कश्मीर में अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा व देशभक्त जांबाज देशभक्तों की उपेक्षा कर रही है सरकार
21 साल से आतंकियों का सफाया करने में पुलिस व सेना का साथ देने वाले राष्ट्रभक्त नजीर अहमद लोन व साथियों की उपेक्षा क्यो?
‘भारत सहित किसी भी देश के लिए इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि एक तरफ सरकार, देश को तबाह करने वाले देशद्रोही कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को तो सुरक्षा प्रदान कर रही है परन्तु वहीं दूसरी तरफ देश के अमन शांति पर ग्रहण लगाने वाले आतंकवादियों से देश सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान को हथेली में रखने वाले देश भक्त एसपीओं को न तो पर्याप्त सुरक्षा ही प्रदान कर पा रही है व नहीं उनको अपने परिवार का सम्मानजनक ढ़ग से गुजरबसर कर सकने वाला ही रोजगार दे पा रही है। भाईजान मैंने व मेरे साथियों ने कश्मीर से आतंक का सफाया के लिए अपने व अपने परिवार की सुरक्षा की परवाह न करते हुए पुलिस व सेना के साथ मिल कर दो दशक से अधिक समय से समर्पित हो कर देश की रक्षा का काम किया। परन्तु अपनी व अपने 100 साथियों को पर्याप्त सुरक्षा व रोजगार देने की मांग को लेकर पर न तो जम्मू कश्मीर सरकार ने व नहीं केन्द्र सरकार ने लम्बे समय से ध्यान देने की जरूरत तक नहीं समझी। इससे आहत हो कर मुझे सीमान्त प्रांत कश्मीर से दिल्ली में गृहमंत्री से लेकर अन्य नेताओं से गुहार लगाने के लिए मजबूर होना पडा। मैं कई दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हूॅ।’ यह दर्द भरी दास्तान कश्मीर के अनन्तनाग जनपद में 20 साल से कश्मीर में आतंकियों का सफाया करने में पुलिस व सेना की सहायता करने वाले जांबाज नाजीर अहम्मद लोन ने प्यारा उत्तराखण्ड से कही। दिल्ली में संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर संयोगवश मेरे साथ पत्रकार इंजीनियर जगदीश भट्ट के साथ हुई विशेष वार्ता में श्री नजीर इस बात से भी बेहद आहत थे कि देश के हुक्मरानों को देश व देशभक्तों की चिंता क्यों नहीं है?
अनन्तनाग जनपद के पजलपोरा बिजबेहरा क्षेत्र के निवासी नजीर अहमद की मांग कोई तख्त और ताज की नहीं अपितु केवल अपने परिवार की पर्याप्त सीआरपी दस्ते द्वारा सुरक्षा प्रदान करने के साथ साथ उनको व उनके 100 एसपीओ साथियों को उचित रोजगार प्रदान करने की मांग कर रहे है। श्री लोन के अनुसार कश्मीर में सरकार आतंकियों के खात्मा के लिए कई बार पुरस्कार आदि की घोषणा करती है। परन्तु जब कोई देशभक्त अपनी जान जोखिम में डाल कर आतंकियों का सफाया कराता तो उसका ईनाम भी पुलिस प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारी ही डकार जाते है। श्री लोन के अनुसार उन्होंने ने भी 7 साल पहले पहलगांव से अपहरण किये गये इटली सहित 5 विदेशी पर्यटकों की खोज में उनकी सूचना पर हयाजखान ने छित्तरकुल नतीजमाल पहाडियों के कब्रों से अपहरित पर्यटकों के शव ढूंढें थे। इनकी सूचना देने वाले को डीजी ने एक करोड़ के इनाम की घोषणा की थी। इस इनाम की जब मांग नजीर अहमद लोन ने एस पी से की तो पुलिस अधिकारी एस पी ने उसको गोली मारने की धमकी देते हुए ईनाम की राशि भूल जाने की बात कही।
