सत्तांध कांग्रेसी मठाधीशों को लोकशाही का पाठ पढ़ाने वाली सांसद राजलक्ष्मी शाह ने ली शपथ
नई दिल्ली (प्याउ)। विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश का उपहास उडा कर जिस शर्मनाक थोपशाही से कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखण्ड के सत्तारूढ़ विधायकों की इच्छा के खिलाफ विजय बहुगुणा को प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में थोपा। उस कांग्रेसी थोपशाही के प्रतीक मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को लोकशाही का पाठ टिहरी लोकसभाई उपचुनाव में सिखाने वाली उत्तराखण्ड की स्वाभिमानी टिहरी संसदीय क्षेत्र की जनता ने उनके द्वारा रिक्त की गयी संसदीय सीट टिहरी में हुए उप चुनाव में ऐसा सबक सिखाया कि जिसकी गूंज दिल्ली में बेठे कांग्रेसी मठाधीशों को भी सुनाई दी। मुख्यमंत्री की कुर्सी पा कर लोकशाही का अपमान करते हुए जिस प्रकार कांग्रेस ने टिहरी संसदीय सीट पर विजय बहुगुणा की अंध पुत्रमोह का समर्थन करके टिहरी से उनके बेटे को पार्टी का प्रत्याशी बनाया ‘उसे देख कर जनता में संदेश गया कि कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व को न तो लोकशाही का लेशमात्र भी सम्मान करती है, व नहीं उसे जनता के हितों की कोई चिंता है। कांग्रेस की यह धृष्ठता देख कर जनता ने टिहरी संसदीय उपचुनाव में मुख्यमंत्री द्वारा रिक्त की गयी सीट पर मुख्यमंत्री द्वारा पूरा शासन प्रशासन व संसाधन पानी की तरह इस चुनाव में बहाने के बाबजूद अपने पुत्र को चुनाव में नहीं जीता पाये यही जनता की ऐतिहासिक जीत रही। ऐसी जनादेश के प्रतीक बनी टिहरी रियासत की पूर्व शासक जिनको जनता ने ही बेताज किया था, उसी जनता ने लोकशाही के नाम पर थोकशाही चलाने वालों को जमीनी सुघाने का काम किया। कुछ माह पूर्व सम्पन्न हुए इस लोकसभाई उपचुनाव में विजय रही भाजपा की प्रत्याशी माला राज लक्ष्मी शाह को शीतकालीन सत्र के पहले दिन यानी े 22 नवम्बर को लोकसभा महासचिव टी के विश्वनाथन ने बंगाल से लोकसभाई उपचुनाव में विजय रहे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी के साथ शपथ दिलाई।
— नई दिल्ली (प्याउ)। विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश का उपहास उडा कर जिस शर्मनाक थोपशाही से कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखण्ड के सत्तारूढ़ विधायकों की इच्छा के खिलाफ विजय बहुगुणा को प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में थोपा। उस कांग्रेसी थोपशाही के प्रतीक मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को लोकशाही का पाठ टिहरी लोकसभाई उपचुनाव में सिखाने वाली उत्तराखण्ड की स्वाभिमानी टिहरी संसदीय क्षेत्र की जनता ने उनके द्वारा रिक्त की गयी संसदीय सीट टिहरी में हुए उप चुनाव में ऐसा सबक सिखाया कि जिसकी गूंज दिल्ली में बेठे कांग्रेसी मठाधीशों को भी सुनाई दी। मुख्यमंत्री की कुर्सी पा कर लोकशाही का अपमान करते हुए जिस प्रकार कांग्रेस ने टिहरी संसदीय सीट पर विजय बहुगुणा की अंध पुत्रमोह का समर्थन करके टिहरी से उनके बेटे को पार्टी का प्रत्याशी बनाया ‘उसे देख कर जनता में संदेश गया कि कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व को न तो लोकशाही का लेशमात्र भी सम्मान करती है, व नहीं उसे जनता के हितों की कोई चिंता है। कांग्रेस की यह धृष्ठता देख कर जनता ने टिहरी संसदीय उपचुनाव में मुख्यमंत्री द्वारा रिक्त की गयी सीट पर मुख्यमंत्री द्वारा पूरा शासन प्रशासन व संसाधन पानी की तरह इस चुनाव में बहाने के बाबजूद अपने पुत्र को चुनाव में नहीं जीता पाये यही जनता की ऐतिहासिक जीत रही। ऐसी जनादेश के प्रतीक बनी टिहरी रियासत की पूर्व शासक जिनको जनता ने ही बेताज किया था, उसी जनता ने लोकशाही के नाम पर थोकशाही चलाने वालों को जमीनी सुघाने का काम किया। कुछ माह पूर्व सम्पन्न हुए इस लोकसभाई उपचुनाव में विजय रही भाजपा की प्रत्याशी माला राज लक्ष्मी शाह को शीतकालीन सत्र के पहले दिन यानी े 22 नवम्बर को लोकसभा महासचिव टी के विश्वनाथन ने बंगाल से लोकसभाई उपचुनाव में विजय रहे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी के साथ शपथ दिलाई।
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