अध्यक्ष से कहीं अधिक जरूरत है मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को बदलने की 

अध्यक्ष नहीं, हार के गुनाहगार है मुख्यमंत्री! 


कम गुनाहगार नहीं है केन्द्रीय प्रभारी चैधरी वीरेन्द्रसिंह, जर्नादन व पटेल 

प्यारा उत्तराखण्ड की विशेष रिर्पोट-


उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव में जनता द्वारा प्रदेश के हक हकूकों  को बुरी तरह से रौद रही प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व उनकी सरकार को जो करारा सबक प्रदेश की जागरूक जनता ने अभी हाल में सम्पन्न हुए निकाय चुनाव में सिखाया, लगता है जनता के इस प्रचण्ड प्रहार से भी कांग्रेसियों की मृतप्राय चेतना तो लुप्त हो गयी है और इसके साथ उनमें सत्य देखने, समझने व कहने का साहस भी अपने निहित स्वार्थो के कारण लोप हो गया है। इस शर्मनाक हार के बाद तिलमिलाये कांग्रेसियों में इतना सच कहने का साहस तक नहीं रहा या देखने समझने की क्षमता खत्म हो गयी कि इस हार का असली गुनाहगार और कोई दूसरा नहीं अपितु प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश को अपने संकीर्ण स्वार्थ के लिए कांग्रेस आला कमान द्वारा थोपे गये मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व उनकी सरकार के उत्तराखण्ड के हक हकूकों व सम्मान को रौंदने वाले कृत्य हैं। सभी इतने बिना रीढ़ के हैं कि कांग्रेस आला कमान को इतना भी सच जो जनता द्वारा टिहरी लोकसभा उपचुनाव व हाल में सम्पन्न हुए स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को चारों खाने चित करके उजागर कर दिया है, उसको भी अपने घोर निहित स्वार्थी सलाहकारों से घिरी कांग्रेस आला नेतृत्व को भी नहीं समझा पा रहे हैं कि उनकी सनक को कांग्रेसी नेता बंधुआ मजदूर की तरह सर आंखों पर तो रख सकते हैं परन्तु जनता ऐसी सनक को अपने जनादेश से पेरों तले कुचलने में जरा सी भी देर नहीं लगाती है। जनता की नजरों में कांग्रेसी कुशासन के लिए दोषी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल से अधिक प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा हैं। इसके साथ मुख्यमंत्री के कुशासन के प्रति कांग्रेस आलाकमान को गुमराह करने वाले केन्द्रीय प्रभारी वीरेन्द्र चैधरी व दिल्ली दरवार में सोनिया गांधी के आत्मघाती सिपाहे सलार जनार्जन द्विवेदी व अहमद पटेल भी कम गुनाहगार नहीं है कांग्रेस के जनविरोधी मुख्यमंत्री को उत्तराखण्ड में थोपने के लिए।
निकाय चुनाव में खासकर नगर निगमों के चुनाव में जो सबक जनता ने कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया करके सिखाया, उसके लिए कांग्रेस संगठन पर निशाना साध रहे कांग्रेसी नेता सांसद सतपाल महाराज व सांसद प्रदीप टम्टा आदि सभी नेताओं को समझना चाहिए कि जहां पार्टिया सत्तासीन होती हैं उन राज्यों में लोग जनादेश संगठन के कार्य के लिए नहीं अपितु सरकार के कार्यो के आधार पर देते है। लोगों को कांग्रेस सहित किसी भी पार्टी के संगठन से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं होता। जनता को अगर कुछ लेना देना होता है तो प्रदेश की सत्तारूढ़ हुई सरकार के कार्यो व विपक्ष में आसीन दल के सरकार को जनहित में कार्य करने के लिए मजबूर करने वाले कदमों से। जनता ने मतदान प्रदेश के शासन प्रशासन को जनांकांक्षाओं को साकार करने व पूरे तंत्र को विकासोनुमुखी कार्यो में समर्पित करने के लिए किया होता है। इसलिए कांग्रेस प्रदेश में अध्यक्ष चाहे किसी को भी बनाये जनता इस पर इतना ध्यान नहीं। जनता चाहती है उसका मुख्यमंत्री कम से कम प्रदेश के हक हकूको व सम्मान की रक्षा करने वाला व प्रदेश की जनता के विकासोनुमुख जनांकांक्षाओं को साकार करने वाला हो। जनता के इस मापदण्ड पर कांग्रेस के वर्तमान मुख्यमंत्री बहुगुणा पूर्ववती मुख्यमंत्री रहे तिवारी, खण्डूडी ही नहीं अपितु निशंक से भी बदतर साबित हो रहे है।  प्रदेश की जनभावनाओं को समझते हुए आगामी लोकसभा चुनाव 2014 के लिए मुलायम सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए सारथी बने कांग्रेसी दिग्गज नारायणदत्त तिवारी ने अपने ही द्वारा बनाये गये प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से ही इन निकाय चुनाव में शर्मनाक पराजय के लिए इस्तीफा देने की पुरजोर मांग कर डाली।

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