कुटिल अमेरिका, पाक व चीन से सावधान रहे भारत


पाकिस्तान में हाल में सम्पन्न हुए चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी के नेतृत्व में सरकार बनने की संभावनाओं व उसको इमरान खान ीक पार्टी का साथ मिलने की संभावनाओं को देखते हुए जहां एक तरफ भारतीय उत्साहित है। वहीं दूसरी तरफ अपनी भारत यात्रा से पहले चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग भारत और चीन को दोस्ती का हाथ मिलाने के गीत गा रहे हैं। जबकि कुछ ही दिनों पहले लद्दाख क्षेत्र में भारत की सीमा  के 19 किमी अंदर कम से कम दो सप्ताह तक बलात कब्जा जमाने वाला चीन व भारत से जापान अमेरिका के साथ सांझा सैन्य अभ्यास न करने का दवाब डालने वाला चीन अब दोस्ती की गीत गा रहा है। उससे भारतीय नेतृत्व व जनता को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि न केवल चीन व पाक ने अभी तक भारत विरोधी अभियान को बंद किया व नहीं उनके कार्यो से कहीं दूर-दूर तक दोस्ताना रूख दिखाई दे रहा है। यही नहीं भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित करने के केन्द्र बन कर उभरे पाकिस्तान का सरपरस्त आका अमेरिका भी भले ही तत्कालीन परिस्थितियों के कारण भारत से दोस्ती की डींग हांक रहा हो परन्तु सच्चाई यह है कि आज भी अमेरिका ने अफगानिस्तान से लेकर सामरिक क्षेत्र सहित तमाम संवेदनशील मामलों में पाक को ही भारत से कहीं अधिक वरियता दी है। अमेरिका का आज भी भारत के प्रति रवैया एक मित्र राष्ट्र के रूप में नहीं हें। सच्चाई तो यह है कि अबतक पाकिस्तान भारत के खिलाफ जो भी अभियान संचालित करता है उसका निर्दश व संरक्षण उसे अमेरिका से ही मिलता है। यह कारगिल व संसद हमले के साथ साथ कश्मीर प्रकरण से पूरी तरह से उजागर हो गया। इसके बाबजूद भारत के हुक्मरान अमेरिका से दोस्ती के गीत गाने में मस्त रहते हे।
पाकिस्तान में भले ही सत्ता परिवर्तन हो जाच परन्तु उसकी असली ताकत सेना के पास रहती है। सत्ता परिवर्तन होने से उसकी नीति में कोई परिवर्तन नहीं होता। पाकिस्तान का जन्म ही भारत के विरोध में हुआ। वहीं चीन अपनी अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए भारत को जहां एक तरफ आये दिन धमकाता व रौदता रहता है वहीं वह दोस्ती की डींग भी हाॅंक कर भारतीय नेतृत्व को गुमराह कर रहा है।
गौरतलब है कि अपनी भारत यात्रा से पूर्व चीन के नए प्रधानमंत्री ली क्विंग ने 15 मई को बुधवार को कहा कि एशिया को विश्व अर्थव्यवस्था का इंजन बनाने के लिए चीन और भारत को हाथ मिलाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ली 19 मई को नई दिल्ली पहुंचेंगे। ली ने कहा कि दुनिया में बहुत से लोग यह विश्वास करते हैं कि 21वीं सदी में, एशिया प्रशांत, विशेष रूप से एशिया वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा राजनीति में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा और यह विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण इंजन बनेगा।
वहीं अमेरिका में प्रभावशाली गुट भारत की प्रतिभाओं  का अमेरिका में प्रवेश पर ही प्रतिबंध लगाने के लिए अभियान छेड़े हुए है। अमेरिका भारत के बडे बाजार का लाभ भी उठाना चाहता है और चीन के खिलाफ उसको मोहरा भी बनाना चाहता परन्तु वह किसी भी कीमत पर भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहता। हालत यह है कि भारत विरोधी तमाम अभियानों का केन्द्र ही अमेरिका कई दशकों से बना हुआ है। अब अमेरिका के इस कार्य में सबसे बडे प्यादे पाक को चीन ने भी अपना प्यादा बना दिया है। आज अमेरिका व चीन के संरक्षण में पाक भारत के साथ कितना दोस्ती निभायेगा इसका अंदाजा सहज ही लग जाता है। भारतीय हुक्मरानों व जनता को इस नापाक देशों से भारत को सदैव सावधान रहने की जरूरत को समझनी होगी। शेष श्री कृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।

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