एक गुट के अध्यक्ष बनने के बाद, ऐरी गुट मारपीट के बाद उक्रांद कार्यालय पर काबिज

कांग्रेस की शह पर उक्रांद पर काबिज होना चाहते है सत्तालोलुपु ऐरीः पंवार


त्रिवेन्द्र पंवार की तानाशाही ने किया उक्रांद का भारी नुकसानः ऐरी


ऐरी को निष्काशित करने का दाव आत्मघाती साबित हुआ त्रिवेन्द्र पंवार को 


देहरादून (प्याउ)। उक्रांद अध्यक्ष त्रिवेन्द्र पंवार ने काशीसिंह ऐरी व उनके समर्थकों पर आरोप लगाया कांग्रेस सरकार की शह पर उक्रांद पर कब्जा कर रहे हैं। दोनो गुट देहरादून कार्यालय पर कब्जा करने का खुला संघर्ष कर रहे हैं। अपने आप को उक्रांद का शीर्ष नेता समझने वाले काशी सिंह ऐरी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस त्रिवेन्द्रसिंह पंवार को अपना प्यादा समझ कर काशीसिंह ऐरी कई दशकों से दिवाकर भट्ट सहित अन्य विरोधियों पर अंकुश लगाने के लिए बढ़ावा दे कर अध्यक्ष के पद पर भी आसीन करते रहे, वही त्रिवेन्द्र पंवार एक दिन उनको दल से ही निष्काशित करके भष्मासुर साबित होगा। 
उक्रांद अध्यक्ष त्रिबेन्द्र पंवार द्वारा उक्रांद के शीर्ष नेता काशीसिंह ऐरी को दल से निष्काशित करने के बाद ऐरी समर्थकों द्वारा देहरादून में इसी सप्ताह आयोजित दो दिवसीय महाधिवेशन में पार्टी के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं ने काशी सिंह ऐरी को दल का अध्यक्ष चुनते हुए तीन साल से उक्रांद के शर्मनाक पतन के लिए वर्तमान अध्यक्ष त्रिवेन्द्र पंवार को जिम्मेदार व तानाशाह बताया। इस दो दिवसीय महाधिवेशन के बाद जैसे ही नव निर्वाचित अध्यक्ष काशीसिंह ऐरी अपने दल बल के साथ 20 मई सोमवार को पार्टी के कार्यालय पहुंचे तो वहा पर उनकी त्रिवेन्द्र पंवार गुट से भारी झडप व मारपीट हो गयी। वहां पर पहले से मौजूद पुलिस बल ने बीच बचाव किया। ऐरी गुट कार्यालय में काबिज होने में सफल रहा  और वर्तमान अध्यक्ष त्रिवेन्द्र पंवार गुट कमजोर पड़ने के कारण कार्यालय के गेट पर धरना देने के लिए मजबूर हुए।
गौरतलब है कि जिस अधिवेशन को उक्रांद अध्यक्ष त्रिेवेन्द्र पंवार असंवैधानिक बता रहे थे । वे 24-25 जुलाई को ही महाधिवेशन कराने की बात कह रहे है। परन्तु वे भूल गये कि काशीसिंह ऐरी प्रीतम पंवार नहीं जो दल से हटाने पर मूक रहे। काशीसिंह ऐरी को निष्कासित करने से उक्रांद का कई वर्षो से बंद कमरों में चल रहा विवाद सडकों पर उतर गया।  काशीसिंह ऐरी गुट के समर्थने से ही अविभाजित उक्रांद का अध्यक्ष बनने के बाद जिस प्रकार से त्रिवेन्द्र पंवार ने उक्रांद में काशीसिंह ऐरी के कट्टर विरोधी दिवाकर भट्ट को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया वह उन्होंने ऐरी की इच्छा पर ही किया। इससे उक्रांद में विभाजन हो गया। इसके बाद त्रिवेन्द्र पंवार ने उत्तराखण्ड को पतन के गर्त में धकेल रही कांग्रेस सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान किया तो सरकार में सम्मलित उनके एकमात्र विधायक जो प्रदेश के कबीना मंत्री है प्रीतम पंवार ने दल का फरमान मानने से मना कर दिया। इसे त्रिवेन्द्र पंवार ने अनुशासन हिनता मानते हुए उनको दल से निकाल दिया। इसी से काशीसिंह ऐरी व उनके समर्थकों के साथ वर्तमान अध्यक्ष त्रिवेन्द्र पंवार की तनातनी बढ़ गयी। काशीसिंह ऐरी समर्थक सरकार से समर्थन वापसी के पक्षधर नहीं थे। वहीं त्रिवेन्द्र पंवार आरोप लगा रहे हैं कि काशी सिंह ऐरी ने हमेशा जनहित की राजनीति के बजाय सत्ता की राजनीति की। इससे उक्रांद के प्रति जनता का विश्वास कम हुआ। त्रिवेन्द्र पंवार गुट का आरोप है कि लाल बतियों की अंधी लालशा के लिए काशीसिंह ऐरी गुट कांग्रेस के शह पर उक्रांद पर कब्जा करना चाहता है। वहीं काशीसिंह ऐरी गुट का आरोप है कि अपनी तानाशाही से त्रिवेन्द्र पंवार ने दल के शीर्ष नेताओं को दल से बाहर कर दल को बेहद कमजोर कर दिया है।
