मुम्बई हमलों के दोषी कसाब को दी गयी फांसी
मुम्बई हमलों से वर्षो पहले हुए संसद हमले के दोषी को सजा देने में आज भी नपुंसक बनी हुई है सरकार

,मुम्बई(प्याउ)। मुम्बई हमलों की बसरी से पहले ही सरकार ने मुंबई हमलों के गुनहगार 25 वर्षीय पाकिस्त
ानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को बेहद गोपनिय ढ़ग से 21 नवम्बर की प्रातः 7.30 बजे पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे दी गई है। जहां इस फांसी की सजा से देशवासियों ने चेन की सांस ली वहीं लोग इस बाद से भी हैरान है कि मुम्बई हमले से कई साल पहले से संसद पर हमले के गुनाहगार गुरू को फांसी की सजा देने में नपुंसक क्यों बन रही है।? इस फांसी की सजा दिये जाने के बाद लोगों के जेहन में एक सवाल है कि सरकार ने यकायक जो तेजी मुम्बई हमले के दोषी को फांसी की सजा देने में दिखाई वह इस काण्ड से बडे गंभीर व बहुत पहले घटित हो गये संसद हमले के गुनाहगार गुरू को सजा देने में क्यों नहीं दिखाई? हालांकि संसद देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्थान है। देश के स्वाभिमान का सर्वोच्च प्रतीक है। उसके आतंकी को एक दशक से अधिक समय से सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी की सजा दे रखी है? इसके बाबजूद राष्ट्रपति के पास इसकी याचिका क्यों लंम्बित पड़ी है? यह सरकार अमेरिका के दवाब में उसे फांसी की सजा नहीं दे रही है? या अंध तुष्टीकरण के कारण देश के स्वाभिमान से खिलवाड़ कर रही है? अगर वह दोषी है तो फांसी की सजा क्यों नहीं अगर नहीं है तो फिर क्यों उसे बंद किया गया है? गौरतलब है कि कसाब को 26/11 की बरसी से पहले गोपनीय ढ़ग से फांसी दिये जाने का एक यह भी कारण हो सकता है कि सरकार इस बात से भी भयभीत हो की जिस प्रकार से बाला साहब ठाकरे की शव यात्रा में लाखों लोग सडकों में उतर गये थे अगर जनता ने मुम्बई की बरसी के दिन भी ऐसा ही जनसैलाब सरकार के कसाब जैसे आतंकी को सजा न दिये जाने के खिलाफ उतर गया तो स्थिति बड़ी विकट होगी। मुम्बई में हुए शिवसेनामय माहोल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश भी कसाब को गोपनीय तरीके से फांसी की सजा दिये जाने का कारण हो सकती है। परन्तु इन सबके बाबजूद देश की आम अवाम इस बात से खुश है कि एक गुनाहगार को तो सजा देने का साहस तो सरकार ने किया।
मुम्बई में आतंकी हमलों के गुनाहगार कसाब उन 10 पाकिस्तानी आतंकियों में एकमात्र ऐसा आतंकी था जिसको जीवित पकड़ने में भारत के सुरक्षाबल सफल हुए थे। इन 10 पाक के आतंकियों ने, समुद्र के रास्ते मुंबई में दाखिल होकर 26/11 हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में 165 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हो गए थे। लम्बे समय से इन गुनाहगारों को फांसी न दिये जाने से देश की जनता सरकार की नपुंसकता से आक्रोशित थी।
गौरतलब है मुम्बई हमलों में कसाब को फांसी की सजा देने की खबर का खुलाशा फांसी देने के बाद ही आम जनता को लग पायी।
कसाब को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में ले जा कर उसे 21 नवम्बर बुधवार सुबह 7.30 बजे फांसी दी गई। फांसी के बाद डॉक्टरों ने भी उसे मृत घोषित कर दिया। महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर.आर. पाटिल ने इसकी पुष्टि कर दी है। वह थोड़ी ही देर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी जानकारी देंगे।
कसाब को फांसी दी जाने से पहले मंगलवार को ही राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अजमल कसाब की दया याचिका खारिज को खारिज कर दिया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय से सलाह के बाद यह फैसला लिया गया था। दया याचिका खारिज होने के तुरंत बाद मंगलवार को कसाब को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में गुपचुप तरीके से शिफ्ट कर दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यरवडा जेल में फांसी देने का इंतजाम है। 25 वर्षीय आतंकी कसाब को जनवरी 2008 में ऑर्थर रोड जेल में रखा गया था। इस मुम्बई आतंकी हमले में इस्राइल, अमेरिका सहित अनैक विदेशी पर्यटक भी मारे गये थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस घटना की कडी भत्र्सना की गयी थी।

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