उत्तराखण्ड के हितों से खिलवाड़ करने से बाज आये आडवाणी, गडकरी व संघ
उत्तराखण्ड के हितों से खिलवाड़ करने से बाज आये आडवाणी, गडकरी व संघ
-उत्तराखण्ड के हितों से खिलवाड़ करने वालों को ले डूबता है देवभूमि का अभिशाप
लगता है जनविरोधी कुशासन को तमिलनाडू व बंगाल में जनता द्वारा उखाड़ फेंकने के बाबजूद भी सत्तामद में चूर भाजपा व संघ नेतृत्व की कुम्भकर्णी नींद नहीं जागृत हो रही है। आज सुबह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गड़करी ने उत्तराखण्ड में पूरी तरह बेनकाब हो चूके भाजपा मुख्यमंत्री निशंक को शर्मनाक संरक्षण देने के लिए प्रदेश के वरिष्ठ जननेता व पूर्व मुख्यमंत्रियों भगतसिंह कोश्यारी व भुवनचंद खंडूडी के साथ मुख्यमंत्री निशंक की उपस्थिति में बैठक की। इस प्रकरण से भाजपा का आम कार्यकत्र्ता ही नहीं प्रदेश की जागरूक जनता जानना चाहती है कि भाजपा आला कमान लालकृष्ण आडवाणी व राष्ट्रीय अध्यक्ष गड़करी को प्रदेश के कोश्यारी, फोनिया, ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत व मोहनसिंह ग्रामवासी जैसे ईमानदार नेतृत्व को दर किनारे करके निशंक को बनाये रख कर प्रदेश व भाजपा की जड़ों में मट्ठा क्यों डालने को उतारू है। इसके साथ जनता को इस बात की भी हैरानी है कि भारतीय संस्कृति, सुशासन व रामराज्य की बात करने वाले भाजपा की मातृ संगठन संघ प्रदेश में राष्ट्रवाद व सुशासन के बजाय जातिवाद, क्षेत्रवाद व भ्रष्टाचार को मूक सहमति देने के लिए क्यों विवश है। एक बात भाजपा व संघ के मठाधीशों को स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि उत्तराखण्ड न केवल देवभूमि है अपितु यहां के लोग अपने स्वाभिमान व राष्ट्रभक्ति के लिए सदियों से विख्यात है। इस लिए अगर अभी भाजपा नेतृत्व ने अपनी संकीर्णता को त्याग करके उत्तराखण्ड के हितों के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आये तो आने वाले विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव की तरह उत्तराखण्ड की स्वाभिमानी जनता प्रदेश से भाजपा का पूरी तरह से सफाया कर देगी। उत्तराखण्डी जनता जब देश की रक्षा के लिए सदियों से शहादतें देते आये। उत्तराखण्ड की जनता ने न केवल आततायी मुगलों, फिरंगियों, इंदिरा गांधी की तानाशाही, मुलायम व राव के दमनकारी कुशासन का मुंहतोड़ जवाब दिया । इसलिए भारतीय संस्कृति की पावन गंगोत्री उत्तराखण्ड को अपनी अंधी सत्तालोलुपता व संकीर्णता का खिलोना बनाने से बाज आयें। उत्तराखण्ड की पावन धरती से खिलवाड़ करने वालों का हस्र राव, मुलायम व तिवारी की तरह ही होता है। खंडूडी जी ने इन्हीं की राह में चल कर उत्तराखण्डी हितों को रोंदने व निशंक को सत्तासीन करके उत्तराखण्ड के साथ छल किया, उनको भी अपने किये का दण्ड प्रकृति दे रही है। अभी भी समय है भाजपा नेतृत्व को प्रायश्चित करने का।
-उत्तराखण्ड के हितों से खिलवाड़ करने वालों को ले डूबता है देवभूमि का अभिशाप
लगता है जनविरोधी कुशासन को तमिलनाडू व बंगाल में जनता द्वारा उखाड़ फेंकने के बाबजूद भी सत्तामद में चूर भाजपा व संघ नेतृत्व की कुम्भकर्णी नींद नहीं जागृत हो रही है। आज सुबह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गड़करी ने उत्तराखण्ड में पूरी तरह बेनकाब हो चूके भाजपा मुख्यमंत्री निशंक को शर्मनाक संरक्षण देने के लिए प्रदेश के वरिष्ठ जननेता व पूर्व मुख्यमंत्रियों भगतसिंह कोश्यारी व भुवनचंद खंडूडी के साथ मुख्यमंत्री निशंक की उपस्थिति में बैठक की। इस प्रकरण से भाजपा का आम कार्यकत्र्ता ही नहीं प्रदेश की जागरूक जनता जानना चाहती है कि भाजपा आला कमान लालकृष्ण आडवाणी व राष्ट्रीय अध्यक्ष गड़करी को प्रदेश के कोश्यारी, फोनिया, ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत व मोहनसिंह ग्रामवासी जैसे ईमानदार नेतृत्व को दर किनारे करके निशंक को बनाये रख कर प्रदेश व भाजपा की जड़ों में मट्ठा क्यों डालने को उतारू है। इसके साथ जनता को इस बात की भी हैरानी है कि भारतीय संस्कृति, सुशासन व रामराज्य की बात करने वाले भाजपा की मातृ संगठन संघ प्रदेश में राष्ट्रवाद व सुशासन के बजाय जातिवाद, क्षेत्रवाद व भ्रष्टाचार को मूक सहमति देने के लिए क्यों विवश है। एक बात भाजपा व संघ के मठाधीशों को स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि उत्तराखण्ड न केवल देवभूमि है अपितु यहां के लोग अपने स्वाभिमान व राष्ट्रभक्ति के लिए सदियों से विख्यात है। इस लिए अगर अभी भाजपा नेतृत्व ने अपनी संकीर्णता को त्याग करके उत्तराखण्ड के हितों के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आये तो आने वाले विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव की तरह उत्तराखण्ड की स्वाभिमानी जनता प्रदेश से भाजपा का पूरी तरह से सफाया कर देगी। उत्तराखण्डी जनता जब देश की रक्षा के लिए सदियों से शहादतें देते आये। उत्तराखण्ड की जनता ने न केवल आततायी मुगलों, फिरंगियों, इंदिरा गांधी की तानाशाही, मुलायम व राव के दमनकारी कुशासन का मुंहतोड़ जवाब दिया । इसलिए भारतीय संस्कृति की पावन गंगोत्री उत्तराखण्ड को अपनी अंधी सत्तालोलुपता व संकीर्णता का खिलोना बनाने से बाज आयें। उत्तराखण्ड की पावन धरती से खिलवाड़ करने वालों का हस्र राव, मुलायम व तिवारी की तरह ही होता है। खंडूडी जी ने इन्हीं की राह में चल कर उत्तराखण्डी हितों को रोंदने व निशंक को सत्तासीन करके उत्तराखण्ड के साथ छल किया, उनको भी अपने किये का दण्ड प्रकृति दे रही है। अभी भी समय है भाजपा नेतृत्व को प्रायश्चित करने का।
dr nisink ki vikes soch hi hai jo hikaman nai unhi ko uttakhand ka cm wa 2012 mai chunav ki kamann sopi hai
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