 गौरतलब है कि इसी पखवाडे देहरादून में पंवार के विरोध के बाबजूद काशीसिंह समर्थकों का जो महाधिवेशन हुआ, उसमें उक्रांद के अधिकांश बडे व जिलाध्यक्ष सम्मलित होने से पंवार की स्थिति कमजोर हो गयी। देहरादून के हरिद्वार रोड़ स्थित एक शादी व्याह हाल में उक्रांद का 14वें महाधिवेशन में उक्रांद के संरक्षक व पूर्व अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी, पूर्व अध्यक्ष नारायण सिंह जंतवाल, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने दीप जला कर महाधिवेशन का शुभारंभ किया। इसमें काशी सिंह ऐरी को नया अध्यक्ष, जगदीश बुधानी को महामंत्री व आनंद सिलमाना को कोषाध्यक्ष चुन लिया है। अध्यक्ष चुने जाने का बाद काशी सिंह ऐरी ने कहा कि पार्टी को नए उत्साह व संकल्प के साथ खड़ा करना है। अक्षम व गैर राजनीतिक नेतृत्व के चलते दल को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करनी होगी। नए लोगों को जोड़ कर दल को मजबूती प्रदान करनी होगी। यही नहीं पुराने साथी जो दल के बाहर कर दिए गए हैं, उन्हें एक बार फिर से मुख्यधारा में लाकर जनता में विश्वास पैदा करना होगा। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान व उसके बाद भी जो उत्तराखंड के सरोकारों से जुड़े रहे हैं उनको भी एक मंच पर लाना प्राथमिकता होगी। महाधिवेशन में दल के निवर्तमान उपाध्यक्ष चंद्रशेखर कापड़ी, महेश परिहार, नरेंद्रंिसंह रावत, नरेंद्र पाठक, भुवन जोशी, प्रताप शाही, महामंत्री डा. प्रकाश पांडेय, पुष्कर धामी, किशन मेहरा, हरीश पाठक, पुष्कर पाल सिंह धामी, गुलामंिसंह कुटियाल, श्रीमती विजया ध्यानी, शीशपालंिसंह बिष्ट, प्रवक्ता डा. सुरेश डालाकोटी, केंद्रीय संगठन मंत्री भुवन पाठक, संयोजक मंडल के सह संयोजक शैलेश गुलेरी, सदस्य जयप्रकाश उपाध्याय, वीरेंद्र सिंह बिष्ट, पंकज व्यास, धम्रेद्र कठैत, आशा शर्मा, सुलोचना बहुगुणा, पुष्पा ममगाई उपस्थित थी।  जिलाध्यक्षों में उत्तरकाशी से तेजेद्र सिंह रावत, बागेश्वर से हीरा लाल भट्ट, रानीखेत से शिवराज मेहरा, अल्मोड़ा से सुभाष पांडेय, पिथौरागढ़ से चंद्रशेखर पुनेठा, चम्पावत से प्रह्लाद सिंह मेहता, प्रताप शाही, नैनीताल से इन्दर सिंह मनराल, पौड़ी से सुरेश जुयाल, रुद्रप्रयाग से नरेंद्र सिंह नेगी, देहरादून से केंद्रपाल तोपवाल,चमोली से राकेश सती,  देहरादून महानगर से बहादुर सिंह रावत, टिहरी से मकान सिंह रावत, प्रतापनगर से अतुल चंद्र रमोला, ऊधमसिंहनगर से आनंद सिंह असवोला, खटीमा से शिवलाल रस्तोगी, डीडीहाट से सलीम अहमद,  हरिद्वार से सरिता पुरोहित आदि काशीसिंह ऐरी का खुला समर्थन में उतर आये। कुल मिला कर इस विवाद से साफ हो गया कि भले ही त्रिेवन्द्र पंवार कमजोर साबित लग रहे हैं परन्तु कांग्रेस से समर्थन वापसी का उनका निर्णय किसी भी दृष्टि से उक्रांद के अहित में नहीं था। आम कार्यकत्र्ता यही चाहते परन्तु हाॅं कुछ लाल बत्ती या सत्ता की राजनीति करने के इच्छुक नेताओं को यह नहीं जंचा, इसी कारण त्रिवेन्द्र पंवार को उक्रांद नेताओं का एक बडा वर्ग खलनायक बता रहा है।

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