाई देते है। यही नहीं इस क्षेत्र के दर्जनों गांवों के ग्रामीणों पर जब व्यक्तिगत या सामुहिक विपतियां आती है तो वे कोठुलेश्वर महादेव से फरियाद करने उनके दर पर आते हे। अकाल, व्याधि हो या सूखा आदि विपत्तियों का निवारण करने हेतु दशकों से लोग भगवान शिव के इस द्वार पर आते हे। इस मंदिर में स्थित भगवान शिव स्वरूप आपलिंग दक्षिणायन को दक्षिण दिशा में तथा उत्तरायण में उत्तर दिशा की तरफ आंशिक रूप से ढला रहता हैं। इस आपलिंग को और ऊंचा करके भव्य मंदिर बनाने के यहां के विख्यात श्रीमहंत रहे स्वामी श्री सिद्वगिरी बाबा जी के तमाम प्रयास असफल रहे। क्योंकि 10 फुट शिवलिंग के आस पास खुदान के बाबजूद भी शिवलिंग की ऊंचाई उतनी ही रही जितनी पहले थी। इसके बाद भगवान शिव ने श्री महंत को सपने में आदेश दिया कि उनसे किसी प्रकार का छेड़छाड़ न करें। इसके बाद यह खुदाई बंद कर दी गयी। इस खुदाई में यहां पर कई देवी देवताओं की दुर्लभ मूर्तियां मिली जो यहां मंदिर परिक्रमा व मंदिर परिसर में आज भी भक्तों के दर्शन के लिए विद्यमान है। आज वर्तमान मंदिर को देख कर इस सच्चाई से सभी दर्शनार्थी स्वयं भी रूबरू होते है। वर्तमान श्रीमहंत खीमा भारती जी महाराज के अनुसार कोठुलेश्वर महादेव में भगवान शिव साक्षात विद्यमान है। यहां पंहुचने के लिए भक्त कर्णप्रयाग व नन्द प्रयाग के बीच में स्थित सुनला से जीप मार्ग द्वारा कोठुलेश्वर महादेव पंहुचने के लिए बिनायक ग्वाड़ पंहुच सकते हैं। यहां से 2 किमी पैदल चल कर यहां कोठुलेश्वर महादेव पंहुचा जा सकता है। दूसरा रास्ता कर्ण प्रयाग से कपीरी कनारा जीप से पंहुच कर यहां से 6 किमी पैदल राह चल कर भगवान शिव के साक्षात दर्शन किये जा सकते है। तीसरा रास्ता कर्णप्रयाग से ग्वालदम रोड़ पर नारायण बगड़ से 6 किमी पहले नलगांव से 10 किमी पैदल रास्ते से यहां पंहुचा जा सकता है। इसके अलावा एक अन्य रास्ता जो नारायणबगड़ से जीप मार्ग द्वारा रेंस-चोपता पंहुच कर 5 किमी पैदल चल कर कोठुलेश्वर महादेव में पंहुचा जा सकता है। हालांकि एक रास्ता घाट विकास खण्ड से बारों मोख होते हुए ब्रह्मपुरी के जंगलों से 10 किमी का रास्ता तय कर यहां पंहुचा जा सकता है।
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