श्री नजीर ने 21 साल तक पुलिस व सेना के साथ मिल कर एसटीएफ के तहत आतंकियों के सफाये का सराहनीय कार्य किया। उनके कार्यो की सराहना पुलिस व सेना के उच्चाधिकारियों ने समय समय पर की। यही नहीं जम्मू के खुफिया आईजी श्री निवास ने उनके द्वारा 4 आतंकियों के सफाया कराने पर हार्दिक बधाई दी थी। वे अपनी व अपने साथियों की उपेक्षा से आहत हो कर दिल्ली में नेताओं व मंत्रालयों में दर दर भटक रहे है। उनकी मांग को पूरा करना तो रहा दूर उनकी दास्तान तक सुनने की फुर्सत दिल्ली के नेताओं व नौकरशाहों के पास नहीं है। पर अब नये गृह मंत्री से जब वे इस सप्ताह मिले तो सुशील कुमार शिंधे ने उनकी फरियाद को सुनने व उनका उत्साह बढाया उससे उनको जरा आशा की किरण दिखाई दे रही है। श्री नजीर के अनुसार आतंकियों ने उसके परिजनों को भी निशाना बनाते है। उनका एक भाई के बेटे पर भी जानलेवा हमला आतंकी कर चूके है। उनके अनुसार कश्मीर को खुदा ने तमाम संसाधन व सौन्दर्य दिये परन्तु आतंकियों ने इसको नरक बना दिया। खुद नजीर का परिवार अखरोट, बदाम व सेव के पुस्तैनी बागों से अपनी जीविकोपार्जन करता है। परन्तु सरकार व भ्रष्ट अधिकारियों के व्यवहार से वे बेहद आहत है। भारत सरकार क्या उसकी बात सुनेगी इसी चिंता में वे दिल्ली में दर दर की धूल फांक रहे हैं।
एक तरफ देश की मनमोहन सरकार आतंकवाद से ग्रसित कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए काम करने का दावा कर रही है वहीं हर साल देश के अरबों खरबों रूपये कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के नाम पर पानी की तरह बहाये जा रहे है। परन्तु जमीनी हकीकत यह है कि सरकार द्वारा कश्मीर समस्या के समाधान के लिए बनायी गयी कश्मीर समिति भी वही भाषा बोल रही है जो पाक समर्थित अलगाववादी संगठन बोल रहे हैं और कश्मीर में आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए खर्च किया जाने वाला देश का पैंसा यहां आतंकियों के सफाया करने वालों के हितों की रक्षा करने के बजाय यहां पर काबिज भ्रष्ट नौकरशाही के उदरपूर्ति में खर्च हो रहा है। हालत इतनी शर्मनाक है कि अमेरिका की शह पर कश्मीर को अपनी आतंकी गतिविधियों से तबाह करने को तुले पाकिस्तान के कुचक्र को विफल करने के लिए अपनी जान की परवाह न करके आतंकियों का सफाया कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जांबाज एसपीओं सरकार की उदासीनता व भ्रष्ट अधिकारियों के षडयंत्र के कारण न केवल बदहाली के कगार पर हैं अपितु उनके व उनके परिजनों के सर पर हर पल आतंकवादियों के हमले का साया मंडरा रहा है। देश की सुरक्षा के लिए आतंकियों का सफाया करने में महत्वपूर्ण रहे कश्मीरी देशभक्त जांबाज नौजवानों ने एसपीओ बन कर देश की सेवा करना स्वीकार किया है। उनको व उनके परिजन को उचित सुरक्षा देने तथा उनको सम्मानजनक रोजगार देने के बजाय उनको उनके हाल पर छोडने का काम किया जा रहा है। अब सवाल यह है कि क्या गृह मंत्री सुशील कुमार शिंधे अपने पूर्वमंत्री द्वारा इस क्षेत्र व देशभक्तों की उपेक्षा को दूर करने के दायित्व का निर्वहन करके इन राष्ट्रभक्तों के साथ न्याय कर पायेंगे? शेष श्री कृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।
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