राहुल या मोदी की लोकप्रियता का नहीं अपितु प्रदेश के हितों की रक्षा का है कर्नाटक विस चुनाव 


भले ही कर्नाटक की विधानसभा के चुनाव को देश में राजनैतिक दल व समाचार जगत, इसको आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा में प्रधानमंत्री पद के सबसे संभावित प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी व कांग्रेस के आला नेता राहुल गांधी के लोकप्रियता के बीच मान रहे है। परन्तु यह चुनाव न तो नरेन्द्र मोदी व नहीं राहुल गांधी या देश की वर्तमान या भावी दिशा देने के लिए हो रहा है। यह चुनाव पूरी तरह से कर्नाटक प्रदेश के अपने हितों की रक्षा के लिए हो रहा है। यहां की जनता के लिए यहां पर सबसे बडा मुद्दा प्रदेश को भ्रष्टाचार की गर्त में धकेल रही वर्तमान भाजपा से बचाने का है। कर्नाटक के चुनाव में प्रदेश की जनता को सबसे बडा मुद्दा इस समय देश को भ्रष्टाचार के गर्त में धकेलने वाली कांग्रेस को सबक सिखाने से बढ़ कर उनके अपने घर यानी प्रदेश को तबाह कर रही भाजपा को सबक सिखाने का है। कर्नाटक की जनता भी जानती है कि कांग्रेस भी भ्रष्ट है। परन्तु उनके पास पहली प्राथमिका उनसे विश्वासघात करके भ्रष्टाचार की गर्त में प्रदेश को धकेलने वाली भाजपा को सबक सिखाने की है। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में भी जनता भी केन्द्र में आसीन कांग्रेसी कुशासन से खुश नहीं थी परन्तु जिस प्रकार से विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ता के लिए आपस में लड़  कर भ्रष्टाचार की गर्त में धकेल रही भाजपा को जनता ने विश्वासघात का सबक सिखाना था। विधानसभा चुनाव में प्रायः प्रदेश के मुद्दे व प्रदेश में सत्तासीन सरकार के कार्यो की समीक्षा पर ही होते है। इसमें बहुत कम राष्ट्रीय मुद्दे प्रभावी रहते। हाॅ लोकसभा चुनाव में जो चुनाव अब होगा उसमें देश की जनता के समक्ष मोदी व राहुल के नेतृत्व के बीच चुनाव होगा।
बीच 8 मई को  224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा के 223 सीटों में 5 मई को हुए मतदान की मतगणना का जो परिणाम आयेगा । वर्तमान चुनाव में यह माना जा रहा है कि कर्नाटक में भाजपा की सरकार को जनता उखाड़ फेंकने का मन तभी भाजपा के आत्मघाती नेताओं ने वहां के लोकप्रिय नेता येदिरूप्पा को भाजपा को छोड़ कर अपनी नयी पार्टी कर्नाटक जनता पार्टी बनाने के लिए मजबूर किया। कुल मिला कर यह चुनाव भाजपा के उन आला नेताओं के लिए करारा तमाचा है जो कर्नाटक में अपनी सरकार को अस्थिर करके अपने प्यादे को वहां पर जबरन थोपना चाहते थे। इसी को भांप कर कांग्रेसी नेताओं व मोदी विरोधी नेताओं ने मीडिया में इसे राहुल गांधी व मोदी की लोकप्रियता के बीच का चुनाव बना कर प्रचार किया। हकीकत यह है कि जनता भाजपा को प्रदेश के साथ किये विश्वासघात का सबक ठीक उत्तराखण्ड की तरह ही सिखाना चाह रही है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड विधाानसभा चुनाव में भी जिस प्रकार से प्रदेश की जनभावनाओं को न समझते हुए रामदेव, अण्णा व अरविन्द केजरीवाल ने भी प्रदेश के हितों को रौंद रही तत्कालीन भाजपा सरकार को हराने का आवाहन करने के बजाय कांग्रेस को हराने का आवाहन किया तो जनता ने उनके आवाहन को सिरे से नकार दिया था। जनता इस बात से आक्रोशित थी क्यों भाजपा अधिकांश विधायकों व जनता की इच्छा का सम्मान करने के बजाय बलात खण्डूडी व निशक को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना रही थी और वहां पर भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार व कुशासन का तांडव मचाया उससे जनता हर हाल में इनको उखाड फेंकना चाहती थी। हाॅं मोदी द्वारा चुनाव प्रचार का यहां भाजपा को जरूर कुछ फायदा तो हो सकता है परन्तु कांग्रेस को जो फायदा होना था वह कांग्रेस के निरंतर शर्मनाक घोंटालों को देखते हुए उतना न हो। कांग्रेस की तरफ मतदाताओं का रूझान बदल कर जदस व कजपा की तरह हो सकता है। इसका फायदा भाजपा को भी हो सकता है।

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