गैरसैंण में राजधानी बनाने के बजाय बलात देहरादून में राजधानी थोपने वालों की कब्र बना देगा महाकाल


उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के अग्रणी संगठन उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा ने देहरादून के रायपुर में नये विधानसभा भवन का निर्माण करने को उतारू उत्तराखण्ड की वर्तमान विजय बहुगुणा सरकार सहित तमाम राजनैतिक दलों को उत्तराखण्ड की जनभावनाओं व शहीदों की शहादत का गला घोंटने से बाज आने की दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि  भगवान श्री बदरी केदार की मोक्ष भूमि से निहित स्वार्थ के लिए सत्तामद में खिलवाड़ करने वालों का भी घोर उत्तराखण्ड विरोधी राव, मुलायम व तिवारी की तरह हस्र होगा। उत्तराखण्ड राज्य गठन के लिए संसद की चैखट जंतर मंतर पर 6 साल (1994 से 2000 ) का ऐतिहासिक सफल धरना प्रदर्शन करने वाले मोर्च के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने सत्तामद में चूर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को आगाह किया कि अगर उन्होने भी उत्तराखण्ड के जनहितों का गलाघोंटने वाले नापाक कृत्यो पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया तो उनका भी हस्र तिवारी, खण्डूडी व निशंक जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरह ही होगा। मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने दो टूक शब्दों में कहा कि उत्तराखण्ड राज्य का गठन किसी तिवारी, कोश्यारी, खण्डूडी, निशंक, विजय बहुगुणा, हरीश रावत, सतपाल महाराज सहित किसी भी नेता या नौकरशाह की अंध सत्तालोलुपता की पूर्ति के लिए गठित नहीं किया गया है। उत्तराखण्ड की जनता ने राज्य गठन के लिए जो ऐतिहासिक संघर्ष किया व बलिदान दिया वह भारतीयता के प्राण उत्तराखण्ड  की संस्कृति, सम्मान व हक हकूकों की रक्षा करने के साथ तीब्र विकास करने के लिए किया था। श्री रावत ने प्रदेश के अब तक के हुक्मरानों को धिक्कारते हुए कहा कि इन्होंने इन 12 साल के शासन में उत्तराखण्ड में शराब माफियाओं, भू माफियाओं, जंगल माफियाओं के हाथों उत्तराखण्ड के हक हकूकों का गला घोंटवा कर अपने संकीर्ण स्वार्थो की पूर्ति की। श्री रावत ने कहा कि इसी कारण उत्तराखण्ड की प्रबुद्ध जनता ने तिवारी, खण्डूडी, निशंक के बाद अब विजय बहुगुणा को भी जमीन सुघाने का काम जनादेश से दण्डित करके किया है। आज राज्य गठन के 12 सालों में भाजपा से कांग्रेस तक की सभी सरकारों ने प्रदेश में भ्रष्टाचार, जातिवाद व क्षेत्रवाद के गटर में प्रदेश को धकेल दिया है। यही नहीं प्रदेश के हक हकूकों की रक्षा करने के बजाय इन्होने प्रदेश गठन की मूलाधार पर ही कुठाराघात करके यहां पर बलात जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई परिसीमन थोपने का कृत्य तिवारी व खण्डूडी जेसे उत्तराखण्ड के हक हकूकों को रौंदने वाले मुख्यमंत्रियों ने किया। इन 12 सालों में मुजफरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों व राज्य गठन आंदोलनकारियों के हत्यारों तथा मुलायम सिंह के प्यादों को न केवल संरक्षण दिया गया अपितु उनको महत्वपूर्ण पदों पर आसीन किया गया। परन्तु क्या मजाल प्रदेश के सच्चे रहनुमाना होने का दंभ भरने वाले इन तमाम दलों, मुख्यमंत्रियों, विधायकों, मंत्रियों व सांसदों ने उफ तक नहीं की। इन 12 सालों में इन प्रदेश के हितों को रौंदने वाले हुक्मरानों को न तो प्रदेश के सम्मान को मुजफरनगर काण्ड-94 के खलनायक तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार की पुलिस प्रशासन  के इस मानवता व भारतीय संस्कृति को कलंकित करने वाले कृत्य से क्षुब्ध हो कर उप्र पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देने वाले जांबाज सिपाही रमेश का ही सम्मान करने तथा उत्तराखण्ड राज्य गठन के लिए मील का पत्थर बने पूर्व प्रधानमंत्री देवगोड़ा को ही प्रदेश में सरकार की तरफ से विशेष सम्मान करने की सुध ही आयी व नहीं इनके सम्मान के लिए प्रदेश की जनता की तरफ से दो शब्द भी कहने का नैतिक साहस तक यहां की सरकारों को रहा।
मोर्चा ने कहा कि उत्तराखण्ड की जनता उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के समय से ही प्रदेश की राजधानी गैरसैंण में बनाने का निर्णय ले चूकी थी। नजभावनाओं को सम्मान करते हुए अविभाजित उप्र में सरकार द्वारा गठित कौशिक समिति ने भी जनभावनाओं का सम्मान किया था। परन्तु उत्तराखण्ड जनभावनाओं को रौंदने वाले अब तक के प्रदेश के मुख्यमंत्रियों व उनकी सरकारों ने गैरसैंण राजधानी बना कर लोकशाही का सम्मान करने के बजाय बलात राजधानी देहरादून में थोपने का निकृष्ठ कृत्य लगातार कर रहे है। इन 12 सालों में जरा सी गैरसैंण में विधानसभा बनाने की सुध वर्तमान मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व उनकी सरकार को आयी, परन्तु गैरसैंण में विधानसभा भवन का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही देहरादून में रायपुर में एक और विधानसभा भवन निर्माण करने का विजय बहुगुणा सरकार का निर्णय उनके गैरसैंण की तरफ किये गये पहले नेक व महत्वपूर्ण कार्य पर भी पानी फेर दिया।
राज्य गठन के प्रमुख संगठन के तौर पर उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व सांसद सतपाल महाराज की गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाने की पहल की नौटंकी जानते हुए भी उसका खुला समर्थन इस आधार पर किया कि चलो 12 साल में इस कब्रीस्तान मे कोई जीवन की सांस तो लेने वाली सरकार दिखी। मोर्चा ने विधानसभाध्यक्ष गोविन्दसिंह कुंजवाल व सांसद प्रदीप टम्टा की प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैण बनाओं के अभियान की राजनैतिक असलियत को भी जानते हुए भी चलो इस कब्रीस्तान में कोई आवाज तो आयी की हकीकत को जान कर खुला स्वागत किया।
इसके बाद अब विजय बहुगुणा सरकार जो नौटंकी रायपुर में विधानसभा भवन बनाने के नाम पर कर रहे हैं वह केवल प्रदेश की लोकशाही का गलाघोंटने वाले के साथ साथ इस सरकारी धन की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है।
उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने विजय बहुगुणा सहित प्रदेश के तमाम सत्तामद में चूर नेताओं से कहा कि अगर गैरसैंण के बजाय देहरादून में राजधानी थोपने की उत्तराखण्ड जनांकांक्षाओं को रौदने वाले कदमों पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया तो आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उत्तराखण्ड से ही नहीं देश से सफाया हो जायेगा। उन्होने दो टूक शब्दों में कहा कि राज्य का गठन इन घोर सत्तालोलुपुओं के न चाहने के बाबजूद जिस भगवान बदरी केदारनाथ की अपार कृपा से हुई वह इन पदलोलुपुओं को गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए मजबूर कर देगा।

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