भारतीय हुक्मरानों की नपुंसकता से चीन व नक्सलियों के खतरनाक चक्रव्यूह में फंसा भारत
चीन ने भारतीय सीमा के 5 किमी अंदर बनायी सड़क
भारत के हुक्मरानों की घोर उदासीनता व नपुंसकता से आज भारत चीन व नक्सलियों के खतरनाक चक्रव्यूह में बुरी तरह से फंस गया है। एक ही समय में चीन जहां भारत की सीमा पर बलात कब्जा करता है उसी समय नक्सली भी भारत के खिलाफ सशस्त्र युद्ध छेड देते है। परन्तु बेखबर व सत्तामद में चूर भारतीय हुक्मरान व तंत्र बेखबर हो कर इस को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए तैयार भी नहीं है।
एक तरफ चीन ने भारतीय सीमा पर लद्दाख क्षेत्र में एक माह पहले ही 19 किलोमीटर पर दो सप्ताह तक कब्जा करके भारतीय अखण्डता व सम्मान को खुले आम रौदने के बाद भारतीय हुक्मरानों को मेमना बन कर अपनी शर्तो पर समझोता करने के लिए विवश करता है। उसके एक पखवाडे के भीतर चीन समर्थित डेढ़ हजार सशस्त्र नक्सली भी छत्तीसगढ़ में हमला बोल कर छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेताओं को मौत के घाट उतार देते है। इस दर्दनाक खबर से भारतीय उबर भी नहीं पाये थे कि खबर आयी कि चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के भीतर भारत की ओर कब्जा कर पांच किमी तक सड़क बना ली है। वहीं सीमा के भीतर भारतीय सेना के एक गश्ती दल को भी रोका गया है। सबसे हैरानी की बात यह है कि न तो भारतीय सुरक्षा बल व हुक्मरानों को नक्सली हमले की रोक थाम कर पा रही है व नहीं चीन से देश की रक्षा। क्या कारण है चीन व नक्सली एक ही समय में भारत पर हमले कर रहे है । क्या ये चीन की सोची समझी रणनीति का एक हिस्सा तो नहीं। क्या यह चीन व नक्सलियों का भारत के खिलाफ सांझे चक्रव्यूह का हिस्सा तो नहीं है। भले ही भारतीय हुक्मरान चीन द्वारा सीमा पर सीधे कब्जा को कोई बड़ी घटना नहीं मान रहे है। चीन से दो टूक बात करने से भारतीय हुक्मरान घबरा रहे है। परन्तु चीन खुले आम भारतीय भू भाग पर सैन्य बल पर कब्जा जमा रहा है और भारतीय हुक्मरान चीनी प्रधानमंत्री के लिए भारत में लाल कालीन बिछा रहे है। जबकि होना तो यह चाहिए था कि चीनी सेना को अविलम्ब वापस जाने के लिए भारत को चीन से राजनैतिक व आर्थिक सम्बंध तोड़ देने का सम्मानजनक कदम उठाने चाहिए थे परन्तु भारत की वर्तमान मनमोहनी सरकार को इतना नैतिक साहस कहां। इसी प्रवृति को देख कर चीन ने अभी हाल में चीन फिंगर-4 इलाके तक सड़क बनाने में कामयाब रहा है। यह जगह सिरी जैप इलाके में आती है। यह भारतीय सीमा में एलएसी से पांच किलोमीटर भीतर है।
चीन यह इलाका अपने सीमा क्षेत्र में होने का दावा करता है। जबकि भारत इसे लद्दाख का हिस्सा मानता है। सिरी जैप इलाके में ही फिंगर-8 पर 17 मई को दोनों तरफ के सैनिकों में टकराव की घटना हुई। इसके बाद भारतीय सेना का गश्ती दल एलएसी की ओर बढ़े बिना वापस लौट गया। लद्दाख में तैनात 14 कोर ने सभी गश्त रोक दी। दिपसांग में भेजे जाने वाले गश्ती दल को भी रोक दिया गया। इसी इलाके में ही चीनी सेना ने करीब तीन हफ्ते तक अपने तंबू लगा रखे थे। अब सबसे हैरानी की बात यह है कि भारतीय हुक्मरान इस सम्बंध में मुंह खोलने का साहस तक नहीं कर पा रहे है। हमारे रणनीतिकारों को समझना होगा कि आखिर क्यों चीन व नक्सली एक ही समय में भारत के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। क्या यह चीन की रणनीति का हिस्सा है कि वह इस समय भारत के कमजोर नेतृत्व को देख कर भारत के बडे भू भाग पर कब्जा करने के लिए सबसे अनुकुल समय मान रहा है। गौरतलब है कि चीन पर भारत में नक्सल आंदोलन को संरक्षण देने का भी
आरोप लगता रहता है। नक्सल समस्या से जुडे विशेषज्ञ भी इस समय नक्सलियों के दुशाहसिक व बडे हमले से भौचंक्क है।
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